चाणक्य नीति और गीता दोनों में छिपी है सफलता की कुंजी, बस करने होंगे ये 2 छोटे से काम
जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है। हर किसी को सफलता का स्वाद चखना है। हालांकि इसके लिए मेहनत और खुद को बेहतर करने की बात आती है तो बहुत से लोग आलसी कर जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको सफलता की असली कुंजी बताने जा रहे हैं। यह कुंजी हम सभी को प्राप्त हो सकती है। इसके लिए बस थोड़ी सी मेहनत करनी होगी।
दरअसल चाणक्य नीति और गीता उपदेश में सफलता की कुंजी को बताया गया है। इसके अनुसार यदि मनुष्य अपने अंदर दो खास गुणों को विकसित कर लें तो उसे जीवन में सफल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। अक्सर यही देखा जाता है कि जल्दी सफल होने के लिए इंसान शॉर्टकट खोजने लगता है। वह धैर्य और संयम से काम लेकर खुद को बेहतर नहीं बनाता है। बल्कि अच्छी और मौलिक चीजों को भूल गलत दिशा में जाने लगता है। इसलिए सफलता हासिल करने के लिए उसे इन दो गुणों पर काम करना चाहिए।
मधुर वाणी: आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में मधुर वाणी के महत्व को समझाया है। उनके अनुसार यदि आपकी वाणी मधुर होगी तो आपकी भाषा और व्यवहार में एक अलग ही सौदंर्य निखर कर सामने आएगा। वाणी में ऐसी मधुरता होनी चाहिए कि यह सीधा सामने वाले के दिल में प्रवेश करें। यदि आपकी वाणी में वह मिठास उपस्थित होगी तो सामने वाला आपकी डांट फटकार भी सुन लेगा। उसे आपका आसपास रहना पसंद आएगा। वह आप से दिल से जुड़ जाएगा। आपकी कही हर बात सुनेगा।
इसके विपरीत वाणी में कर्कशता और कटुता होने पर व्यक्ति आप से कन्नी काटने लगेगा। वह आपकी मदद करना तो दूर आपसे मिलना भी पसंद नहीं करेगा। कटु वाणी वाले लोग जीवन में ज्यादा सफल नहीं होते हैं। कोई भी इनका दिल से सम्मान नहीं करता है। ये खुद को अक्सर अकेला पाते हैं। इस कटु वाणी की कीमत उन्हें कई अलग अलग नुकसान के रूप में चुकानी पड़ती है।
विनम्रता: भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता में कई उपदेश दिए है। उनमें से एक उपदेश व्यवहार में विनम्रता लाना भी है। जितने भी पौराणिक ग्रंंथ है उसमें जब किसी महान व्यक्ति के गुणों का वर्णन आता है तो उसमें विनम्रता का जिक्र अवश्य होता है। आप जितने सहज और सरल होंगे आपके अंदर उतनी ही विनम्रता होगी।
प्राचीन समय में संतों के आचरण में विनम्रता होने के कारण उनके मन में शांति रहती थी। जब आप ज्ञान, संस्कार और सत्य का दामन थामते हैं तो विनम्रता अपने आप आ जाती है। इस विनम्रता से आप शत्रु को भी मित्र बना सकते हैं। विनम्र लोगों के ऊपर मां लक्ष्मी भी हमेशा अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती है।