जानें विकास की मौत के 30 दिनों बाद कैसा है बिकरू का हाल, क्या कहे रहें हैं यहां के लोग
विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से बिकरू गांव के लोग काफी खुश हैं और अब यहां के लोग खुलकर जी पा रहे हैं। विकास दुबे के कारण इस गांव के लोग डरे हुए रहते थे और जो विकास चाहता था वही किया करते थे। लेकिन आज बिकरू गांव एकदम से बदल गया है। इस गांव के लोगों के बीच का डर खत्म हो गया है। कोटेदार सुरजन सिंह ने बताया कि विकास के जाने के बाद गांव में स्थिति सामान्य हो गई है।
गांव के लोग उठा रहे हैं आवाज
विकास दुबे का यहां इस कदर आंतक था कि वो जब चाहे किसी की जमीन पर भी कब्जा कर लेता था और उस पर निर्माण कार्य शुरू कर देता था। इस गांव के किनारे एक संपर्क मार्ग बनाया जा रहा है, जो कि ग्रामीणों की जमीन पर बन रहा है। विकास के कारण इस जमीन के मालिक चुप चाप बैठकर ये सब देखे रहे थे और चाहकर भी अपनी जमीन पर चल रहे निर्माण कार्य को रोक नहीं पा रहे थे। लेकिन विकास के मरने के बाद अब इन लोगों ने अपनी आवाज उठाना शुरू कर दी है और अपनी जमीन से निकाले जाने वाले रास्ते का काम रोक दिया है। गांव के लोग अब खुलकर बोल रहे है कि पंडी जी नहीं रहे जो आकर सब को धमका देंगे।
आसानी से मिल रहा है राशन
बिकरू गांव में किसानों को अब आसानी से राशन भी मिल पा रहा है। विकास के होते हुए किसान यहां पर अपने हक का राशन तक नहीं से पाते थे।
दरअसल बिकरू समेत आसपास की कई ग्राम सभाओं में हर महीने राशन नहीं बांटा जाता था। गांव वालों के अनुसार विकास के कारण ऐसा नहीं हो पाता था। अगर आज पंडी जी होते तो इस महीने भी राशन नहीं मिल पाता। विकास के फैसलों के खिलाफ किसी भी गांव वाले की जाने की हिम्मत नहीं होती थी और जो विकास कहता था वही होता था। वहीं अब विकास के मर जाने के बाद गांव के लोगों को इस महीने राशन मिल जाएगा।
10 ग्राम सभाओं तक फैला था विकास का आतंक
ग्रामीणों के अनुसार विकास का आतंक बिकरू तक ही सीमित नहीं था। विकास के आतंक से आसपास की दस ग्राम सभाओं के लोग दुखी थी। ग्राम पंचायत के चुनाव में विकास दुबे की ही चलती थी। विकास जिसे खड़ा करता था। सिर्फ वही जीतता था। लेकिन अब लोगों का कहना है कि पंडी जी का डर नहीं है। गांव के बहुत से लोग अब प्रधानी का चुनाव लड़ेंगे।
अभी भी पूरी तरह से नहीं हुआ डर खत्म
इस गांव के कई लोगों के मन से विकास का डर खत्म हो गया है। लेकिन अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो कि विकास के नाम से डर जाते हैं। इस गांव के कुछ बुजुर्ग अभी भी सहमे हैं। इस गांव के 80 फीसदी लोग विकासे के मरने से खुश हैं। जबकि 20 फीसदी लोग विकास दुबे के जाने से दुखी हैं।
गौरतलब है कि इसी गांव में विकास ने 8 पुलिसवालों को मार दिया था और फरार हो गया था। हालांकि पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद विकास का एनकाउंटर कर दिया गया था। जिसके बाद इस गांव के लोगों ने आजादी की सांस ली है।