सुशांत सिंह राजपूत के जीजा ओपी सिंह 1992 बैच के आईपीएस अफसर हैं और अभी फरीदाबाद के कमिश्नर ऑफ पुलिस के पद पर कार्यरत हैं। हाल ही में उन्होंने सुशांत को याद करते हुए कुछ भावुक किस्से शेयर किए हैं। आइये जानते हैं, आखिर ओपी सिंह ने क्या कुछ कहा है।
ओपी सिंह कहते हैं कि सुशांत एक सिंपल शोमैन थे। इसकी झलक मुझे पहली बार 24 मई 1995 को मिली थी। गॉगल्स और गले में रूमाल लगाए हुए सुशांत मंच पर तू चीज बड़ी है मस्त मस्त गाने पर शानदार परफॉर्मेंस दे रहे थे। ये मौका था उनकी बहन की शादी का, उसके इस शानदार डांस को देखकर ही मैं जान गया था कि ये कोई साधारण इंसान नहीं है।
सुशांत के चेहरे की मुस्कुराहट आज भी ज़हन में ताजा है…
सुशांत के जीजा ने कहा कि सुशांत एक तेज तर्रार दिमाग वाले छात्र थे, साल 1999 में वो पहली बार मेरे घर आए थे। ओपी सिंह ने बताया कि मेरे घर तक आने के इस सफर में सुशांत के साथ एक पुलिस कंमाडो भी था, जो उनकी सुरक्षा में तैनात था। मगर रास्ते में नींद आ गई और वो दोनों सो गए। इसके बाद चोरों ने उनके सामान और जूते चुरा लिए थे, फिर भी जब सुशांत मेरे घर पहुंचे, तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी।
सुशांत को कारों का काफी शौक था, एक बार सुशांत सुबह-सुबह मेरी कार लेकर चले गए। ओपी सिंह कहते हैं कि मुझे तो इस बारे में पता ही नहीं था, मुझे किसी का फोन आया और बताया कि आपकी कार गोल चक्कर में टकरा गई है। मैं अपने बड़े से सरकारी बंगले में सुशांत के वापस लौटने पर उन्हें डांटने की तैयारी कर रहा था, लेकिन एक बार वो फिर से अपना मुस्कुराता हुआ चेहरा ले आए और मेरा दिल पिघल गया। सुशांत का चेहरा देखकर मुझे उन्हें डांटने का मन नहीं हुआ।
सुशांत अपने लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता अपने पॉकेट में लेकर चलते थे…
ओपी सिंह कहते हैं कि उस उम्र में सुशांत का भी सपना दूसरे आम लड़कों की तरह ही था, सुशांत भी एक अच्छी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ना चाहते थे। लेकिन सुशांत और दूसरे लड़कों में फर्क इतना था कि सुशांत हमेशा अपने जेब में अपने लक्ष्य को पाने का रोडमैप एक चार्ट में लिखकर रखते थे।
मां को खोने का दर्द, सुशांत के लिए सबसे बड़ा दर्द था…
साल 2002 में सुशांत ने अपनी मां को खो दिया, सुशांत इस दुनिया में अगर किसी से सबसे ज्यादा प्यार करते थे तो वो उनकी मां थी। सुशांत के जीजा कहते हैं कि अपनी मां को खोने के बाद सुशांत पूरी तरह से टूट गए। वो अपनी मां के अंतिम संस्कार के लिए थोड़ा हिचकिचाए, जाहिर सी बात है एक बच्चे का दिमाग अपनी मां को मुखाग्नि देने का सोच भी नहीं सकता था। उन्होंने खुद को संभाला और अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। मां को खोने के बाद सुशांत काफी दिनों तक खामोश हो गए। उनका सपना था कि वो एक दिन मां को गर्व महसूस कराएंगे।
ओपी सिंह कहते हैं कि सुशांत एक बड़े सपने के पीछे भाग रहे थे और यही सपना उन्हें एक अलग उर्जा प्रदान करता था। और एक बड़े सपने के पीछे दौड़ना सुशांत के लिए सही साबित हुआ। सुशांत के जीजा कहते हैं कि मैं तो पहले ही कहता था कि ये एक दिन बड़ा फिल्म स्टार बनेगा साथ ही मैं सभी से कहता भी था कि इसका अभी से ऑटोग्राफ ले लो।
सुशांत ने अपनी जिंदगी में कड़ा संघर्ष किया…
सुशांत के बारे में बताते हुए ओपी सिंह कहते हैं कि आसानी से सुशांत का इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन हो गया, हालांकि उसकी बहनें रैंगिग को लेकर काफी चिंतित थीं। लेकिन सुशांत मुस्कुराते हुए घर से निकला था और कॉलेज में उसने अपने सीनियर्स को डांस मूव्स से खुश कर दिया। इस तरह से सुशांत ने काफी आसानी से रैगिंग के पड़ाव को पार कर दिया। ओपी सिंह बताते हैं कि सुशांत ट्यूशन भी पढ़ाया करते थे। सुशांत ने अपने कॉलेज में डांस एकेडमी ज्वाइन की थी और वो अपनी जेब में हमेशा अपना यूथ एंथम लेकर चलते थे। उनका यूथ एंथम कुछ ऐसा था-
”फटेला जेब सिल जायेगा..
जो चाहेगा मिल जाएगा..
अपने भी दिन आएंगे छोटे..
अच्छा-खासा हिल जायगा”
ओपी सिंह ने कहा कि सुशांत खुद की प्रैक्टिस से सिर्फ 6 साल में वर्ल्ड क्लास डांसर और एक्टर बन गए। सुशांत को याद करते हुए उनके जीजा कहते हैं कि एक बार फैमिली फ्रैंड के डिनर पार्टी के दौरान उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा था कि अभी तो वो मुंबई में एक स्ट्रगर हैं, लेकिन वो समय जल्द आएगा जब पूरे मुंबई शहर में मेरे पोस्टर लगेंगे।
एक बार हाइपर स्टार के एक ट्रेनर को सुशांत ने ये कहकर बोलती बंद करा दी थी कि जरूरी नहीं है कि हर कलाकार पैदाइशी कलाकार ही हो। हर किसी को हंसना, नाचना, गाना आता है। सुशांत ने कहा था, एक कलाकार वही करता है जो उससे करने को कहा जाता है। वहीं इंडस्ट्री के न्यूकमर्स की बेइज्जती करने वालों के लिए एक बार सुशांत ने कहा था कि तुम वही कर रहे हो, जो तुम्हें मिला था। मेरी बेइज्जती करके मेरा आत्मविश्वास नहीं तोड़ सकते और किसी के लिए इतनी नफरत ठीक नहीं है।
ओपी सिंह कहते हैं कि हम पूरे परिवार के लोग सुशांत को एक योद्धा राजकुमार के तौर पर देखते हैं, उन्होंने अपनी जिंदगी में कड़ा संघर्ष किया। वो बहादुरी से लड़े। सुशांत एक लोकप्रिय कलाकार थे, लेकिन लोकप्रियता पाने की पूरी प्रक्रिया में सुशांत ने अनगिनत जख्मों को झेला और ये जख्म इतने गहरे हो गए कि उन्हें मौत तक ले गए। हम उन्हें हमेशा मिस करेगे। ओपी सिंह ने कहा कि हम सुशांत को भरोसा देते हैं कि उनका कड़ा संघर्ष बर्बाद नहीं जाएगा। सुशांत को इस दुनिया में लोग ब्रूस ली की तरह याद करेंगे, जिन्होंने काफी कम समय में, बड़ा नाम हासिल किया।