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अमरिंदर सिंह ने पूरी की 97 साल की बेगम मुनव्वर की आखिरी ख्वाहिश, पत्र लिखकर जताई थी ये इच्छा

97 साल की बेगम मुनव्वर-उल-निसा ने मुबारक मंजिल पैलेस को पंजाब सरकार को सौंपने की इच्छा जाहिर की थी। बेगम मुनव्वर-उल-निसा की इस इच्छा को पंजाब सरकार ने स्वीकार कर लिया है और इस पैलेस के बदले बेगम मुनव्वर-उल-निसा को 3 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। खबर के अनुसार पंजाब कैबिनेट ने संगरूर जिला के मलेरकोटला में स्थित मुबारक मंजिल पैलेस के अधिग्रहण, संरक्षण और उपयोग की स्वीकृति दे दी है। पैलेस की मालकिन बेगम मुनव्वर-उल-निसा ने अपनी आखिरी ख्वाहिश के तौर पर सरकार से अधिग्रहण की पेशकश की थी।

बेगम मुनव्वर उल निसा ने सरकार को एक पत्र लिखा था और जिसमें कहा था कि मुबारिक मंजिल पैलेस मलेरकोटला की वो इकलौती मालकिन हैं। वो चाहती हैं कि इस संपत्ति को प्रदेश, पर्यटन व सांस्कृतिक विभाग को दिया जाए। बेगम मुनव्वर-उल-निसा ने सरकार को बताया कि ये महल बहुमंजिला विरासती संपत्ति है। जो 150 साल पुरानी है। वो 32400 वर्ग फुट में फैले हुए अपने इस महल को सरकार को सौंपना चाहती हैं। बेगम मुनव्वर उल निसा की इस आवेदन को पंजाब सरकार ने स्वीकार कर लिया। सोमवार को पंजाब कैबिनेट की बैठक में अधिग्रहण का फैसला लिया गया।

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि ये निर्णय राज्य की समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और हमारे गौरवशाली अतीत के साथ युवा पीढ़ी को फिर से जोड़ने में सहायक होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार, इस इमारत पर वित्तीय देनदारी करीब पांच करोड़ रुपये बनती है। इसकी जमीन की कीमत का मूल्यांकन डिप्टी कमिश्नर संगरूर से करवाया गया है। पर्यटन विभाग की तरफ से भी अपने कंजरवेशन आर्किटेक्ट और चीफ जनरल मैनेजर कम चीफ इंजीनियर के जरिए मूल्यांकन कराया गया है।

मलेरकोटला का इतिहास

मलेरकोटला के नवाब शेर मोहम्मद खान ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के दोनों छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह को जीवित दीवार में चिनवा देने के आदेश का खुलेआम विरोध किया था। जिसके चलते इनका काफी सम्मान किया गया था। बेगम मुनव्वर उल निसा इनकी पीड़ी की आखिरी सदस्य हैं और इनकी आयु 97 साल की है। इनके बाद कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जो कि इस विरासत को संभाल सके। ऐसे में इन्होंने मुबारक मंजिल पैलेस को सरकार को सौंपने का फैसला किया था।

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