17 साल की नंदिनी ने दुनिया के सामने पेश की मिसाल, जाते जाते कइयों को दे गई नई जिंदग..
मरने के बाद इंसान का शरीर किसी काम का नहीं रहता है। उसे या तो जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है। इसके बाद इस शरीर का कोई अस्तित्व नहीं होता है। हम बस दूसरों की यादों में जींद रहते हैं। ऐसे में यदि हम जाते जाते अपने मृत शरीर से किसी की जान बचा जाए तो ये बहुत ही अच्छी बात होती है। गुजरात के वडोदरा में रहने वाली 17 वर्षीय नंदिनी शाह (Nandini Shah) ने भी कुछ ऐसा ही क्या।
17 साल की नंदिनी की 18 दिसंबर को अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उसका तीन दिन तक इलाज चला लेकिन फिर डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। शायद नंदिनी समझ गई थी कि इस धरती पर उसका समय कम है। ऐसे में उसने अपने मरने के बाद शरीर के सभी अंग डोनेट करने की अंतिम इच्छा जताई। माता पिता ने दिल पर पत्थर रख ये इच्छा पूरी भी की। अब नंदिनी के अंगों से कई लोगों को नया जीवन मिलेगा।
नंदिनी की अंतिम इच्छा के अनुसार उनके पेरेंट्स ने बेटी के हार्ट, लंग्स, किडनियां, लीवर और दोनों आंखें वडोदरा के सविता अस्पताल में दान कर दी। वडोदरा में भी यह पहला ऐसा मामला था जब किसी ने एक ही शरीर से सात अंगों का दान किया हो। डॉक्टरों के मुताबिक सफल सरजी के बाद नंदिनी के हार्ट को ग्रीन कॉरिडोर से दिल्ली जबकि लंग्स को मुंबई पहुंचाया गया। वहीं उसकी दोनों आँखें और दोनों किडनियां व लीवर को अहमदाबाद के आईकेडी हॉस्पिटल भेज गया।
नंदिनी की मां क्रिमाबेन शाह भावुक होकर बताती हैं कि उनकी बेटी बचपन से ही दूसरों के लिए जीती आई है। अपने लास्ट टाइम में भी वह कई जिंदगियां बचा गई। नंदिनी घर की बड़ी बेटी थी। उसका एक छोटा भाई भी है। वह बड़ी होकर ब्यूटीशियन बनना चाहती थी।
वहीं नंदिनी के पिता नीरज शाह (Neeraj Shah) बताते हैं कि मेरी बेटी एक बहादुर बच्ची थी। बचपन से ही वह बड़े लोगों जैसे बातें किया करती थी। सभी यही कहते थे कि वह बड़ी होकर हमारा नाम रोशन करेगी। हालांकि जाते जाते इस तरह नाम करेगी कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
नंदिनी से प्रेरणा लेकर आप सभी भी अपने अंगों का दान (Organ Donation) कर सकते हैं। याद रहे आपके मरने के बाद शरीर एक बड़े मांस के टुकड़े के सिवाए कुछ नहीं रहता है। ऐसे में आपके द्वारा किया गया अंग दान किसी जरूरतमन्द को नई जिंदगी प्रदान कर सकता है।