जानें कौन थी वो महिला जिन्होंने आजादी से 40 साल पहले ही विदेश में भारत का झंडा फहरा दिया था
भारत आज अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, इस दिन हमें अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी
कोरोना काल के बीच आज पूरा देश 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज के दिन हर भारतीय बहुत खास और गर्व महसूस करता है और देश के लिए कुर्बानी देने वाले वीर सपूतों को याद किया जाता है। 15 अगस्त 1947 के दिन हमारे देश को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी। इसके बाद से हर साल इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाने लगा। इस खास मौके पर भारत के पीएम लाल किले में ध्वजारोहण करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी भारतीय महिला भी थी जिन्होंने आजादी से 40 साल पहले ही विदेश में भारत का झंडा फहरा दिया था। आपको बताते हैं कौन थीं वो महिला और क्या थी वो घटना।
आजादी से 40 साल पहले लहराया था झंडा
जिस महिला ने 22 अगस्त 1907 को जर्मनी के स्टुटगार्ट नगर में सातवीं अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में झंडा फहराया था उनका नाम था भीकाजी कामा। हालांकि उस समय का झंडा वैसा नहीं था कि जैसा कि आज है।भीकाजी कामा भारतीय मूल की पारसी नागरिक थी, जिन्होंने लंदन से लेकर जर्मनी और अमेरिका तक का भ्रमण कर भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया था। बता दें कि भीकाजी द्वारा पेरिस से प्रकाशित होने वाला ‘वंदेमातरम पत्र’ प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय हुआ था।
हमारे देश का झंडा उस समय के झंडे से काफी अलग है। भीकाजी कामा ने जिस झंडे को जर्मनी में लहराया था उसमें देश के विभिन्न धर्मों की भावनाओं और संस्कृति को समेटने की कोशिश की गई थी। इस झंडे में इस्लाम, हिंदुत्व और बौद्ध मत को प्रदर्शित करने के लिए हरा, पीला और लाल रंग का इस्तेमाल किया गया था। साथ ही उसमें बीच में देवनागरी लिपि में वंदे मातरम लिखा हुआ था।
आजादी से पहले हो गया था भीकाजी का निधन
बता दें कि भीकाजी कामा ने अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में भाषण भी दिया था। उन्होंने कहा था, ‘भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक हैं। एक महान देश भारत के हितों को इससे भारी क्षति पहुंच रही है’। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों से भारत को दासता से मुक्ति दिलाने में सहयोग की अपील की थी और भारतवासियों का आह्वान करते हुए कहा था- आगे बढ़ो, हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तान हिंदुस्तानी का है।
भीकाजी कामा का जन्म 24 सितंबर 1861 को मुंबई में हुआ था। उनके अंदर लोगों की मदद और सेवा करने की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। भीकाजी को मैडम कामा भी कहा जाता है। भीकाजी एक संपन्न बिजनेस परिवार से थी और एक अमीर पारसी वकील से उनकी शादी हुई थी। हालांकि वो वकील अंग्रेज परस्त था इसलिए भीकाजी कामा उनसे अलग हो गईं और समाजसेवा में जुट गई। साल 1896 में मुंबई के प्लेग फैलने के बाद भीकाजी ने इसके मरीजों की सेवा की थी।
हालांकि बाद में वो खुद भी इस बीमारी की चपेट में आ गई थीं, लेकिन इलाज के बाद से वो ठीक हो गई थी। 74 वर्ष की आयु में 13 अगस्त 1936 को यानी की आजादी से कई साल पहले ही उनका निधन हो गया था।भारत के ऐसे ही वीर लोगों के चलते देश में आजादी की लहर उठी थी और स्वंतत्रता के लिए लड़ाई लड़ी गई।