वाह! दोस्ती हो तो ऐसी, झोपड़ी में रह रहे दोस्त की हालत देख स्कूल फ्रेंड्स ने तोहफे में दिया घर
ऐसा कहा जाता है कि दोस्ती का रिश्ता सबसे खास होता है। बिना दोस्त के जीवन बिल्कुल अधूरा माना जाता है। हर इंसान यही चाहता है कि उसको सच्चा दोस्त मिले। वैसे जीवन के हर मोड़ पर बहुत से लोग मिलते हैं परंतु कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दिल में जगह बना लेते हैं। दोस्ती तो आसानी से हो जाती है परंतु एक सच्चा दोस्त बार-बार नहीं मिलता है। स्कूल टाइम में हमारे बहुत से दोस्त हुआ करते थे। शायद आपको अपने पक्के दोस्त का नाम भी याद होगा परंतु जो वक्त आने पर काम आ जाए, वही सच्चा दोस्त कहलाता है। आज हम आपको एक ऐसी सच्ची कहानी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी कहेंगे “वाह! दोस्ती हो तो ऐसी।” अक्सर देखा गया है कि स्कूल के दोस्त बड़े होने के साथ-साथ अधिकतर लोग भूल जाते हैं लेकिन हम आपको स्कूल के कुछ ऐसे दोस्तों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपनी पूरी दोस्ती निभाई है।
खबरों के अनुसार ऐसा बताया जा रहा है कि 44 वर्षीय मुत्थु कुमार ट्रक चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। लॉकडाउन से पहले वह महीने के लगभग 10,000 से 15000 कमा लेते थे परंतु लॉकडाउन लगने के बाद इनकी हालत बेहद खराब हो गई। इनकी कमाई भी लगभग ना के बराबर होने लगी। लॉकडाउन के कारण 1-2 हजार ही कमाई हो पाती थी। ऐसी स्थिति में घर का गुजारा चला पाना बेहद मुश्किल हो गया। इनके परिवार में 6 सदस्य हैं जो एक झोपड़ी में अपना जीवन गुजार रहे हैं। आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी काफी मुश्किल हो रहा था।
मुत्थुकुमार सितंबर महीने में अपने एक स्कूल टीचर के घर मुलाकात करने के लिए गए थे। जहां पर वह अपने स्कूल के दोस्त नागेंद्रन से मिले। 30 वर्षों के बाद नागेंद्रन से मुलाकात करके मुत्थुकुमार बेहद प्रसन्न हुए। और उन्होंने नागेंद्रन को अपने घर पर आने का न्योता दे दिया। जब नागेंद्रन अपने दोस्त मुत्थुकुमार के यहां पहुंचे तो उनके घर की हालत देखकर वह बहुत हताश हो गए। तब नागेंद्रन ने अपने दोस्त की सहायता करने की ठान ली और उनके स्कूल TECL हायर सेकेंडरी के दोस्तों के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से फंड एकत्रित किया।
नागेंद्रन ने ऐसा बताया था कि जब मैं अपने दोस्त के घर पहुंचा तो घर की हालत देखकर मैं बेहद दुखी हो गया था। गाजा चक्रवात ने घर की छत और आसपास के पेड़ों को तबाह कर दिया था। घर के अंदर जाने के लिए भी झुकना पड़ता था। तब मैंने अपने मित्र की सहायता करने का मन बना लिया और मैंने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उसके घर की तस्वीरें और वीडियो साझा की थी, जिसके बाद कईयों ने उसकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया था। बिना किसी इंजीनियर की सहायता से नागेंद्रन और उसके साथियों ने 3 महीने के अंदर लगभग 1.5 लाख रुपए में घर तैयार कर दिया। इसके बाद दिवाली पर नागेंद्रन और सभी दोस्तों ने मुत्थुकुमार और उसके परिवार को नया घर बनवाकर उपहार के रूप में दिया। नागेंद्रन का ऐसा कहना है कि “भले ही हम संपर्क में नहीं रहे, लेकिन स्कूल के दोस्त हमेशा खास होते हैं। अगर किसी दोस्त के ऊपर किसी प्रकार की मुसीबत आती है तो ऐसी स्थिति में दोस्तों की सहायता अवश्य करनी चाहिए।”