इन पाबंदियों के साथ होगा कुंभ का मेला, 11 मार्च को शिवरात्रि पर होगा पहला शाही स्नान
14 जनवरी 2021 से कुंभ मेला शुरू हो रहा है और इस मेले के आयोजन की पूरी तैयारी उत्तराखंड सरकार द्वारा की जा रही है। इस बार कुंभ का मेला हरिद्वार में होने जा रहा है। ऐसे में गंगा के घाटों पर इस मेले की तैयारियां तेजी से की जा रही हैं। कुंभ मेले की हो रही सभी तैयारियों को कोरोना वायरस के मद्देनजर किया जा रहा है और इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि मेले के दौरान कोरोना का संक्रमण न फैल सके। कोरोना के कारण इस बार मेले पर कुछ पाबंदियां भी लगाई गई हैं और इस वर्ष कुंभ मेला महज 48 दिनों का ही होगा। जो कि आमतौर पर 120 दिनों का होता है।
आपको बात दें कि ये इस शताब्दी का दूसरा कुंभ मेला होने वाला है और इसमें 13 अखाड़े हिस्सा लेने वाले हैं। वैसे तो हर साल कुंभ का मेला हर 12वें वर्ष में माना जाता है। लेकिन इस बार 11 वें साल में ये मेला हो रहा है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार कुंभ मेले का संयोग बृहस्पति के कुंभ राशि और सूर्य के मेष राशि में आने से बनता है। हर साल सूर्य का मेष राशि में आगमन 14 अप्रैल को होता है। जबकि हर 12 साल बाद ब्रहस्पति का कुंभ राशि में आगमन होता है। लेकिन, इस बार 11वें साल में ही 5 अप्रैल को ये आगमन हो रहा है।
कब होगा शाही स्नान
इस वर्ष 11 मार्च यानी शिवरात्रि के अवसर पर कुंभ मेले का पहला शाही स्नान होगा। कुंभ मेला 2021 में दूसरा शाही स्नान: 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या के दिन होगा। तीसरा मुख्य शाही स्नान, 14 अप्रैल मेष संक्रांति के दिन होगा और चौथा शाही स्नान: 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा पर होगा।
कुंभ स्नान का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ मेले के दौरान शाही स्नान करना बेहद ही शुभ होता है और ये स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। जो भी लोग कुंभ के दौरान पवित्र नदी गंगा में स्नान करते हैं और तीन डुबकी लगाते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।
हालांकि इस बार कोरोना के चलते कुंभ मेले में कुछ पाबंदियां लगाई गई है और मेले में आने वाले लोगों को नीचे बताए गए नियमों का पालन करना होगा।
- मेले में आने वाले लोगों को पहले अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। याद रखें की जिन लोगो का रजिस्ट्रेशन होगा। केवल वो ही लोग मेले में हिस्सा ले सकेंगे।
- जो लोग ट्रेन या बस से यहां पहुंचेंगे उन्हें कोविड के सभी नियमों का पालन करना होगा।
- थर्मल स्क्रीनिंग होने के बाद ही मेले में प्रवेश लेने की अनुमति दी जाएगी।
- मेले के दौरान सबको मास्क लगाना होगा।
- तट पर जूता पहनने की सख्त मनाही होगी।
गौरतलब है कि शास्त्रों के अनुसार चार निश्चित स्थानों में ही कुंभ का मेला आयोजित होता है। ये चार स्थान हरिद्वार में गंगा तट, प्रयागराज में गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम तट, नासिक में गोदावरी तट और उज्जैन में शिप्रा नदी का तट। कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला था तो अमृत की कुछ बूंदें इन चार नदियों में गिरी थी। इस बार ये मेला हरिद्वार में गंगा तट के किनारे होने वाला है।