विजय मंदिर की तरह ही है भारत के नए संसद भवन की रूपरेखा, जानें इसके रहस्य
उच्चतम न्यायालय की ओर से सेंट्रल विस्टा परियोजना को इजाजत दे दी गई है। यानी अब नए संसद भवन का निर्माण जल्द ही शुरू हो जाएगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका शिलान्यस और भूमि पूजन कर चुके हैं।
बता दें कि इस संसद भवन के बनने का अनुमानित खर्च 971 करोड़ रूपए है। बहरहाल, पिछले दिनों इस नए संसद भवन परियोजना की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुई थीं। जिसे देखकर कुछ यूजर्स ने कहा था कि ये अमेरिका के पेंटागन की नकल है।
मगर आपको जानकर हैरानी होगी की सेंट्रल विस्टा परियोजना का डिजाइन मध्य प्रदेश के विजय मंदिर से हुबहू मिलती जुलती है। चलिए जानते हैं, इस मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें…
विजय मंदिर से हुबहू मिलता जुलता है नया संसद भवन…
मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित विजय मंदिर एक ऐतिसाहिक मंदिर है, जो भारत ही नहीं दुनिया के सबसे विशालतम मंदिरों में से है। दरअसल चालुक्यवंशी राजा ने विदिशा विजय को चीरस्थाई बनाने के लिए यहां सूर्य मंदिर बनवाया था।
इसके पीछे एक कारण ये बताया जाता है कि चालुक्यवंशी खुद को सूर्य के वंशज मानते थे, इसलिए उन्होंने सूर्य का मंदिर बनवाया। इतिहासकारों की मानें तो 10वीं और 11वीं शताब्दी में परमार काल में परमार राजाओं ने इस मंदिर का पुनर्निमाण कराया।
इसके बाद मुगल काल के क्रूर शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया था। दरअसल इस मंदिर की इतनी प्रसिद्धी थी कि हमेशा से ही मुगल शासकों की गिद्ध नजर इस पर रहती थी।
कहा जाता है कि औरंगजेब की सेना ने इस मंदिर में काफी तोड़फोड़ और लूटपाट मचाया था। यहीं नहीं मंदिर को तोपों से उड़ा दिया था। इसके बाद मराठा साम्राज्य ने इस मंदिर का पुनर्निमाण करवाया।
अब भारत सरकार के सरंक्षण में है ये मंदिर…
विजय मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है और ये एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। ऐसे में जब जब इसकी क्षति हुई, तब तब श्रद्धालुओं ने इस मंदिर की मरम्मत करवाई। खैर, अब यह विशाल मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है और धीरे धीरे इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
खबरों की मानें तो इसकी ऊंचाई लगभग 100 मीटर है और इस मंदिर का फैलाव लगभग आधे मील में है। लिहाजा ये खजुराहो के विशाल मंदिर से भी बड़ा मंदिर प्रतीत होता है।
विजय मंदिर के आस पास किए गए खुदाई में कई कीर्तिमुख मिले हैं। दरअसल इंसानों और सिंहो की मुंह की आकृति को पत्थरों पर उकेर कर उन पत्थरों की नक्काशी की जाती है और फिर बेल-बूट बनाए जाते हैं, जिसे कीर्तिमुख कहा जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी ये कीर्तिमुखों को विदेशों में प्रदर्शन के लिए ले जाया जा चुका है। इतना ही नहीं एएसआई की खुदाई में यहां एक विशाल चौखट भी प्राप्त हुई है, जिस पर शंख की आकृति मिली है और कई देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी बनी हैं।
दिलचस्प बात ये है कि वर्तमान संसद भवन भी मध्यप्रदेश के मुरैना में स्थिन चौसठ योगिनी मंदिर से हुबहु मिलता है। ऐसे में अब नए संसद भवन का डिजाइन भी मध्यप्रदेश के ही विजय मंदिर जैसा होने जा रहा है।