जानें कैसे भारत को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से 2 साल में 55बिलियन डॉलर का लाभ हुआ?
सुषमा जी का कहना है, कि निरंतर प्रयासों की वज़ह से भारत को एफडीआई में 55 अरब डॉलर (₹3.69 लाख करोड़) का निवेश पिछले दो वर्षो में प्राप्त हुआ।(सोर्स:पीटीआई)
रविवार को शुष्मा जी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की विदेश नीति की प्राथमिकता सभी देशो से आर्थिक गठबंधन है।
शुष्मा जी ने एक घंटे लंबी वार्षिक संवाददाता सम्मेलन में एनडीए के द्वारा विगत एक साल की उपलब्धियां भी मज़ाकिया अंदाज़ में गिना दी ।
विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार ने पिछले वर्ष में 140 के साथ संबंधों को बढ़ाया, साथ ही साथ अफ्रीकी महाद्वीप, खाड़ी गल्फ क्षेत्र के देशों और प्रशांत द्वीप समूह के देशो से सम्बन्ध को प्रमुख उपलब्धियों में गिनाया।
भारत इस बार उन 65 देशों में भी अपने मंत्रियों को भेजेगा, जहाँ अभी तक मंत्रिस्तरीय दौरा नही हुआ है, स्वराज ने कहा।
स्वराज ने कहा कि वह और प्रधानमंत्री मोदी अपने “पड़ोस पहले” नीति के अनुसार सभी सार्क देशों से भी मुलाक़ात की।
उन्होंने कहा यही वजह थी कि विगत दो वर्षों के निरंतर प्रयासों से ही भारत को 55 अरब डॉलर (₹ 3.69 लाख करोड़) प्राप्त हुआ।
“ये वृद्धि एनडीए के मुकाबले 43% ज्यादा है। एफडीआई लाने के लिए प्रयास करने पड़ते हैं और ये हमारा अथक प्रयास ही था कि एफडीआई में बढ़ोतरी हुई,” स्वराज ने कहा।
विभिन्न विदेशी सरकारो को जोड़ना और भारत की फ्लैगशिप कार्यक्रमों जैसे गंगा की सफाई और स्मार्ट शहरी परियोजनाएं विदेश मंत्रालय के निरंतर प्रयास ही है।
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत के अमेरिका के साथ सम्बन्धो में काफी सुधार हुआ, राष्ट्रीय हिके लिए दूसरे देशों से अच्छे संबंध जरुरी है।
शुष्मा जी ने इसके साथ कई और मुद्दों को भी छुआ जैसे सर्कार का प्रवासीयो के प्रति रुझान,दक्षिण चीन सागर विवाद में भारत का स्थान और पड़ोसी बांग्लादेश में संदिग्ध इस्लामियों द्वारा लक्षित हत्याएं।
दक्षिण चीन सागर मुद्दे पर उन्होंने कहा कि भारत विवाद का शांतिपूर्ण निबटान चाहता है, उन्होंने कहा कि भारत की कोशिश रहेगी की तीस्ता वाटर अग्रीमेंट पर बांग्लादेश के साथ आम सहमति के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात होगी।
जापान के सहयोग के बारे में बताते हुए शुष्मा जी ने बताया, कि मालाबार एक्सरसाइज में जापान अब स्थायी भागीदार है, जिसमें पहले केवल भारत और अमेरिका ने भाग लिया था।
स्वराज ने घोषणा की है कि पीआईओ (भारतीय मूल के व्यक्ति) और ओसीआई (विदेशी नागरिकता ऑफ इंडिया) कार्ड के विलय के लिए पिछली तारीख को अब 31 दिसंबर 2016 तक बढ़ा दिया गया है, जो कि 30 जून को समाप्त होनी थी। उन्होंने ने विलय के 31 दिसंबर तक निशुल्क होने की भी जानकारी दी।
उन्होंने दावा किया कि विश्व में भारत का सम्मान बढ़ा, जो बहुपक्षीय मन्चों पर भारत का विश्वाश बढ़ाता है और सर्कार के भरिया प्रवासियों के लिए किये जाने वाले प्रयासों को दिखाता है।
शुष्मा जी ने भारत के गल्फ क्षेत्र और अफ्रीकी महाद्वीप के साथ बढ़ते अंबन्धो पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की फिलिस्तीन, इसराइल और जॉर्डन और मोदी की संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ईरान और कतर की यात्राओं के बारे में भी बताया जो बहुत सफल रही।
“गल्फ के क्षेत्रों से रिश्ते बेहतर हुए,” अरब लीग से जुड़कर हमने महत्वपूर्ण प्रगति भी देखी।
अफ्रीकी देशों से सम्बन्धो के बारे में बात करते हुए उन्होंने भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के बारे में बताया, जहाँ पिछले साल अक्टूबर में 41 सरकार के प्रमुख और राज्य के प्रमुख लोगों ने भाग लिया।
उन्होंने पिछले साल जयपुर में अगस्त में हुए प्रशांत द्वीप समूह के साथ हुए शिखर सम्मलेन का भी विस्तार से वर्णन किया, जो संसाधन युक्त क्षेत्रों से जुड़ने वाला कदम था।
अंतरराष्ट्रीय योग दिन के बारे में पूछने पर स्वराज जी ने कहा कि, लीबिया और यमन को छोड़कर इस बार योग दिवस 191 देशों में मनाया जायेगा।इसका कारण वह की आंतरिक स्थिति को बताया।
विदेश मंत्री ने कहा कि इससे पहले उन्होंने पोलैंड जाने की योजना बनाई थी, उन्हें यहाँ किसी पर्व में सम्मिलित होना था लेकिन ऐसा नही हो पाया।
विश्व व्यापार संगठन (डब्लू टी ओ) मुद्दे पर मतभेद होने को उन्होंने स्वाभाविक बताया और अपने सम्बन्धो में होते सुधारों के बारे में भी अवगत कराया। साथ ही उन्होंनेभरत के गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) न छोड़ने की बात भी कही।
स्वराज ने कहा कि भारत के पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में सुधार हुआ है, और नेपाल से ग़लतफहमी दूर होने की बातबकि भी पुष्टि की।
उन्होंने बताया कि पासपोर्ट प्रकिया के सरलीकृत होने के बाद, पिछले एक साल में 1.03 करोड़ नए पासपोर्ट दस्तावेज़ों को जरी किया गया।
केंद्रीय कैबिनेट में संभव फेरबदल के बारे में पूछने पर उन्होंने इसे प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार बताया।
उन्होंने सरकार की विदेश नीति की उपलब्धियों पर एक किताब भी जारी की।