मोहम्मद गजनवी ने तोड़ा था कृष्ण जन्म स्थान, आज उस जगह पर है ईदगाह मजिस्द?
आजादी के बाद जूनागढ़ रियासत पर एक मुस्लिम शासक का अधिकार था, जो जूनागढ़ को पाकिस्तान को हिस्सा बनाना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों से जूनागढ़ गुजरात हिस्सा बना। तभी सोमनाथ शिव ज्योतिर्लिंग को तोड़कर बनाई गई मस्जिद कुछ किलोमीटर दूर स्थानांतरित की गई और उस स्थान पर फिर से सोमनाथ मंदिर बनाया गया। लिहाजा अयोध्या में भी विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाए जाने का आंदोलन चलाया गया, इसमें बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है, जिन्होंने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली गई।
एल.के.आडवाणी के रथयात्रा से राम मंदिर निर्माण आंदोलन को एक नई दिशा मिली। हालांकि इसके बाद बाबरी मस्जिद के ढांचे को तोड़ दिया गया और पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में चला और अंततः राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया गया। लिहाजा 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण की नींव रखी और पूरे विधि विधान के साथ पूजा पाठ किया गया। बहरहाल आज हम कृष्ण जन्म स्थान के बारे में एक अहम बात बताने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि जैसे राम जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी, वैसे ही श्रीकृष्ण जन्म स्थान पर भी मंदिर बना था, जिसे तोड़कर मस्जित बना दी गई थी।
आज भी वहां है मस्जिद और ASI का लगा है पत्थर
इस बारे में तो आप भी जानते होंगे कि माता देवकी को बचाने के लिए वासुदेव ने कंस को वचन दिया था कि वो अपनी सभी संतानें पैदा होते ही उसे सौंप देगा। ऐसे में माता देवकी की जान तो बच गई, मगर कंस ने देवकी और वासुदेव को कैदी बना लिया। कैद के दौरान ही माता देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण के इसी जन्मस्थान पर कृष्ण जन्म स्थान मंदिर बना है।
मथुरा में स्थित इस मंदिर में लाखों की संख्या में हर रोज श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है, लेकिन इस मंदिर की सच्चाई ये है कि ये मंदिर जन्म स्थान पर नहीं बल्कि उससे कुछ दूरी पर बना है। बता दें कि मथुरा में अभी जिस स्थान पर कृष्ण जन्म स्थान मंदिर बना है, असल में उसके ठीक बगल में असली जन्म स्थान है। मालूम हो कि इस असली जन्म स्थान पर ईदगाह मस्जिद बनी है। यहां हर रोज इबादत होती है, फिर भी आप कह सकते हैं कि वो कृष्ण जन्म स्थान है।
सबूत के तौर पर ईदगाह मस्जिद पर ASI की पट्टी लगी है, जो साबित करता है कि यहां मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है। जबकि इस्लाम मानता है कि किसी भी मंदिर या विवादित ढांचे को तोड़कर बनाई गई मस्जिद पर इबादत करना हराम है। वैसे इस आर्टिकल का मकसद किसी भी तरह की हिंसा को जन्म देना नहीं है, बल्कि सच्चाई को सामने लाना है। बताते चलें कि खुदा भी नहीं चाहता है कि कोई भी धार्मिक स्थल तोड़कर उसमें इबादत की जाए, क्योंकि यह पूरी तरह से गलत है और गलत का साथ देना भी अपराध माना जाता है.