आज कल कोर्ट मैरिज या मंदिर में शादी करना पसंद कर रहे हैं कपल्स, जानिये इन के पीछे की वजह
भारत में शादी को शादी की तरह सेलिब्रेट नहीं किया जाता है। इसे एक बड़े त्योहार की तरह मनाया जाता है। यहां शादी का जश्न होता है। बड़े बड़े गार्डन होते हैं, महंगी महंगी ड्रेस पहनी जाती है, हजारों लोगों को 56 तरह के पकवान खिलाएं जाते हैं। इसके अतिरिक्त और भी न जाने क्या क्या दिखावा होता है। भारत में शादी हमेशा से दो लोगों का मिलन कम और बाहरी दिखावा अधिक रहा है। एक अच्छी शादी के चक्कर में माता पिता कंगाल होने की स्थिति तक आ जाते हैं। वे कर्ज के बोझ के नीचे दब जाते हैं।
हालांकि धीरे धीरे स्थिति बदल रही है और अब लोग इस बनावटी दिखावे को त्यागने लगे हैं। पिछले कुछ समय से कोर्ट में या मंदिर में शादी करने का चलन बहुत बड़ा है। लोग लाखों रुपए खर्च कर धूमधाम वाली शादी की बजाए सिंपल तरीके से खास लोगों के बीच शादी करना पसंद कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वो क्या वजह है जो कपल्स कोर्ट या मंदिर वाली शादी में इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं। चलिए जानते हैं।
भविष्य के लिए सेविंग
जब शादी होती है तो लाखों रूपए पानी की तरह एक झटके में बह जाते हैं। आज कल के कपल्स यह बात समझने लगे हैं। वे अपनी लाइफ को प्रैक्टिकली देखने लगे हैं। धूमधाम वाली शादी में जो पैसा खर्च होता है उसे कोर्ट या मंदिर वाली सिंपल शादी कर बचाया जा सकता है। यह बड़ा अमाउंट आपके भविष्य में काम आ जाता है। एक तरह से आपकी बहुत बड़ी सेविंग हो जाती है।
दिखावा पसंद नहीं
नई जनरेशन के कपल्स को समाज के कुछ लोगों में अपनी झाकी जमाने के लिए फालतू का दिखावा करना पसंद नहीं होता है। अब ग्रैंड वेडिंग कई कपल्स के लिए फिजूल खर्ची बन गई है। इसलिए वे एक दिन के दिखावे के लिए लाखों रुपए खर्च करना अक्लमंदी नहीं समझते हैं।
माता पिता पर बोझ न पड़े
जब भी शादी होती है तो माता पिता के जीवनभर की कमाई का एक बड़ा हिस्सा व्यर्थ चला जाता है। बहुत से पेरेंट्स को बच्चों की शादी करने के चक्कर में गले तक कर्ज में डूब जाते हैं। ऐसे में आज कल के बच्चे यह बात समझने लगे हैं। वे अपने पेरेंट्स पर फालतू का आर्थिक प्रेशर नहीं डालना चाहते हैं। इसलिए वे अपने बजट के अनुसार ही शादी प्लान करते हैं।
समय की कमी
आज के जमाने में लड़का, लड़की और उनके परिवार के सभी लोग जॉब करते हैं। उनके पास शादी की बड़ी बड़ी तैयारी करने का समय नहीं होता है। उनका फोकस अपने करियर पर अधिक होता है। काइयों को ऑफिस से लंबी लंबी छुट्टी नहीं मिल पाती है। ऐसे में वे फटाफट कोर्ट मैरिज या मंदिर में जाकर अपने कुछ खास रिलेटिव्स की मौजूदगी में शादी करना पसंद करते हैं।
परिवार की सहमति
पहले के जमाने में कपल्स कोर्ट मैरिज या मंदिर वाली शादी तभी करते थे जब पेरेंट्स शादी के खिलाफ होते थे। हालांकि इस नए जमाने में पेरेंट्स भी समझदार हो गए हैं। अब वे भी अपने बच्चों की सोच और विचारों का खुलकर स्वागर करने लगे हैं। इसलिए उन्हें भी इस तरह की शादियों से कोई दिक्कत नहीं होती है।
इंटरकास्ट मैरिज
आज के जमाने में अरेंज मैरिज धीरे धीरे कम होती जा रही है और इंटरकास्ट मैरिज बढ़ती जा रही है। कोर्ट या मंदिर वाली शादी करना इंटरकास्ट मैरिज के लिए एक बेहतरीन विकल्प होता है।