सैनिटाइजर बन सकता है खतरा, जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से हो सकती हैं ये 5 गंभीर बीमारियां
कोरोना वायरस महामारी ने पूरे देश को अपने शिकंजे में कस लिया है। दिन पर दिन मामले लगातार बढ़ते ही जा रही हैं। सरकार के द्वारा कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं परंतु कोरोना वायरस सभी के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है। कोरोना संकट में हम सभी लोगों को बार बार हाथ धोने की हिदायत दी जा रही है। इस जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए लोग कई तरह की सावधानियां बरत रहें हैं।
कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। अगर हम इन सभी सावधानियों को बरतते हैं तो कोरोना से बचाव संभव हो सकता है। जो लोग साबुन से हाथ नहीं हो पाते, उन्हें हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करने को कहा जाता है। सैनिटाइजर हाथ के कीटाणुओं को मारता है परंतु क्या आप लोग जानते हैं कि सैनिटाइजर से नुकसान भी होते हैं।
जी हां, कोरोना खतरा कम करने वाले सैनिटाइजर के साइड इफेक्ट भी सामने आने लगे हैं। अगर सैनिटाइजर का लगातार प्रयोग किया जाए तो इससे त्वचा और शरीर के कई अंगों पर इसका खराब प्रभाव पड़ता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सैनिटाइजर के लगातार इस्तेमाल करने से हमारे शरीर को क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं? इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
फर्टिलिटी पर पड़ता है बुरा प्रभाव
विशेषज्ञों का ऐसा कहना है कि कुछ सैनिटाइजर एल्कोहॉल युक्त होते हैं तो कुछ सैनिटाइजर नॉन एल्कोहॉलिक होते हैं। जो सेनीटाइजर एल्कोहॉल वाले होते हैं, उनमें एथेनॉल मौजूद होता है जो एंटीसेप्टिक का कार्य करता है। वहीं जो सैनिटाइजर नॉन एल्कोहॉलिक होते हैं, उनमें ट्राइक्लोसन या ट्राइक्लोकार्बन जैसे एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। एक अध्ययन में यह बात सिद्ध हो चुकी है कि ट्राइक्लोसन फर्टिलिटी के लिए नुकसानदायक साबित होता है।
हॉर्मोनल सिस्टम बिगड़ने की समस्या
अगर एल्कोहॉलिक सैनिटाइजर का अधिक इस्तेमाल किया जाए तो इससे हॉर्मोनल बैलेंस बिगड़ने की समस्या उत्पन्न होने लगती है। एल्कोहॉलिक सैनिटाइजर में ट्राइक्लोसन मौजूद होता है जो इन्फर्टिलिटी के साथ ही हार्मोनल बैलेंस के बिगड़ने की समस्या बनती है, जिसकी वजह से कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।
मेथनॉल से पहुँचता है अधिक नुकसान
कोरोना वायरस महामारी के बीच बाजार में बहुत से सैनिटाइजर उपलब्ध हैं। संकट की इस घड़ी में सैनिटाइजर का व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो सैनिटाइजर में मेथनॉल केमिकल मिलाकर बेच रहे हैं। अगर ऐसे सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाए तो इसके कारण नींद ना आना, चक्कर आना, उल्टी लगना, दिल घबराना, अंधेपन जैसी समस्याओं का खतरा अधिक रहता है। ऐसे सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने से इसका प्रभाव सीधे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है, जिसकी वजह से इंसान की जान जाने की भी संभावना रहती है।
इम्यून सिस्टम होता है कमजोर
अगर नॉन एल्कोहॉलिक सैनिटाइजर का अधिक प्रयोग किया जाए तो इसकी वजह से इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है, जिसके कारण गंभीर बीमारियों से बचाव में भी कमी आने लगती है। नॉन एल्कोहॉलिक सैनिटाइजर में प्रयोग किए जाने वाला ट्राइक्लोसन मनुष्य के इम्यून सिस्टम पर प्रभाव डालता है।
त्वचा का रूखापन
यदि सैनिटाइजर का अधिक प्रयोग किया जाए तो इसकी वजह से त्वचा में जलन जैसी परेशानी उत्पन्न होने लगती है। इतना ही नहीं बल्कि हाथों में खुजली होना और हाथों में लाल चकत्ते पड़ने जैसी समस्या होने की संभावना अधिक रहती है। त्वचा में रूखापन भी आने लगता है।