सर्जरी करवा मर्द से बनी औरत, इन्टरनेशनल लेवल पर करेगी भारत का नाम रोशन, लगती है बेहद खूबसूरत
भारत में ट्रांसजेंडर लोगों को वह मान सम्मान नहीं मिल पाता है जिनके वे हकदार हैं। आज भी उनके साथ समाज में भेदभाव होता है। यहां कई लोग ऐसे हैं जिन्हें लगता है कि उन्होंने एक गलत जेंडर के शरीर में जन्म ले लिया है। इसके बाद वे सर्जरी करवा मर्द से औरत या औरत से मर्द बन जाते हैं। 22 वर्षीय ट्रांसजेंडर और मॉडल आर्ची सिंह (archie singh) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।
दिल्ली के एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली आर्ची सिंह ने 17 साल की उम्र में दुनिया को अपनी असली पहचान बताई थी। वे एक मर्द थी लेकिन हमेशा से ही खुद को एक महिला मानती आई थी। इस बात से उनके परिवार में किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने आर्ची को हमेशा सपोर्ट किया। शायद यही वजह है कि आज वे Miss International Trans 2021 में भाग लेकर माता पिता और देश का नाम रोशन करने जा रही हैं।
दरअसल कोलंबिया में इस साल Miss International Trans 2021 का आयोजन होने जा रहा है। इसमें भारत की तरफ से आर्ची सिंह ऑफिसियल एंट्री कर रही हैं। इस मुकाम पर पहुँचने के लिए उन्होंने लाइफ में बहुत संघर्ष किया है।
वे पहले सोशल वर्क किया करती थी। इसी के माध्यम से वे ट्रांसजेंडर के जीवन की सच्चाई लोगों तक पहुंचा उन्हें जागरूक करती थी। हालांकि इस बीच उनका रुझान मॉडलिंग में भी हुआ। जल्द ही उन्हें ये काम पसंद आया और वे इसे पूरे पैशन के साथ करने लगी।
मॉडलिंग करियर के बीच में उन्होंने जेंडर रीएसाइंगमेंट सर्जरी कराई और पूर्ण रूप से मर्द से महिला बन गई। इस नई जिंदगी में उन्होंने अपना पूरा फोकस करियर पर लगा दिया। जल्द ही वे मिस ट्रांस इंडिया बन गई। इसके अलावा वे कई फैशन शोज में स्टॉपर के रूप में हाइलाइट होने लगी।
अपने मॉडलिंग करियर के दौरान उनके साथ कई बार भेदभाव भी हुआ। उनका ट्रांसजेंडर होना लोगों को खटकता था। हालांकि अपने लुक और स्किल्स की बदौलत वे टॉप पर पहुंच गई। अब इस अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर वे भारत के लोगों का ट्रांसजेंडर के प्रति नजरिया बदलना चाहती हैं।
आर्ची को आशा है कि इतने बड़े प्लेटफार्म पर जीत हासिल कर भारत का नाम रोशन करने के बाद लोग ट्रांसजेंडर को मान सम्मान देंगे और उनके साथ भेदभाव नहीं करेंगे।
लोग ट्रांसजेंडरों को घृणा की दृष्टि से देखते हैं। आर्ची इस सोच को बदलना चाहती हैं। उनके अनुसार हमे इंसानियत देखना चाहिए न कि व्यक्ति का जेंडर। वे लोगों को इस सोच के लिए सजग और जागरूक बनाना चाहती हैं।