महाभारत के अनुसार यदि आपके स्वभाव में है ये 6 दोष तो हमेशा रहोगे दुखी,आज ही छोड़ें
प्राचीन ग्रंथ ‘महाभारत’ को कई विद्वान पांचवां वेद भी कहते हैं। इस ग्रंथ में कौरव पांडव की कहानी के अलावा कई लाइफ मैनेजमेंट टिप्स भी दिए गए हैं। ये टिप्स इतने सटीक है कि इन्हें आज की लाइफस्टाइल में भी अपनाया जा सकता है। इस महाभारत में एक श्लोक ऐसा है जिसमें इंसान के स्वभाव से जुड़े 6 दोषों को बताया गया है। महाभारत के अनुसार यह 6 दोष जिस भी व्यक्ति में होते हैं वह हमेशा दुखी रहता है।
यह श्लोक इस प्रकार है – ईर्ष्या घृणो न संतुष्ट: क्रोधनो नित्यशङ्कित:। परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदु:खिता:।। चलिए इसका अर्थ विस्तार से जानते हैं।
ईर्ष्या: जिस व्यक्ति के मन में ईर्ष्या यानि जलन की भावना होती है वह जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकता है। इस तरह का व्यक्ति दूसरों की तरक्की और खुशियों को देख जलता रहता है। ये दूसरों का भला होते नहीं देख सकता है। दूसरों की खुशियां इसे चुभती है।
घृणा: जिन लोगों के मन में घृणा की भावना होती है वह जीवन में हमेशा दुखी रहते हैं। ऐसे लोग किसी से बात करना या उनसे संबंध रखना पसंद नहीं करते हैं। ये दूसरों को सुखी देख मन ही मन दुखी होते हैं।
क्रोध: गुस्सा मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। क्रोध में आकर वह बिना सोचे समझे गलत निर्णय लेता है। क्रोध में किए गए काम का पछतावा उसे बाद में होता है। इस तरह यह क्रोध उसे कभी सुखी नहीं रहने देता है।
असंतोष: कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जीवन में कभी संतुष्ट नहीं होते हैं। उन्हें जितना भी मिले हमेशा कम ही लगता है। ऐसे लोगों के मन में असंतोष का भाव सदा बना ही रहता है। इनके पास जो है उसकी खुशी मनाने कि बजाय ये जो चीज नहीं है उसका दुख मनाते हैं।
शक: जिन लोगों के मन में शक की भावना अधिक रहती है वह अक्सर दुखी रहता है। ये कभी किसी पर भरोसा नहीं कर पाते हैं। इन्हें अपने रिश्तेदार, दोस्त सहित हर व्यक्ति पर शक रहता है। इनका यह स्वभाव इनके दुख का कारण बनता है। इनका शक्की नेचर इनके दिमाग को शांत नहीं रहने देता है।
दूसरों पर आश्रित रहना: मजबूरी में किसी के ऊपर आश्रित रहना समझ में आता है, लेकिन आलस या अपने स्वभाव के चलते हमेशा दूसरों के ऊपर निर्भर रहना ठीक नहीं है। ऐसे लोग हमेशा दूसरों की बुराई झेलते हैं। ये जीवन में कभी सुखी नहीं रहते हैं। इन्हें हर सुख के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है।