आखिर क्यों कुछ बच्चे रोते तो खूब हैं, मगर उनकी आंखों से आंसू नहीं बहते?
आंखों के बिना इस संसार में जीने की कल्पना करना बेमानी लगता है. आंखों के बिना जीवन कितना चुनौतीपूर्ण और कष्टदायक होता है, ये बात उनसे पूछिये जिनकी आंखें नहीं हैं. नेत्रहीन व्यक्ति इस दुनिया की उस खूबसूरती को नहीं देख पाते, जिन्हें आंख वाले आसानी से देख लेते हैं. आंखों को मस्तिष्क के बाद सबसे जटिल और नाजुक अंग माना गया है. कहा जाता है कि आंखें हैं, तो जहान है, वरना कुछ भी नहीं. यही वजह है कि आंखों को शरीर का सबसे खास अंग माना गया है.
कुछ बच्चे रोते हैं, तो आंसू क्यों नहीं गिरते:
शरीर का हर एक अंग जीव विज्ञान की क्रिया से संचालित होता है. शायद ही आपको पता हो कि एक नवजात शिशु को शुरुआत में दुनिया रंगीन नहीं दिखती है. उसे रंगों को पहचानने में थोड़ा वक्त लगता है. इसके अलावा भी नवजात शिशु की आंखें कई मायनों में अक्षम होती हैं. अगर आपने अपने आस-पास या फिर घरों में गौर किया हो, तो आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे रोते हैं, तो आंसू की नदियां बहा देते हैं, मगर कुछ बच्चे रोते तो बहुत हैं, मगर उनकी आंखों से पानी की एक बूंद तक नहीं गिरती.
रंगों को पहचानने में वक्त लगाती हैं आंखें:
आपने भी अक्सर बच्चों को बिना आंसुओं के रोते देखा होगा, वो कितना भी तेज रोएं पर आंसू की बूंदे उनके कोरों तक ही चिपकी रहती हैं. मगर आपने कभी सोचा कि आखिर ऐसा होता क्यों है?
आंसू बनाने वाली ग्रंथी है वजह:
दरअसल नवजात शिशु की आंखों से जुड़ी एक रोचक बात यह है कि उनके आंसू बनाने वाली ग्रंथी जन्म से ही पूर्ण विकसित नहीं होती. माना जाता है कि उस ग्रंथी को विकसित होने में करीब 13 सप्ताह का समय लगता है. यही वजह है कि जब वो रोते हैं, तो उनके आंखों में आंसू नहीं आते.
यह ग्रंथी के विकास पर निर्भर करता है. कुछ बच्चों में ये जल्दी ही विकसित हो जाती है, तो कुछ बच्चों में थोड़ी देर से. इसलिए अक्सर ऐसा देखा जाता है कि कुछ बच्चे रोते हैं, मगर उनकी आंखों से आंसू नहीं गिरते.