‘गुरु गोबिंद सिंह’ के वीर पुत्रों को आज पीएम मोदी ने किया याद, पढ़ें- साहिबजाद की पूरी कहानी
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के लोगों से ‘मन की बात’ की और अपने इस कार्यक्रम के दौरान मोदी ने साहिबजाद की कहानी लोगों को सुनाई। पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमारे देश में आतताइयों से, अत्याचारियों से, देश की हजारों साल पुरानी संस्कृति, सभ्यता, हमारे रीति-रिवाज को बचाने के लिए कितने बड़े बलिदान किए गए हैं। आज उन्हें याद करने का भी दिन है। आज के ही दिन गुरु गोबिंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपना धर्म बदल लें। वो अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
मोदी ने सिखों के दसवें गुरु ‘गुरु गोबिंद सिंह’ से जुड़ी इस कहानी को सुनाते हुए आगे कहा कि हमारे साहिबजादाेेें ने इतनी कम उम्र में भी गजब का साहस दिखाया। इच्छाशक्ति दिखाई। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए।
क्या है साहिबजादाेेें की कहानी
गुरु गोबिंद सिंह के कुल चार बेटे थे जो कि साहिबजादे अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे। साल 1704 में पंजाब के चमकौर में गुरु गोबिंद सिंह और वजीर खान की अगुवाई में मुगलों की सेना में युद्ध हुआ था। मुगलों और सिख सेना के बीच ये काफी बड़ा युद्ध हुआ था। इस युद्ध में सिखों ने वीरता दिखाते हुए मुगलों की सेना को भारी क्षति पहुंचाई थी।
इस युद्ध में गुरुजी के दो पुत्र शहीद हो गए। वहीं, अन्य दो पुत्रों को मुगल की सेना ने पकड़ लिया था। जो कि साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह शामिल थे। इन्हें पकड़ने के बाद इनपर मुस्लिम धर्म अपनाने का जोर डाला गया। लेकिन इन्होंने मुस्लिम धर्म स्वीकार करने से मना कर दिया। जिसके कारण मुगलों ने इन दोनों को दीवार में जिंदा चुनाव दिया था।
साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह की बहादुरी का जिक्र आज पीएम मोदी ने किया और लोगों को इनकी कहानी के बारे में बताया।