पीएम मोदी की बहन के मृत शरीर से भी डरे इमरान खान, गुप-छुप तरीके से किया सुपुर्द-ए-खाक
बलूचिस्तान की एक्टिविस्ट करीमा बलोच जो भारत के पीएम मोदी को अपना भाई मानती थी. पाक के पीएम इमरान खान उनके शव से भी डर गए है. उनके शव के पाकिस्तान में पहुंचते ही इमरान खान ने डर कर उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया. उनके शव को जिस तरह से पाकिस्तान के पीएम ने सुपुर्द ए ख़ाक किया उस वजह से वह पाकिस्तान की संसद में भी घिर गए.
आपको बता दें कि करीमा बलोच तक़रीबन पांच साल से कनाडा में रह रहीं थी. पिछले महीने ही वह मृत पाई गई थीं. इसके बाद रविवार को करीमा का शव पाकिस्तान लाया गया था. इसके बाद सुरक्षाकर्मियों द्वारा कराची एयरपोर्ट से उनके शव को बलूचिस्तान भेजा गया. पाकिस्तान के प्रमुख अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, करीमा को तुरबत इलाके में बेहद सख्त सुरक्षा इंतजामों के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया था.
यह मामला जैसे ही पाकिस्तान में उठा कराची में हजारों की तादाद में लोगों ने सड़कों पर आकर करीमा की हत्या की निंदा की और कहा कि उनकी विचारधारा को किसी भी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता. इसी मामले में बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल के सांसद डॉ. जहानजेब जमालदिनी ने सोमवार को संसद में कहा कि करीमा के शव को एयरपोर्ट से अगवा कर लिया गया और उनके पुश्तैनी गांव तक किसी को जाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई. उनके अनुसार करीमा के गांव में कर्फ्यू लगा दिया गया था. साथ ही मोबाइल टावर बंद कर दिए गए. आखिर ”सिक्यॉरिटी एजेंसियां एक कब्र के शव से डरी हुई हैं”
डॉ. जहानजेब जमालदिनी के मुताबिक करीमा के लिए पूरे बलूचिस्तान में नमाज़ अदा की जा रही थी. उनके मुताबिक मृतक की मां को कथित रूप से शव को अंतिम बार देखने की अनुमति भी नहीं दी गई थी. ना ही लोगों को उनके ताबूत के साथ कब्रिस्तान जाने को अनुमति थी. उन्होंने सवाल किया, ‘क्या यह न्याय है? क्या यह यहाँ का मानवाधिकार हैं? करिमा का शव लड़ने या माकरान को जीतने नहीं आई थी.’ इसके बाद पाक सांसद रुखसाना जुबेरी ने जमालदिनी के कथनों से सहमति जताई. उन्होंने कहा, ‘जमालदिनी ने करीमा को लेकर जो कुछ भी कहा वह सब सच है.’
आपको बता दें कि बलोच स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन की अध्यक्ष और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन को लेकर खुलकर अपनी बात बोलने वाली करीमा बलोच का शव कनाडा के टोरंटो में हार्बरफ्रंट पर संदिग्ध हालत में पाया गया था. कनाडा में करीमा बलोच वर्ष 2016 से एक शरणार्थी के रूप में निवास कर रही थी. गौरतलब है कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान के अत्याचारों के सामने डट कर खड़ी रहने वाली करीमा बलोच ने वर्ष 2016 में भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजी थी. पाकिस्तानी सेना द्वारा बलूचिस्तान में अगवा किए जा रहे नागरिकों को लेकर करीमा ने भारतीय पीएम मोदी से मदद मांगी थी और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को लेकर आवाज़ बुलंद करने को कहा था. इस मामले में करीमा के पति के अनुसार उनकी पत्नी को काफी समय से धमकियां मिल रही थी. पाकिस्तान में भी कई बार उनके घर पर छापेमारी हुई थी, इसलिए उन्हें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा.