दुबई और कराची से धमकी भरे फोन कॉल कराने के मामले में संजय दत्त के खिलाफ नॉन बेलेबल वारंट जारी!
बॉलीवुड के मुन्ना भाई यानी कि संजय दत्त एक बार फिर मुश्किलों में पड़ सकते हैं. मुंबई की एक कोर्ट ने उनके खिलाफ नॉन-बेलेबल वारंट जारी किया है. उनके खिलाफ यह वारंट फिल्म निर्माता शकील नूरानी को धमकाने के जुर्म में जारी किया गया है. संजय दत्त का विवादों से बहुत पुराना नाता रहा है. वो इससे पहले भी जेल की हवा कहा चुके हैं.
Non bailable warrant issued against Sanjay Dutt over alleged threat to filmmaker Shakil Noorani. (File pic) pic.twitter.com/NrZMwRv78D
— ANI (@ANI_news) 15 April 2017
हाल ही में वो जेल से बाहर आये हैं :
संजय दत्त को 1993 मुंबई बम धमाकों में दोषी पाया गया था. उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत सजा सुनाई गयी थी जिसे काटने के बाद हाल ही में वो जेल से बाहर आये थे. शनिवार को एक बार फिर उनके खिलाफ मुंबई की एक कोर्ट ने नॉन बेलेबल वारंट जारी किया है.
फिल्म निर्माता शकील नूरानी का आरोप है कि संजय दत्त ने उनकी फिल्म के काम करने के लिए 50 लाख रूपये एडवांस में लिए लेकिन वो उसके लिए शूटिंग की डेट्स नहीं दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि यह विवाद बहुत पुराना है. नूरानी के मुताबिक उन्होंने अपनी फिल्म जान की बाजी के लिए संजय दत्त को एडवांस पेमेंट किया था. संजय दत्त कुछ दिनों तक फिल्म के लिए काम भी किये लेकिन फिर उन्होंने आगे की शूटिंग के लिए डेट नहीं दी.
इससे पहले शकील नूरानी इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन में भी संजय दत्त की शिकायत कर चुके हैं. इस मामले में IMPAA ने संजय दत्त को 15 दिन के अन्दर 15 दिन के अन्दर 30 दिन की शूटिंग का टाइम देने का निर्देश दिया था और ऐसा नहीं करने की स्थिति में 1.53 करोड़ का हर्जाना भरने का भी निर्देश दिया था.
शकील नूरानी का आरोप है कि संजय दत्त के कहने पर दुबई और कराची से उनके पास धमकी भरे फोन कॉल भी आ रहे हैं. हालांकि इस मामले में मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने संजय दत्त को जमानत दे दी थी. जिसके बाद नूरानी IMPPA का आदेश लागू कराने के लिए हाई कोर्ट की शरण में गए थे. लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी.
हाई कोर्ट ने इस मामले में संजय दत्त को राहत दी थी और कहा था कि संजय दत्त IMPPA के सदस्य नहीं हैं इसलिए उनपर इस संस्था का कोई आदेश लागू नहीं होता है. नूरानी ने इस मामले में संजय दत्त के पाली हिल वाले मामले को अटैच किये जाने की मांग भी की थी लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया था.