टीम इंडिया के इस ऑलराउंडर को लगा बड़ा झटका, पिता का हार्ट अटैक से निधन
टीम इंडिया के स्टार ऑलराउंडर पंड्या ब्रदर्स पर इस वक़्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. हार्दिक और क्रुणाल पंड्या के पिता का अचानक से निधन हो गया है. जानकारी के मुताबिक उनके पिता को दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद उनकी मृत्यु हो गई.
आज शनिवार की सुबह टीम इंडिया के ऑलराउंडर खिलाड़ी हार्दिक पंड्या और क्रुणाल पंड्या के लिए बेहद ही अशुभ रही. हार्दिक और क्रुणाल पंड्या के पिता हिमांशु पंड्या ने वडोदरा में अंतिम सांस ली.
आपको बता दें कि क्रुणाल पंड्या सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी खेल रहे हैं और वडोदरा की कप्तानी का जिम्मा भी उन्ही के हवाले है, लेकिन इस दुःखद खबर के बाद मैनेजमेंट ने उन्हें बायो सिक्योर बबल को तोड़कर बाहर जाने की परमिशन दे दी थी. क्रुणाल पंड्या के इस तरह अचानक जाने से अब केदार जाधव को बाकी बचे दो मुकाबले की कप्तानी दे दी गई है.
पंड्या ब्रदर्स के पिता हिमांशु पंड्या का अपने दोनों ही बेटों की सफलता में बड़ा योगदान रहा. हार्दिक और क्रुणाल पंड्या के पिता के पिता सूरत में अपना एक छोटा सा व्यापार चलाते थे, लेकिन बच्चों को क्रिकेटर बनाने के लिए उन्होंने वडोदरा बसने का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने अपना बिज़नेस भी छोड़ दिया.
हिमांशु ने बड़ी ही मुश्किल से पैसे जुटाकर अपने दोनों बेटों को किरण मोरे क्रिकेट अकादमी में भर्ती करवाया था. हार्दिक भी अपने पिता के योगदान का जिक्र करते हुए कई बार सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल चुके हैं. आपको बता दें हार्दिक पंड्या ने साल 2017 में जब श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए जोरदार शतक ठोका था तो उन्होंने उस शतक को अपने पिता के नाम करते हुए उन्हें एक कार गिफ्ट में दी थी.
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इतना ही नहीं हार्दिक पंड्या ने एक ट्वीट में अपनी भावना जाहिर करते हुए कहा था कि उनके पिता को जीवन की सभी खुशियां और शोहरत मिलनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट में जिक्र किया था कि उनके पिता ने अपने बेटों के करियर के लिए सबकुछ छोड़ दिया था, इसके लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है.दोनों ही भाइयों ने अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय पिता को दिया था.
हार्दिक और क्रुणाल पंड्या के पिता हिमांशु पंड्या ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि बेटों को सिर्फ क्रिकेट खेलने देने के उनके फैसले पर कई रिश्तेदारों ने सवाल उठाए थे, लेकिन हम अपने विश्वास पर कायम रहे.
इसके अलावा पंड्या ब्रदर्स के पिता ने यह बताया था कि ‘बच्चों ने काफी मेहनत की है. मैं सूरत में था, उस वक़्त क्रुणाल 6 साल का था, मैं उसे बॉलिंग की प्रैक्टिस करवाता था. उसे देखकर लगता था कि ये बड़ा खिलाड़ी बन सकता है. सूरत में एक बार प्रैक्टिस के दौरान किरण मोरे के मैनेजर ने क्रुणाल को खेलते देखा. उन्होंने हमें वडोदरा आने को कहा और यही से इनका क्रिकेट करियर शुरू हुआ.