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आम आदमी के साथ-साथ अब संसद की थाली भी हुई महंगी, सब्सिडी ख़त्म कर हर साल बचेंगे 17 करोड़ रूपये

अब आदमी के साथ-साथ अब सरकार की थाली भी महँगी हो गई है. देश में सबसे कम रुपयों में सबसे अच्छी क्वालिटी के खाने के लिए मशहूर संसद की केंटीन का खाना अब महंगा हो चुका है. इस कैंटीन में मिलने वाले खाने की कीमत काफी कम होने की वजह से अक्सर लोगों द्वारा इस पर सवाल उठाए जाते रहे हैं. अब सरकार ने इसे मिलने वाली फूड सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है.

सरकार के इस फैसले के बाद अब संसद के सदस्यों, स्टाफ और बाहरी लोगों को सामान्य रेट पर ही खाना दिया जाएगा. सभी दलों के सदस्यों ने लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी में एक राय बनाते हुए इसे खत्म करने पर मुहर लगाई थी.

गौरतलब है कि इस मामले में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार को बताया है कि संसद संत्र के पहले चरण के अंदर 12 बैठक की जाएगी, वहीं दूसरे चरण में 21 बैठके होंगी जो 8 मार्च से 8 अप्रैल तक होगा. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि सदन सबके सहयोग से चले. इसके साथ ही लोकसभा स्पीकर ने कहा है कि संसद की कैंटीन में खाने के ऊपर मिलने वाली सब्सिडी को खत्म किया जा चुका है.

बिरला के अनुसार 29 जनवरी से शुरू होने वाले संसद सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक की जाएगी. इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही शाम चार से रात आठ बजे तक चलेगी. इस दौरान संसद सत्र में पूर्व निर्धारित एक घंटे के प्रश्नकाल की अनुमति होगी.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि सांसदों और अन्य लोगों को मिलने वाली सब्सिडी अब पूरी तरह से बंद हो चुकी है. अब कैंटीन में मिलने वाला खाना तय दाम पर ही दिया जाएगा. संसद की कैंटीन को हर साल करीब 17 करोड़ रुपये की सब्सिडी मुहैया कराइ जा रही थी. वर्ष 2017-18 के दौरान आरटीआई में संसद की रेट लिस्ट के रेट सभी को पता चले थे. उस लिस्ट के मुताबिक, संसद की कैंटीन में चिकन करी 50 रुपए में और वेज थाली 35 रुपए में दी जाती है. खाने में डोसा, चावल के साथ नॉनवेज पर मिलने वाली छूट लगभग 20 रुपए से लेकर 200 रुपए तक दी जाती है. थ्री कोर्स लंच की कीमत तक़रीबन 106 रुपए बैठती थी. सबसे बड़ी बात तो ये कि सांसदों को साउथ इंडियन फूड में प्लेन डोसा मात्र 12 रुपए में उपलब्ध कराया जाता है.

इतना ही नहीं लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने बजट सत्र की तैयारियों के बारे में मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि उत्तर रेलवे के बजाय अब आईटीडीसी संसद की कैंटीनों को चलाएगा. इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि संसद सत्र की कार्यवाही शुरू किये जाने से पहले सभी सांसदों से कोरोना की जांच कराने का अनुरोध भी किया जाएगा.

लोकसभा अध्यक्ष के अनुसार सांसदों के भवन के नज़दीक भी आरटी-पीसीआर कोविड-19 परीक्षण किए जाने के प्रबंध किए जा चुके हैं. उनके अनुसार केंद्र, राज्यों द्वारा निर्धारित की गई टीकाकरण अभियान नीति सांसदों पर भी समान रूप से लागू होगी. 27-28 जनवरी को संसद परिसर में आरटी-पीसीआर जांच होगी.

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