आरोपी को जमानत देने के बदले कोर्ट ने रखी अनोखी शर्त, कहा -जिससे की छेड़खानी उसी से राखी बंधवाओ
‘रक्षाबंधन’ का त्योहार बड़ा ही पवित्र माना जाता है। इस दिन एक भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन लेता है। हालांकि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस दिन एक महिला के साथ छेड़खानी करने वाले आरोपी के सामने जमानत के बदले ऐसी शर्त रखी कि अब यह मामला सुर्खियों में आ गया है। दरअसल कोर्ट ने आरोपी से कहा कि यदि उसे जमानत चाहिए तो उसे रक्षाबंधन पर उस पीड़ित महिला से राखी बंधवानी होगी जिसके साथ छेड़खानी के आरोप में वो जेल में बंद है।
महिला ने लगाया छेड़खानी का आरोप
दरअसल यह पूरा मामला उज्जैन जिले की खाचरौद तहसील के ग्राम सांदला का है। यहां रहने वाले विक्रम बागरी (पिता भेरूलाल बागरी) पर आरोप है कि उसने 20 अप्रैल 2020 की रात एक महिला के घर घुस उसके साथ छेड़खनाई की थी। महिला के इस आरोप के बाद विक्रम पर भाटपचलाना थाना पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। दो जून को उसे हिरासत में भी लिया गया था।
आरोपी बोला मुझे फंसाया है
दो महीने तक जेल में रहने के बाद आरोपी विक्रम ने जमानत की याचिका दायर की थी। उसने कहा कि जिस महिला ने उसके ऊपर आरोप लगाया है उसके पति को उसने लॉकडाउन में कुछ पैसे उधार दिए थे। उस रात जब वो पैसे मांगने उनके घर गया था तो महिला ने उसके ऊपर छेड़खानी का आरोप लगा दिया।
कोर्ट ने जमानत के बदले रखी अनोखी शर्त
जब जस्टिस रोहित आर्या की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी तो यह फैसला दिया कि आरोपी को जमानत के लिए 50 हजार रूपए देने होंगे। इसके साथ ही तीन अगस्त रक्षाबंधन वाले दिन सुबह 11 बजे उसे अपनी बीवी के साथ पीड़िता के घर जाकर उससे राखी बंधवाना पड़ेगी। इतना ही नहीं उसे महिला को राखी के बदले रक्षा का वचन, मिठाई का डब्बा और 11 हजार रुपए भी देने होंगे। इसके साथ ही महिला के बेटे को मिठाई और कपड़े के लिए 5 हजार रूपए अलग से देने होंगे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी को पीड़िता से राखी बंधवाने के फोटोज भी कोर्ट में जमा करने होंगे। इसके अलावा महिला को दिए 11 हजार और बेटे को दिए 5 हजार रूपए की रसीद रजिस्ट्री के जरिए कोर्ट में पेश करनी पड़ेगी। यदि वो ऐसा नहीं करता है तो उसकी जमानत रिजेक्ट हो जाएगी।
इसके अलावा आरोपी को कोरोना काल में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी विभिन्न नियमों का पालन करने का भी कहा गया। जैसे सेफ सोशल डिस्टेन्स रखना, मोबाइल में आरोग्य सेतु एप होना, मास्क लगाना इत्यादि। इसके साथ ही आरोपी बिना कोर्ट की पर्मिशन के शहर के बाहर भी नहीं जा सकता है।
कोर्ट के इस अनोखे फैसले से सोशल मीडिया पर कई लोग खुश नहीं है। वैसे इस बारे में आपकी क्या राय है?