Health

अपनी उम्र के अनुसार जाने घी खाने की सही मात्रा, वजन भी कम होगा और सेहत भी बनेगी

पहले के जमाने में लोग अपने खान पान में रोज देसी घी का इस्तेमाल करते थे। हालांकि समय बीतता चला गया और घी को लेकर कई भ्रांतियां पैदा हो गई। जैसे घी खाने से वजन बढ़ जाता है, घी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है इत्यादि। दरअसल देसी घी को लेकर ऐसी गलत भ्रांतियां रिफाइंड तेल का कारोबार करने वाली कंपनियों ने फैलाई है। जबकि सच्चाई तो ये है कि घी का इस्तेमाल कर आप कई सारे हेल्थ बेनीफिट्स ले सकते हैं। बस शर्त यही है कि आप अपनी उम्र के हिसाब से सही मात्रा में घी खाए।

आज हम आपको उम्र के हिसाब से घी खाने की सही मात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आप अपनी उम्र के हिसाब से सही मात्रा में घी का सेवन करेंगे तो न सिर्फ आपका वजन कम होगा बल्कि आपको इसके और भी कई हेल्थ बेनएफिट्स मिलेंगे। एक बात और ध्यान रहे कि आप शुद्ध देसी घी ही खाए। बाजार में मिलने वाले नकली घी से सावधान रहे। नकली घी सफेद होता है जबकि असली घी हल्के पीले रंग का होता है। वैसे कोशिश यही करे कि घर की मलाई से बना शुद्ध घी ही खाए।

18 साल से कम उम्र: बच्चों और किशोरों को रोजाना दो से तीन चम्मच घी खाना चाहिए। इसे और सटीकता से बताएं तो इस वर्ग के लोगों को 15 से 20 ग्राम तक रोजाना घी का सेवन करना चाहिए। इससे उनकी सेहत अच्छी रहेगी।

18 से 45 साल के लोग: इस केटेगरी में युवा वर्ग आता है। इन लोगों को रोज 10 से 12 ग्राम घी खाना चाहिए। मतलब इनके लिए दिन में दो चम्मच घी पर्याप्त है।

45 से 60 उम्र वाले: यह केटेगरी में उम्रदराज लोग आते हैं। इन्हें रोजाना 8 से 10 ग्राम यानि एक चम्मच घी खाना चाहिए। दरअसल जब आप बुढ़ापे में घी खाते हैं तो आपके शरीर में चिकनाहट बनी रहती है।

प्रेग्नेंट महिलाएं: गर्भवती महिलाओं और बच्चों को स्तनपान कराने वाली महिलाओं को रोजाना दो से तीन चम्मच घी खान चाहिए। ऐसा करने से आपके द्वारा निरीत दूध की गुणवत्ता में सुधार आता है।

जिन लोगों की उम्र 60 साल के ऊपर होती है उन्हें डॉक्टर की सलाह के बाद ही अपने घी की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए। एक बात ध्यान रहे कि जब आप अपनी उम्र के अनुसार घी का सेवन करते हैं तो आपकी बॉडी उसे अच्छे से अब्सॉर्ब करती है। नतिजन आपको घी द्वारा पर्याप्त ऊर्जा दी जाति है। वहीं उम्र के अनुसार घी न खाया जाए या इसे अधिक खा लिया जाए तो ये माल द्वारा बाहर निकल जाता है और इसके पोशाक तत्व बॉडी में अब्सॉर्ब नहीं हो पाते हैं।

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