आधे से ज्यादा लोग करते हैं ‘राक्षस स्नान’, आज ही सुधारे अपनी गलती, जाने देव स्नान का सही तरीका
हिंदू धर्म में स्नान यानि कि नहाने को बड़ा ही अधिक महत्व दिया जाता है। हम कोई भी शुभ कार्य नहाने के बिना नहीं करते हैं। कई लोग तो मोक्ष प्राप्ति के लिए पवित्र नदियों में स्नान कर डूबकी भी लगाते हैं। वैसे घर में स्नान करने का भी अपना एक अलग महत्व होता है। इससे आपका शरीर तो स्वच्छ रहता ही है लेकिन साथ ही इसके अपने धार्मिक महत्व भी होते हैं। धर्म ग्रंथों में स्नान को चार केटेगरी में बांटा गया है – मुनि स्नान, देव स्नान, मानव स्नान और राक्षस स्नान। चलिए इन सभी के बारे में थोड़ा और विस्तार से जान लेते हैं।
मुनि स्नान
मुनि स्नान का समय सुबह 4 से 5 बजे तक का होता है। जो व्यक्ति इस समय नहा लेता है उसे मुनि स्नान के लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग सुबह 4 से 5 तक मुनि स्नान कर लेते हैं उनके घर में हमेशा सुख शांति बनी रहती है। उन्हें धन की कमी नहीं होती है। वे बीमार नहीं पड़ते हैं। उनके ज्ञान में वृद्धि होती है।
देव स्नान
देव स्नान का समय सुबह 5 से 6 बजे के बीच होता है। इस समय नहाने वाले लोगों को देव स्नान के लाभ मिलते हैं। माना जाता है कि देव स्नान करने से लाइफ में यश, मान सम्मान और प्रतिष्ठा मिलती है। धन की भी कभी कोई कमी नहीं आती है। जीवन सुखमय बीतता है। घर में शांति रहती है। आत्मा संतुष्ट रहती है।
मानव स्नान
मानव स्नान का समय सुबह 6 से 8 बजे के बीच होता है। इस समय स्नान करने को एक सामान्य चीज माना जाता है। हालांकि इसके भी अपने कुछ लाभ हैं। जैसे 6 से 8 बजे के बीच नहाने वालों को काम में सफलता मिलती है। भाग्य इनका साथ देता है। परिवार में एकता बनी रहती है। ये हमेशा अच्छा काम करते हैं और बुराई से दूर रहते हैं।
राक्षस स्नान
राक्षस स्नान को धर्म ग्रंथ में निषेध माना गया है। इसका समय 8 बजे के बाद का होता है। मतलब यदि आप 8 बजे के बाद नहाते हैं तो वह राक्षस स्नान कहलाता है। राक्षस स्नान करने का कोई लाभ नहीं होता है, बल्कि इसके कई नुकसान होते हैं। जैसे राक्षस स्नान करने वाले के जीवन में दरिद्रता (गरीबी) बनी रहती है। उसे अक्सर धन की हानी होती है। परिवार में लड़ाई झगड़ा होता रहता है। जीवन में कई दुख देखने पड़ते हैं। इसलिए आपको भूलकर भी राक्षस स्नान (8 बजे के बाद नहाना) नहीं चाहिए।