कोरोना-काल में ऑनलाइन क्लास नहीं ले पा रहे गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहा ये पुलिसवाला
कोरोना वायरस ने देश की हालत खस्ता कर रखी है। इससे न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है बल्कि देश के भविष्य यानि बच्चों की पढ़ाई का भी नुकसान हुआ है। अब अच्छे घर के लोग तो लैपटॉप या स्मार्टफोन के सहारे ऑनलाइन क्लास अटेंड कर लेते हैं। लेकिन उन गरीब बच्चों का क्या जो स्कूल की फीस ही बड़ी मुश्किल से दे पाते हैं। उनके पास न तो स्मार्टफोन है और न ही लैपटॉप। फिर कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनके गांव में ठीक से मोबाइल नेटवर्क ही नहीं आता है। इन बच्चों की पढ़ाई कोरोना के चलते नहीं हो पा रही है।
30 बच्चों की लगती है क्लास
ऐसे में Shanthappa Jademmnavar नाम के एक पुलिसकर्मी इस तरह के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाकर उनका भविष्य सवार रहे हैं। शांथप्पा बेंगलुरू के अन्नपूर्णेश्वरी नगर के थाने में सब-इंस्पेक्टर के रूप में तैनात हैं। वे रोज सुबह 7 से 8 करीब 30 बच्चों को पढ़ाते हैं और फिर 8:30 बजे अपनी ड्यूटी पर चले जाते हैं। वे इन गरीब बच्चों को वैदिक गणित, सामान्य ज्ञान सहित लाइफ की कुछ जरूरी बातें सिखाते हैं। बच्चों को होमवर्क भी दिया जाता है। जो अच्छा काम करता है उसे इनाम में चॉकलेट और जोमेट्री बॉक्स मिलता है।
इसलिए पढ़ा रहे बच्चो को
शांथप्पा बताते हैं कि इन बच्चों के माता पिता के पास ऑनलाइन या डिस्टेंस लर्निंग के कोई भी साधन जैसे स्मार्टफोन, टीवी और कंप्यूटर इत्यादि नहीं है। वहीं राज्य सरकार की विद्यागामा परियोजना (जिसमें टीचर्स को स्टूडेंट्स के घर भेजा जाता था) विफल रही। इसलिए मैंने इन्हें पढ़ाने का निर्णय लिया।
खुद भी पहले प्रवासी मजदूर थे
शांथप्पा खुद भी एक प्रवासी मजदूर थे। इसलिए उन्होने अपना उदाहरण देते हुए समझाया कि मैं पढ़ा लिखा तभी पुलिस में भर्ती हो सका। इसलिए आप भी अपने बच्चों को पढ़ाएं। यह समझने के बाद प्रवासी मजदूर अपने बच्चों को क्लास में भेजने को तैयार हुए।
खुद के पैसे खर्च करते हैं
जब शांथप्पा की यह स्टोरी वायरल हुई तो बेंगलुरू के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार ने उनकी तारीफ की। उन्होने आश्वासन दिया कि वे बच्चों के लिए जरूर कुछ जल्द से जल्द करेंगे। शांथप्पा बताते हैं कि उनकी यह क्लास कुछ दानकर्ताओं की हेल्प से चल रही है। वैसे वे स्वयं भी इस क्लास पर अपने जेब के पैसे खर्च करते हैं।
उम्मदी करते हैं कि आपको यह स्टोरी पसंद आई होगी। आप भी इस कोरोना काल में ऐसे बच्चों की मदद कर सकते हैं।