फारूक अब्दुल्ला ने फिर दिया बेतुका बयान, कहा-भारत में नहीं चीनियों के साथ खुश रहेंगे कश्मीरी
जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला बेतुके बयान देने में लगे हुए हैं। पहले लोकसभा में एक बयान देते हुए इन्होंने कहा था कि कश्मीर खुद को न भारतीय मानते हैं और न ही भारतीय होना चाहते हैं। वहीं अब एक इंटरव्यू में इन्होंने इसी तरह का एक और बयान दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू में कहा है कि ‘ईमानदारी से कहूं तो मुझे हैरानी होगी अगर उन्हें (सरकार) वहां कोई ऐसा शख्स मिल जाता है, जो खुद को भारतीय बोले। आप जाइए और वहां किसी से भी बात कीजिए.. वे खुद को भारतीय नहीं मानते हैं। न ही पाकिस्तानी। मैं ये आपको स्पष्ट कर दूं। पिछले साल 5 अगस्त को उन्होंने जो किया, वह ताबूत में आखिरी कील था।’
आपको बता दें कि अपने इस इंटरव्यू में फारूक अब्दुल्ला ने केवल उन्हें, उन्होंने जैसे शब्दों का प्रयोग भारत के पीएम व सरकार के लिए किया। 83 साल के अब्दुल्ला ने 44 मिनट 28 सेकंड के वीडियो इंटरव्यू में केवल सरकार पर ही निशाना साधा और कश्मीरियों को भारतीय नहीं माना। इन्होंने कहा कि ये वहां के लोगों का मूड है, क्योंकि कश्मीरियों को सरकार पर कोई भरोसा नहीं है। विभाजन के वक्त घाटी के लोग पाकिस्तान जा सकते थे। लेकिन इन लोगों ने गांधी के भारत को चुना था न कि मोदी के भारत को। आज दूसरी तरफ से चीन आगे बढ़ रहा है। अगर आप कश्मीरियों से बात करें तो कई लोग चाहेंगे कि चीन भारत में आ जाए। जबकि उन्हें पता है कि चीन ने मुस्लिमों के साथ क्या किया है। मैं इस पर बहुत गंभीर नहीं हूं। लेकिन मैं ईमानदारी से कहा रहा हूं, जिसे लोग सुनना नहीं चाहते।
हर गली में खड़े हैं एके-47 लिए सुरक्षाकर्मी
फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर घाटी के लोगों को डराने का आरोप भी लगाया और कहा है कि अगर वे घाटी में कही भी भारत के बारे में कुछ बोलते हैं, तो कोई सुनने वाला नहीं है। हर गली में एके 47 लिए हुए सुरक्षाकर्मी खड़ा है। आजादी कहां है?’
लोकसभा में कही थी यही बात
मंगलवार को फारूक अब्दुल्ला ने लोकसभा में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करना चाहिए। इन्होंने सरकार से कहा था कि उन्हें पिछले साल 5 अगस्त को उठाए गए कदमों के बारे में सोचने की जरूरत है।
दरअसल अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर से हटाने के बाद से इस राज्य के नेताओं का बुरा हाल हो गया है। क्योंकि इस अनुच्छेद की आड़ में घाटी के नेता लोगों की आवाज दबाया करते थे और ऐशो आराम से जी रहे थे। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद इन नेताओं के ऐशो आराम खत्म हो गए हैं और जिन सरकारी घरों में इन्होंने कब्जा किया हुआ है, वो इन्हें खाली करने पड़ रहे हैं। जिसकी वजह से ही इन्हें इतनी तकलीफ हो रही है और ये फिर से अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर में वापस चाहते हैं।