क्या था शकुंतला देवी में खास जिसका रोल निभा रहीं विद्या बालन,खूबी ऐसी जो हर किसी में नहीं होती
बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन ने जिस शकुंतला देवी का किरदार निभाया है, उस शकुंतला देवी को मैथ की वंडर वूमेन भी कहा जाता है। चाहे कितना भी बड़ा कैलकुलेशन शकुंतला देवी को करने के लिए क्यों न दे दिया जाए, वे कुछ ही सेकंड में उसे हल कर देती थीं। लोग हैरान रह जाया करते थे।
धीरे-धीरे उस जमाने में मैथ की इस वंडर गर्ल ने तहलका मचाना शुरू कर दिया था। वह दुनिया जब कंप्यूटर के बारे में किसी को नहीं मालूम था। वह वक्त जब कैलकुलेटर तक नहीं था। उस समय बड़ी से बड़ी संख्या का कुछ ही सेकंड में जोड़, घटाव, गुणा और भाग शकुंतला देवी जुबानी कर देती थीं। लोग यह देखकर चकित रह जाते थे।
कहने लगे मानव कंप्यूटर
बिना किसी मशीन की सहायता लिए कठिन से कठिन गणितीय सवालों को सुलझाने की असाधारण प्रतिभा के कारण बचपन से ही शकुंतला देवी का नाम फैलने लगा था। स्वभाविक तौर पर उनमें यह प्रतिभा आई थी। यही कारण था कि जब कंप्यूटर इस्तेमाल में आने लगा तो शकुंतला देवी को मानव कंप्यूटर भी लोग कहने लगे।
सर्कस में काम करने वाले शकुंतला देवी के पिता उन्हें बचपन में ताश के पत्तों से गणित सिखाते थे। शकुंतला देवी की याददाश्त बड़ी तेज थी। जब वे केवल 3 साल की थीं, तभी से वे गणना करने लगी थीं। पिता ने उनकी अद्भुत प्रतिभा को समझ लिया था। कई बार अपने पिता को ताश खेलते हुए भी शकुंतला देवी ने हरा दिया था। ऐसे में पिता ने सर्कस में अपना काम छोड़कर पूरा ध्यान शकुंतला देवी पर देना शुरू कर दिया। उनके साथ उन्होंने सार्वजनिक कार्यक्रमों का आयोजन आरंभ कर दिया। शकुंतला देवी इससे लोकप्रिय होने लगीं।
बीबीसी रेडियो के एक कार्यक्रम में जब शकुंतला देवी से गणित का एक बहुत ही कठिन सवाल पूछा गया और इसका जवाब उन्होंने पलक झपकते दे दिया तो इसके बाद से पहली बार शकुंतला देवी सुर्खियों में आ गईं। शकुंतला देवी ने जो जवाब दिया था, वह सही था, जबकि रेडियो प्रस्तोता का उत्तर गलत था।
दुनियाभर में फैलने लगा नाम
शकुंतला देवी की असाधारण प्रतिभा की वजह से उनका नाम दुनियाभर में फैलने लगा। मैसूर यूनिवर्सिटी से लेकर अन्नामलाई यूनिवर्सिटी होते हुए दुनियाभर के संस्थान अब उनके बारे में जानने लगे। शकुंतला देवी न केवल एक कुशल गणितज्ञ थीं, बल्कि ज्योतिष शास्त्र की भी उन्हें अच्छी जानकारी थी।
इसके अलावा वे एक सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका भी थीं। द वर्ल्ड ऑफ नंबर्स, परफेक्ट मर्डर, एस्ट्रोलॉजी फॉर यू, और द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स जैसी किताबें शकुंतला देवी ने लिखी हैं। एलोगरिद्म के साथ जोड़, घटाव, गुणा, भाग, वर्गमूल, घनमूल और वैदिक गणित पर शकुंतला देवी की अच्छी पकड़ थी। पिछली शताब्दी के किसी तारीख के दिन और सप्ताह के बारे में पूछ लिया जाए तो वे तुरंत बता देती थीं।
शकुंतला देवी ने 13 अंकों की दो संख्याओं ‘2,465,099,745,779 और 7,686,369,774,870’ का गुणा 18 जून, 1980 को मानसिक रूप से करके मात्र 28 सेकेंड में इसका सही उत्तर 18,947,668,177,995,426,462,773,730 बता दिया था। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के कंप्यूटर विभाग में भी वे इसके लिए चयनित हुई थीं।
उस वक्त जो सबसे तेज गति से चलने वाला कंप्यूटर मौजूद था, शकुंतला देवी में उसे भी हराने की क्षमता थी। 4 नवंबर, 1939 को बेंगलुरु में जन्मीं शकुंतला देवी का नाम वर्ष 1995 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो गया। यह उनकी जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
शकुंतला देवी ने टेक्सास के दक्षिणी मेथोडिस्ट यूनिवर्सिटी में जनवरी, 1977 में संख्या 201 की 23वीं घात/रूट (20123) का सही उत्तर ‘546372891’ सिर्फ 50 सेकेंड में बताकर सभी को हैरान कर दिया था। यहां तक कि 13,000 निर्देशों वाले उस वक्त के सबसे तेज कंप्यूटर ‘यूनिवेक’ को भी शकुंतला देवी ने हरा दिया था। उसे इस गणना में 62 सेकेंड लग गया था। यहां तक कि सिर्फ एक मिनट में शकुंतला देवी 332812557 का घनमूल भी बता सकती थीं।
पति से हो गई थीं अलग
कोलकाता के एक बंगाली आईएएस अधिकारी परितोष बनर्जी से 1960 में शकुंतला देवी की शादी हुई थी, लेकिन 1979 में अपने पति से अलग होकर 1980 में वे बेंगलुरु लौट गई थीं। यहां उन्होंने राजनीतिज्ञों और सिलेब्रिटीज को ज्योतिषीय परामर्श देना शुरू कर दिया था। शकुंतला देवी जीवन के अंतिम दिनों में बहुत ही दुर्बल हो गई थीं। उन्हें गुर्दे की समस्या थी। लंबे समय तक बीमारी से लड़ने के बाद उन्होंने बेंगलुरु में 21 अप्रैल, 2013 को 83 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।
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