मिजाज के बेहद कंजूस थे ऋषि कपूर, नीतू कपूर ने सुनाया था कंजूसी का एक बड़ा ही मजेदार किस्सा
नौजवानों को प्यार का मतलब सिखाने वाले और लड़कियों को अपनी क्यूटनेस का दीवाना बनाने वाले ऋषि कपूर का जन्म 4 सितंबर 1952 में हुआ था। आज ऋषि कपूर अपना ये जन्मदिन मनाने के लिए इस दुनिया में मौजूद नहीं है, लेकिन उनकी यादें हर किसी के दिल में बसी हैं। ऋषि कपूर ने अपने 50 साल के फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक धमाकेदार फिल्में की। वो एक फिल्मी परिवार से थे और अभिनय उन्हें विरासत में मिला था। कहा जाता है कि जब उन्होंने चलना शुरु ही किया था तब वो आइने के सामने जाकर तरह तरह की शक्लें बनाया करते थे। उनके जीवन से जुड़े बहुत से दिलचस्प किस्से हैं। आज उनकी जयंती पर आपको बताते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें।
रविवार को शूट पर नहीं जाते थे ऋषि कपूर
फिल्मी दुनिया बेहद ही निराली हैं जहां वक्त और समय का पता नहीं चलता। कई बार त्यौहारों के मौको पर भी स्टार्स को फिल्मों की शूटिंग करनी पड़ती है। वहीं शनिवार और रविवार की छुट्टी तो स्टार्स जानते ही नहीं, लेकिन ऋषि कपूर के साथ ऐसा नहीं था। अपने चाचा और एक्टर शशि कपूर की तरह उन्होंने कभी रविवार को काम नहीं किया। ऋषि कपूर के लिए रविवार उनके परिवार का दिन होता था।
हालांकि ऋषि कपूर का नेचर अपने चाचा से बिल्कुल अलग था। वो अपने बच्चों के लिए एक अनुशासनप्रिय पिता थे जो अपने बच्चों से कम बातें करते थें। ये ही वजह थी कि रनबीर कभी भी ऋषि के बहुत करीब नहीं आ पाए। ऋषि में भी ये आदत अपने पिता से आई थी। जब वो छोटे थे तो उनकी भी अपने पिता के सामने आवाज नहीं निकलती थी।
बेहद कंजूस मिजाज के थे ऋषि कपूर
ऋषि कपूर के बारे में एक बात और बहुत मशहूर थी कि वो थोड़ें कंजूस मिजाज के थे। जब रनबीर 16 साल के हुए थे तो उन्होंने अपनी मां से एक कार की फरमाइश की थी। उस वक्त ऋषि ने ये कहकर कार खरीदने से मना कर दिया कि ये तुम्हारी कार चलाने की उम्र नहीं है। उनका मानना था कि बच्चे पैसे की अहमियत को समझें। वो अपने बच्चों को बिगाड़ना नहीं चाहते थे। जब तक खुद रनबीर और रिद्धिमा पैसे नहीं कमाने लगे तब तक उन्होंने इकॉनामी क्लास से सफर किया।
नीतू कपूर ऋषि की धर्मपत्नी थीं और उन्होंनें ऋषि के आखिरी वक्त तक उनका साथ निभाया। ऋषि की कंजूसी का एक किस्सा उन्होंने खुद सुनाया था। नीतू ने बताया कि,’खाने में चिंटू कोई कंजूसी नहीं बरतते थे। मुझे याद है कि जब हम न्यूयॉर्क गए तो वो मुझे मंहगे से मंहगे रेस्तरां में ले जाया करते थे और एक खाने पर सैकड़ों डॉलर खर्च कर दिया करते थे। हालांकि साधारण चीजों पर खर्च करने में उनकी जान निकलती थी। एक बार न्यूयॉर्क में ही अपने अपॉर्टमेंट से वापस लौटते हुए मैं सुबह की चाय के लिए दूध की एक बोलत खरीदना चाहती थी। उस समय आधी रात हो चुकी थी, लेकिन चिंटू सिर्फ इसलिए दूर की एक दुकान पर गए क्योंकि वहां दूध 30 सेंट सस्ता मिल रहा था’।
परिवार के सबसे बेहतरीन एक्टर थे ऋषि
ऋषि कपूर स्वभाव से कड़क और कंजूस जरुर रहे होंगे लेकिन वो एक बेहतरीन अभिनेता थे और इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता। जिसके परिवार में दादा, पिता और चाचा सभी बेहतरीन कलाकार हों वहां अपनी एक अलग पहचान बना पाना वाकई में तारीफ की बात है। खुद लता मंगेशकर ने कहा था कि,’ऋषि कपूर खानदान के सबसे होनहार अभिनेता थे’। उनके अभिनय की खासियत थी कि उनका सहज होकर काम करना।
ऋषि एक ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने वक्त के साथ कदम से कदम मिलाया और हर तरह के रोल किए। जब उन्हें लगा कि अब उनके हीरो वाला समय खत्म होने लगा है तो वो साइड रोल करने लगे। मौका मिला तो निगेटिव किरदार भी निभाया। कभी किसी प्यारी सी बेटी के बाप बन गए तो कभी खुद 70 साल के बेटे का किरदार निभा लिया। साल 2020 को 30 अप्रैल के दिन ऋषि कपूर हमेशा हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चले गए। उनका इस तरह से चले जाना हर किसी को सदमा दे गया, लेकिन एक अच्छी याद के साथ सबने उन्हें अलविदा कहा और उनकी यादों को अपने जेहन में हमेशा हमेशा के लिए कैद कर लिया।