अध्यात्म

गणेश भगवान की पूजा के बगैर अधूरा होता है कोई भी मंगल काम, इस वजह से कहलाए प्रथम-पूज्य देवता

हमारे हिंदू धर्म में कई देवी-देवता होते हैं जिनकी विशेष पूजा की जाती है। हर देवी-देवता का अपना विशेष महत्व है जैसे धन के लिए मां लक्ष्मी की पूजा होती है। वैसे ही विद्या के लिए मां सरस्वती की पूजा की जाती है, लेकिन किसी भी मांगलिक काम या देवी-देवता के पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

श्री गणेश को प्रथम पूज्य भी कहा जाता है। गणेश के प्रथम पूज्य होने के पीछे अलग अलग कारण बताए गए है, लेकिन हर ग्रंथ में उन्हें सबसे पहले पूजे जाने वाला देवता बताया गया है। हर काम के शुभारंभ से पहले कहा जाता है कि श्री गणेश कर लें। इसके पीछे तीन कथाएं हैं जिनसे पता चलता है कि गणेश भगवान को प्रथम पूज्य क्यों कहते हैं।

विघ्ननाशक हैं गणेश भगवान

लिंग पुराण के अनुसार देवताओं ने भगवान शिव से राक्षसों के दुष्टकर्म में विघ्न पैदा करने के लिए वर मांगा। शिवजी ने वर देकर देवताओं को संतुष्ट कर दिया। जब समय आया तो गणेश जी प्रकट हो गए। देवताओं ने श्रद्धा के साथ गणेश जी की पूजा किया। इसके बाद भगवान शिव ने गणेश भगवान को दैत्यों के काम में बाधा डालने का आदेश दिया। ये वजह है कि किसी भी मांगलिक काम या पूजा-पाठ में नकारात्मक शक्ति ना हो इसलिए विघ्नहर्ता गणेश भगवान की पूजा की जाती है। कहते हैं जो काम भगवान गणेश का नाम लेकर शुरु किया जाता है उसमें कभी बाधा नहीं आती है और सारा मंगल कार्य सफल होता है। साथ ही भगवान गणेश मनुष्यों के हर विघ्न को हर लेते हैं। उनकी शरण में गया इंसान हर दुख को पार कर जाता है।

सभी गणों के स्वामी है गणेश भगवान

महर्षि पाणिनी के अनुसार दिशाओं के स्वामी यानी अष्टवसुओं के समहू को गण कहते है। इनके स्वामी कोई और नहीं बल्कि गणेश भगवान है। इस वजह से इन्हे गणपति कहते है। गणेश जी की पूजा के बिना मांगलिक कामों में किसी भी दिशा से किसी भी देवी-देवता का आगमन नहीं होता। इस वजह से हर मांगलिक काम और पूजा से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जब भगवान गणेश की पूजा हो जाती है तभी धन-धान्य, सुख , वैभव घर में प्रवेश करता है और व्यापार फलता-फूलता है।

भगवान शिव ने दिया था आशीर्वाद

भगवान गणेश को प्रथम पूज्य कहने के पीछे एक कहानी भी है। शिव महापुराण कथा के अनुसार भगवान शिव और गणपति के बीच जबरदस्त युद्ध हुआ था। उस युद्ध में गणेश जी से लड़ते हुए भगवान शिव उनका सिर काट देते है। जैसे ही उनका क्रोध शांत होता है उन्हें समझ आता है कि उनसे क्या गलती हुई है। इसके बाद वो एक हाथी का मुख गणपति के शरीर से जोड़ देते है। जब माता पार्वती ये देखती हैं तो भगवान शिव से पूछती है कि इस रुप में उनके पुत्र की पूजा कौन करेगा। इसके बाद भगवान शिव गणेश जी की आशीर्वाद देते हैं कि सभी देवी-देवताओं की पूजा या किसी भी मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा होगी। जिस भी कार्यक्रम से पहले भगवान गणेश की पूजा नहीं होगी वो काम अधूर माना जाएगा। इस वजह से भगवान गणेश को प्रथम पूज्य होने का वरदान मिला। इस वजह से ही किसी भी शुभ काम से पहले भगवान गणेश को पूजा जाता है।

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