चाणक्य नीति: इन वजहों से जल्द बूढ़े होते हैं मनुष्य और घोड़े, आप भी जान लें
आचार्य चाणक्य एक लोकप्रिय शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री, न्यायविद और शाही सलाहकार थे. चाणक्य ने अपने जीवन से मिले कुछ अनुभवों को एक किताब ‘चाणक्य नीति’ में जगह दिया है. चाणक्य नीति में कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया गया है, जिस पर अमल करने से व्यक्ति अवश्य सफल होता है. चाणक्य ने अपनी किताब में बुढ़ापे को लेकर भी कुछ बातें बताई हैं. चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से बुढ़ापे का वर्णन किया है. चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि आखिर क्यों मनुष्य और घोड़े जल्दी बूढ़े हो जाते हैं.
श्लोक
अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।
अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।
चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति को जिन तीन कामों से सबसे जल्दी बुढ़ापा आता है, वे हैं- पुरुषों के लिए अधिक पैदल चलना, घोड़ों को बांधकर रखना और वस्त्रों के लिए धूप. चाणक्य ने कहा है कि किसी भी कार्य को मर्यादा में रहकर ही करना चाहिए. मर्यादा से बाहर जाकर किये गए काम से इंसान को हमेशा परेशानियों का ही सामना करना पड़ता है.
चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को उतना ही चलना चाहिए, जितना वह चल सकता है, यदि व्यक्ति आवश्यकता से अधिक चलता है तो वह थक जाता है और वह खुद को बूढ़ा महसूस करने लगता है. अर्थात जरूरत से ज्यादा चलने पर व्यक्ति की सांस फूलने लगती है और उसे बुढ़ापा महसूस होने लगता है.
वहीं, चाणक्य की मानें तो घोड़ा बंधा-बंधा बूढ़ा हो जाता है. अर्थात जो व्यक्ति घोड़े को बांधकर रखता है और उससे कोई काम नहीं लेता, ऐसे में घोड़ा बंधा-बंधा बूढ़ा हो जाता है. चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति को समय-समय पर घोड़े से काम लेते रहना चाहिए. उदाहरण के तौर पर यदि आप कपड़ों को धूप में ज्यादा समय के लिए सुखाते हैं तो उससे कपड़े खराब ही होते हैं और चाणक्य के अनुसार ऐसा करने से भी व्यक्ति जल्दी बूढ़ा होने लगता है.
इस कहावत पर एक श्लोक बिलकुल सटीक बैठता है और वह है- घोड़ा अड़ा क्यों? पानी सड़ा क्यों? रोटी जली क्यों? फेरा न था.
पढ़ें प्रेग्नेंसी में चाय या कॉफी, किस चीज़ को पीना सेहत के लिए है बेहतर, जानें इसका जवाब