तीन पुतलों की मदद से खिलौने वाले ने राजा को दी बड़ी सीख, बताया कौन से लोग होते हैं अनमोल
एक राजा के पास बेहद ही बुद्धिमान मंत्री था। इस मंत्री के पास राजा की हर समस्या का हल हुआ करता था। मंत्री को राजमहल के अन्य लोग पसंद नहीं किया करते थे। क्योंकि राजा मंत्री पर आंख बंद करके विश्नास करता था। एक बार राजा के अन्य मंत्रियों ने बुद्धिमान मंत्री को सबक सिखाने की योजना बनाई। राजमहल के अन्य मंत्रियों ने सोचा की क्यों न वो बुद्धिमान मंत्री को राजा के सामने बेवकूफ साबित कर दें। ऐसा करने से राजा के मन से बुद्धिमान मंत्री उतर जाएगा और वो राजा के करीब आ जाएंगे।
बुद्धिमान मंत्री के लिए इन सभी ने एक साजिश रची। जिसके तहत इन्होंने एक खिलौने वाले को राजा के पास भेजा। खिलौने वाले को राजमहल में बुलाकर इन मंत्रियों ने राजा से कहा कि इसके पास बेहद ही सुंदर पुतले हैं। जो कि आपको पसंद आएंगे। आप इन पुतलों को खरीदकर अपने पुत्र को दें दें। राजकुमार काफी खुश हो जाएंगे। राजा ने मंत्रियों की बात को मानते हुए खिलौने वाले को पुतले दिखाने का आदेश दिया।
खिलौने वाले ने राजा से कहा कि मेरे पास तीन तरह के पुतले हैं। आप इनमें से कौन सा पुतला लेने चाहते हैं। राजा ने खिलौने वाले से कहा कि तुम मेरे को तीनों पुतले दिखाओं। इन पुतलों में से जो मुझे पसंद आएगा उसे में खरीद लूंगा। खिलौने वालों ने राजा के सामने तीनों पुतले रख दिए। खिलौने वाले ने राजा से कहा, पहले पुतले की कीमत एक लाख मोहरें हैं। दूसरे पुलते के लिए आपको एक हजार मोहरें देने होंगे। जबकि तीसरे की कीमत एक मोहर है।
ये बात सुन राजा हैरान हो गए और इन्होंने खिलौने वाले से कहा, आखिरी इन पुतलों की कीमतों में इतना अंतर क्यों हैं। ये तीनों पुतले दिखने में एक जैसे हैं। इन तीनों की कीमत तो एक जैसी होनी चाहिए। खिलौने वाले ने राजा से कहा इन तीनों पुतलों की एक खासियत है। जिसके बारे में अगर आप मुझे बता देंगे तो मैं आपको ये तीनों पुतलें मुफ्त में दे दूंगा।
खिलौने वाले की ये बात सुनकर राजा ने अच्छे से पुतलों को देखा। राजा को इनमें कोई अंतर समझ नहीं आया। दुविधा में पड़ने के बाद राजा ने तुरंत अपने बुद्धिमान मंत्री को राजमहल में बुलाने को कहा। राजमहल में मौजूद अन्य मंत्री खुश हो गए। उन्हें लगा की बुद्धिमान मंत्री राजा को इन पुतलों का अंतर नहीं बता पाएगा। ऐसे में राजा उसे महल से निकाल देंगे।
राजा के आदेश पर बुद्धिमान मंत्री दरबार में आता है। राजा उसे पूरी बात बताते हैं। पूरी बात सुनने के बाद बुद्धिमान मंत्री एक-एक करके पुतलों को देखता है। फिर हर पुतले के कान में एक तिनका डालता है। पहले पुतले के कान में एक तिनका डालने से वो सीधे पेट में चले जाता है। कुछ देर बाद उसके होंठ हिलने लगा जाते हैं और बंद हो जाते हैं। दूसरे पुतले के कान में तिनका डालने पर वो कान से बाहर निकल आता है। तीसरे पुतले के कान में तिनका डालने से उसका मुंह खुल जाता है और वो जोर-जोर से हिलने लग जाता है।
बुद्धिमान मंत्री राजा को जवाब देते हुए कहता है, महाराज इस खिलौने वाले ने इन पुतलों के दाम एकदम सही लगाएं हैं। भले ही ये पुतले दिखने में एक ऐसे हों। लेकिन इनमें बड़ा अंतर है। राजा ने बुद्धिमान मंत्री से अंतर पूछा तो उन्होंने बताया कि ये पुतले हमें बहुत बड़ी सीख दे रहे हैं। पहला पुतला उन लोगों की तरह है, जो दूसरों की बात को सुनकर समझते हैं, उसकी सच्चाई मालूम करते हैं, उसके बाद ही कुछ बोलते हैं। ये लोग आंख बंद करके किसी की बात पर यकीन नहीं करते हैं। ऐसे लोग अनमोल होते हैं। इसीलिए इस पुतले की कीमत अधिक रखी गई है।
दूसरा पुतला उन लोगों में से है जो कि एक कान से बात सुनते हैं और दूसरे कान से निकाल देते हैं। तीसरा पुतला उन लोगों की तरह है जो किसी भी बात की सच्चाई मालूम किए बिना ही नतीजे पर पहुंच जाते हैं। ऐसे लोगों के पेट में कोई भी बात पचती नहीं हैं। बुद्धिमान मंत्री की ये बात सुनते ही खिलौने वाला खुश हो गया और उसने मुफ्त में ही राजा को तीनों पुतले दे दिए। बुद्धिमान मंत्री ने इस तरह से अन्य मंत्रियों की योजना को असफल कर दिया।