इन वजहों से उडी पाकिस्तान की नींद, परमाणु हमले के डर में रातें गुजार रहा है पाकिस्तान
आजकल पाकिस्तान टेंशन में है, पाकिस्तान के नीति निर्माताओं की नींद उडी हुयी है. क्योंकि अब उन्हें इस बात का डर है कि कहीं भारत कि सरकार उनपर परमाणु हमला न कर दे. बात बात पर भारत को परमाणु हथियारों की धौंस दिखाने वाले पाकिस्तान को आजकल नींद नहीं आ रही है.
दरअसल पाकिस्तान इस बात से डरा हुआ है कि भारत परमाणु हथियारों के प्रयोग के सम्बन्ध में अपनी नीति बदलने वाला है. परमाणु हथियारों के प्रयोग के सन्दर्भ में शुरू से ही भारत की नीति नो फर्स्ट यूज़ की रही है. लेकिन अब भारत अपनी नीतियों में बदलाव करने वाला है. भारत ने इस बारे में पहले ही संकेत भी दे दिए हैं. जिसके बाद से पाकिस्तान की धड़कने बढ़ गयी हैं.
पाकिस्तान की चिंता बढ़ने का दूसरा सबसे बड़ा कारण यह भी है कि भारत में भाजपा की सरकार है और उसमें भी सरकार के मुखिया पीएम मोदी है. जो कि भारत के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर तुरंत कड़ा से कड़ा एक्शन लेने में नहीं हिचकिचाएंगे. दुनिया भर के एक्सपर्ट अब मानने लगे हैं कि भारत सरकार अपने परमाणु हथियारों के प्रयोग की नीति में बड़े बदलाव करने वाली है.
दुनिया भर के सुरक्षा और विदेश मामलों के जानकारों को लग रहा है कि भारत सरकार जल्द ही अपने न्यूक्लिअर डॉक्टरिन में बदलाव कर सकती है. इससे पूरी दुनिया में यह सन्देश जा रहा है कि अब भारत अपनी संप्रभुता पर खतरा होने की स्थिति में परमाणु हथियारों का पहले प्रयोग करने से भी नहीं कतरायेगा. भारत अब परमाणु हथियारों का प्रयोग करने के लिए दुश्मन के हमले का इंतजार नहीं करेगा.
पाकिस्तान की बढ़ी हुई बेचैनी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के पूर्व चेयरमैन एहसान उल हक ने एक बयां में कहा कि भारत परमाणु प्रयोगों से जुडी नीतियों में बदलाव कर सकता है और यह दुखद है कि ऐसा बीजेपी की सरकार के दौरान हो रहा है जो कट्टर हिंदूवादी पार्टी है.
एहसान उल हक ‘लर्निंग टु लिव विद द बॉम्ब, पाकिस्तान 1998-2016’ नाम की किताब के विमोचन समारोह में बोल रहे थे. यह किताब पाकिस्तान के स्ट्रैटिजिक प्लानिंग डिविजन के डॉ नईम सालिक ने लिखी है.
असल में पाकिस्तान की यह चिंता इस बात से है क्योंकि वाशिंगटन में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय परमाणु नीति से जुडी कांफ्रेंस में भारत के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के विद्वान विपिन नारंग ने ऐसा बयान दिया था जिससे भारत की परमाणु नीतियों में बदलाव के संकेत मिले थे.
विपिन नारंग ने अपने व्याख्यान में कहा था कि भारत अपने दुश्मन की छोटी रेंज के परमाणु मिसाइल हमले तक सीमित नहीं रहेगा. भारत ऐसे व्यापक हमले करेगा जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के जखीरे को तबाह करना हो. ताकि भारत को बार बार जवाबी हमले न करने पड़ें और इससे भारत के शहरों पर भी परमाणु हमले के डर नहीं रहेगा. पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इस बात को तय किया जा सकता है कि भारत पाकिस्तान को पहले हमला करने का मौका नहीं देगा.
इतना ही नहीं पूर्व विदेश सचिव एस शिवशंकर ने भी कहा था कि परमाणु हथियारों से सम्पन्न देशों के खिलाफ भारत कब परमाणु हथियारों का प्रयोग लार सकता है यह बात स्पष्ट नहीं है.
पाकिस्तान अखबार डॉन में छपी खबर के मुताबिक हक ने भारत की गतिविधियों का हवाला देते हुए कहा कि भारत अपनी नीतियों से हटने का इशारा कर रहा है. और कई ऐसे भड़काऊ कदम भी उठा चुका है जिनसे स्पष्ट होता है कि भारत की नीतियों में बदलाव हो रहा है.
हक ने भारत के बलूचिस्तान, गिलगिट-बाल्टिस्तान के मुद्दे उठाने को उकसाने का प्रयास बताया और यह भी कहा कि पाकिस्तान को अलग थलग करने से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक सभी मुद्दे ऐसे हैं जिनके बाद पाकिस्तान को सावधान और सजग रहने की जरूरत है.