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क्रिकेटर बनने का सपना देखा करते थे विशाल भारद्वाज, एक हादसे ने बना दिया बॉलीवुड का ऑलराउंडर

विशाल भारद्वाज एक बेहतरीन निर्देशक, लेखक गायक और निर्माता हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा से नेशनल अवॉर्ड भी जीता है

बॉलीवुड के मशहूर निर्देशक विशाल भारद्वाज का जन्म 4 अगस्त 1965 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुआ था। आज विशाल अपना 55वां जन्मदिन मना रहे हैं। विशाल भारद्वाज सिर्फ एक प्रतिभावान निर्देशक ही नहीं बल्कि बेहतरीन लेखक, संगीतकार, गायक और निर्माता भी हैं। छोटे शहर में रहने वालों के सपने अक्सर बड़े होते हैं और अगर लगन सच्ची हो तो फिर उनका सपना पूरा भी हो जाता है। कुछ ऐसे ही सपनों के साथ यूपी के बिजनौर से निकले विशाल मायानगरी मुंबई पहुंचे और सफलता हासिल की। आज उनके जन्मदिन के मौके पर बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।

क्रिकेटर बनने का सपना देखते थे विशाल

विशाल भारद्वाज बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। लोगों ने बॉलीवुड में उनका काम देखा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो एक बहुत अच्छे क्रिकेटर भी रह चुके हैं?  बता दें कि विशाल ने मेरठ में रहते हुए स्टेट लेवल पर अंडर-19 क्रिकेट खेला है। विशाल एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन एक हादसे ने उनकी जिंदगी बदल दी। दरअसल एक टूर्नामेंट से ठीक पहले प्रैक्टिस सेशन के दौरान उनके अंगूठे की हड्डी टूट गई। इसके चलते वो कभी क्रिकेट नहीं खेल पाए।

हालांकि उनकी मंजिल कुछ और ही थी और इसकी समझ भी उन्हें बहुत जल्दी आ गई। महज 17 साल की उम्र में विशाल ने एक गाने का संगीत दिया। इसे सुनने के बाद उनके पिता ने इस बारे में संगीतकार ऊषा खन्ना से बात की। ऊषा खन्ना ने इसके बाद विशाल को फिल्म ‘यार कसम’ में ले लिया। अपना काम खत्म करने के बाद विशाल दिल्ली वापस आ गए और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। बता दें कि विशाल के पिता ने भी संगीत क्षेत्र में काम किया है।

फिल्मों और संगीत से जीता सबका दिल

विशाल ने अपनी पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से की। इस कॉलेज के एक फंक्शन के दौरान उनकी मुलाकात रेखा भारद्वाज से हुई। दोनों में पहली दोस्ती हुई और फिर मुलाकात बढ़ने लगी। धीरे धीरे से दोस्ती प्यार में बदल गई और साल 1991 में विशाल और रेखा ने एक दूसरे से शादी कर ली।

साल 1995 मे विशाल भारद्वाज ने फिल्म ‘अभय’ से संगीतकार के तौर पर डेब्यू किया। हालांकि उन्हें असली पहचान गुलजार की फिल्म ‘माचिस’ से मिली जिसमें उनका दिया संगीत जबरदस्त हिट हुआ। साल 2002 में बच्चों की फिल्म ‘मकड़ी’ से विशाल ने निर्देशन में एंट्री की और इस फिल्म का संगीत भी खुद ही दिया। साल 1998 में रिलीज हुई ‘सत्या’ और गुलजार की फिल्म ‘हुतूतू’ का संगीत भी विशाल ने दिया।

विशाल ने शुरु किया VB म्यूजिक

1999 में फिल्म ‘गॉडमदर’ के लिए उन्हें बेस्ट संगीतकार का नेशनल अवॉर्ड भी मिला।इसके अलावा विशाल ने फिल्म ‘ओमकारा’, ‘हैदर’ के लिए भी नेशनल अवॉर्ड जीता। बतौर निर्देशकर उनकी फिल्म ‘मकबूल’, ‘ओमकारा’, ‘कमीने’, ‘7 खून माफ’ और ‘डेढ़ इश्किया’ शामिल हैं। इन फिल्मों से विशाल ने फैंस के साथ-साथ क्रिटिक्स का भी दिल जीत लिया।

विशाल भारद्वाज की फिल्में हमेशा अलग थीम पर आधारित होती हैं और इसमें एक्टर्स हमेशा दमदार एक्टिंग ही करते दिखते हैं। हालांकि विशाल सिर्फ बेहतरीन फिल्में ही नहीं बनाते बल्कि उन्हें संगीत में भी बहुत रुचि है। अब इस दिलचस्पी को पूरा करने के लिए हाल ही में विशाल ने वीबी म्यूजिक के नाम से एक म्यूजिक लेबल शुरु किया है जहां वो हर महीने एक खूबसूरत गाना दर्शकों के सामने पेश करेंगे। विशाल की मानें तो वो लंबे समय से खुद का संगीत बनाना चाहते थे। अब वो हर गजल और संगीत को दर्शकों तक पहुंचा पाएंगे जिसे फिल्मो में नहीं डाला जा सकता है।  ऐसे में फैंस बहुत खुश हैं और उनके हर गाने का इंतजार कर रहे हैं।

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