तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ेगी मोदी सरकार, बताया तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की डिग्निटी पर खतरा!
यूपी चुनाव में मुस्लिम महिलाओं का साथ मिलने के बाद अब बीजेपी तीन तलाक जैसी प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए एक्शन में आ चुकी है. इस मामले पर अब जल्द ही सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा और इसके सभी पक्षों को देखेगा. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कहा कि तीन तलाक का मुद्दा महिलाओं की डिग्निटी पर खतरा है.
तीन तलाक से महिलाओं की गरिमा पर पड़ता है असर :
केंद्र ने इसके खिलाफ दलील देते हुए कहा कि तीन तलाक मुस्लिन महिलाओं को अन्य धर्मों की महिलाओं और पुरुषों से कमजोर बनाता है. इससे मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचता है और यह उनकी गरिमा को खतरा है.
केंद्र ने सोमवार को तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में लिखित दलील पेश की. केंद्र ने कहा कि भारत की जनसंख्या में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी 8% है. केंद्र ने अपनी दलील में कहा कि इससे मुस्लिम महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुंचता है.
केंद्रे ने कहा कि हालांकि तीन तलाक और बहुविवाह की वजह से बहुत कम महिलाएं प्रभावित होती हैं. लेकिन तीन तलाक की वजह से बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं डर के साए में जिन्दगी जीती हैं और असुरक्षित महसूस करती हैं. केंद्र ने अपनी दलीलों में कहा कि मुस्लिम समुदाय में बीते 60 सालों से सुधार नहीं हुए हैं. ऐसे में पर्सनल लॉ में बदलाव की जरूरत है.
18 महीने में खत्म कर देंगे तीन तलाक :
वहीं दूसरी तरफ केंद्र के रुख का मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध किया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष डॉ. सईद सादिक ने कहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार और कानून या अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. उन्होंने सरकार के दखल पर आपत्ति जताई. उन्होंने दावा किया है कि वे 18 महीने के भीतर भारत में मुस्लिम धर्म से तीन तलाक खत्म कर देंगे.
इससे पहले आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक सर्वे के हवाले से दावा किया था कि उनके पास करीब साढ़े तीन करोड़ मुस्लिम महिलाओं के फॉर्म आये हैं जिन्होंने तीन तलाक का समर्थन किया है और वो इसके खिलाफ नहीं हैं. ऐसे में सरकार के रुख से इतर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के उपाध्यक्ष का यह कहना कि 18 महीने में तीन तलाक खत्म कर देंगे चौंकाने वाला बयान है.
11 मई से होगी सुनवाई :
गौरतलब है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनकर 11 मई में सुनवाई करने का फैसला लिया है. इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट न सिर्फ तीन तलाक बल्कि मुस्लिम धर्म की कई ऐसी प्रथाओं जैसे हलाला और बहुविवाह पर भी सुनवाई करेगा. यह ऐसी प्रथाएं हैं जो कालांतर में धर्म में जुड़ती चली गईं और धार्मिक सुधार नहीं होने के कारण अभी भी कई जगहों पर अस्तित्व में हैं.