12.50 लाख रुपए लगे कोरोना के इलाज में तो गुजरात के बिजनेसमैन ने दफ्तर को बना डाला अस्पताल
सूरत में एक बिजनेसमैन ने कोरोना काल में गरीब लोगों की मदद करने के लिए अपने दफ्तर को अस्पताल में बदल दिया। ताकि गरीब लोगों का मुफ्त में और सही से इलाज हो सके। सूरत में प्रॉपर्टी का काम करने वाले कादर शेख के अनुसार उन्हें और उनके परिवार वालों को कोरोना वायरस हो गया था। जिसके कारण ये सभी काफी दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। इनको अस्पताल की और से साढ़े बारह लाख रुपए का बिल थमाया गया था। लेकिन दुख की बात ये है कि इनका इलाज सही से नहीं किया गया।
कादर शेख बताते हैं कि मेरे घर में मुझे, मेरी मां और भाई को कोरोना हुआ था। मेरी मां 45 दिनों में कोरोना से रिकवर हुईं। मेरा भाई 24 दिनों तक एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट रहा। हमें साढ़े बारह लाख रुपए का बिल दिया गया। इतना पैसा देने के बाद भी भाई की हालत खराब ही थी और वो काफी कमजोर हो गया था। कादर शेख के अनुसार उनसे तीसरे दिन चार्ज के नाम पर पैसे वसूले जाते थे। वहीं इलाज पूरा होने के बाद उनको साढ़े बारह लाख रुपए का बिल दिया गया था। जिसके बाद इन्होंने सांसद से फोन करवाया। तब जाकर एक लाख रुपए अस्पताल वालों ने कम किए। वहीं भाई की कोरोना रिपोर्ट आने पर उसे पॉजिटिव मरीजों वाले वार्ड में ही रखा गया था।
इस हादसे के बाद कादर शेख ने सोचा कि इतने पैसे देने के बाद जब हमारा इलाज सही से नहीं हुआ, तो गरीब लोगों का क्या होता होगा। जिनके पास इतने पैसे नहीं है। इसलिए कादर शेख ने कोरोना मरीजों के लिए एक अस्पताल बनाने का फैसला किया। जहां फ्री में सबको इलाज मिल सके।
अस्पताल खोलने के लिए सांसद से की बात
भाई के डिस्चार्ज होने के बाद कदर शेखर ने गरीबों के लिए कुछ करने का सोचा। इन्होंने सूरत के अडाजण में श्रेयम कॉम्पलेक्स में अपने तीन फ्लोर को अस्पताल में बदलने का फैसला किया और ऐसा करने के लिए सांसद से बात की। जिसके बाद सांसद ने तुरंत निगम अधिकारियों से बातचीत की और अस्पताल तैयार करने की परमिशन मिल गई। 20 दिन में अस्पताल तैयार हो गया।
दफ्तर के दो फ्लोर पर 42-42 बेड रखे गए हैं और एक फ्लोर में मेडिकल स्टाफ के रुकने की जगह बनाई गई है। यहां पर 10 आईसीयू बेड भी हैं। साथ में ही हर बेड पर ऑक्सीजन की सुविधा भी है। इलाज के साथ खाने पीने व दवाइयों की सारी सुविधा रखी गई है। इस अस्पताल का संचालन सूरत नगर निगम कर रहा है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस के केस रोजाना बढ़ते जा रहे हैं। इस वायरस की चपेट में 50 लाख से अधिक लोग आ चुके हैं। दुख की बात ये है कि निजी अस्पताल वाले इलाज के नाम पर लोगों से लाखों रुपए की रकम वसूल रहे हैं। जबकि सरकारी अस्पतालों में सही से इलाज नहीं किया जा रहा है।