संजीत हत्याकांड: बहन ने जताई राखी बांधने की इच्छा, कहा शव ले आओ, आखिरी बार बांध दूं राखी
संजीत यादव अपहरण और हत्याकांड केस में पुलिस की लापरवाही की खूब आलोचना की जा रही है और मृतक के परिवार वाले अपने बेटे की हत्या के लिए पुलिस को जिम्मेदार मान रहे हैं। कानपुर के इस अपहरण और हत्याकांड केस को लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली और पुलिस की भूमिका पर काफी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इसी बीच संजीत यादव की बहन ने गुहार लगाई है कि उसके भाई की लाश उसे दे दी जाए ताकि वो आखिर बार भाई को देख सके और उसकी कलाई पर राखी बांध सके। इतना ही नहीं बहन ने अपने भाई के हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग भी की है।
क्या है पूरा मामला
संजीत का अपहरण कर लिया गया था और अपहरण करने वालों ने परिवार वालों से 30 लाख रुपए की मांग की थी। संजीत के परिवार वालों ने पुलिस से मदद मांगी थी। लेकिन पुलिस ने सही समय पर कोई एक्शन नहीं लिया। वहीं पुलिस के कहने पर परिवार वाले अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रुपए देने को राजी हो गए। पुलिस ने संजीत को बचाने के लिए और अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए पूरा प्लान तैयार किया था। लेकिन पुलिस नाकाम रही और संजीत को मार दिया गया। साथ में ही 30 लाख रुपए भी गायब हो गए।
संजीत की बहन रुचि का कहना है कि भाई का अपहरण होने के बाद उसने हर किसी से मदद मांगी और हर अधिकारी के पास वो गई। मगर किसी ने नहीं सुनी। अब हालात ये हैं कि उसके घर का कोई सहारा नहीं बचा है। रुचि के अनुसार अब कौन मां और पिता को सम्भालेगा।
पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप
पुलिस पर आरोप लगाते हुए रुचि ने कहा कि पैसे बैग में डालकर दिए गए थे। अगर अब आरोपी कह रहे हैं कि उन्हें पैसे नहीं मिलें हैं। तो इसका मतलब है कि पुलिस के पास पैसे हैं। रुचि का कहना है कि पुलिस के कारण ही उसके भाई की जान गई है। अगर पुलिस सही समय पर कार्रवाई करती तो शायद भाई बच जाता है। रुचि ने सरकार से अपील की है कि वो उसके भाई की मौत का बदला लें और दोषियों को फांसी दी जाए।
देरी से दर्ज की गई रिपोर्ट
संजीत 22 जून से लापता था। जिसके बाद उसके पिता ने 23 जून को बर्रा थाने की जनता नगर चौकी में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। संजीत के पति ने अपने बेटे की गुमशुदगी के पीछे बर्रा विश्वबैंक के राहुल यादव का हाथ बताया था। लेकिन पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया और चौकी इंचार्ज राजेश कुमार ने संजीत के पिता से कहा कि वो कहीं मौज-मस्ती करने गया होगा। इतना ही हीं राजेश कुमार ने संजीत के पिता को धमकी भी दी और कहा कि किसी पर गलत आरोप लगाओगे तो भुगतना पड़ेगा और तुम पर मानहानि का मुकदमा लिख दूंगा।
इसके बाद संजीत के पिता ने बर्रा थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर रणजीत राय से मुलाकात की। लेकिन इन्होंने संजीत के पति से कहा कि हथेली पर सरसों न जमाओ। तुम्हारा बेटा आ जाएगा। इस तरह से किसी ने भी संजीत के पिता की मदद नहीं की। वहीं 25 जून को पूरा परिवार एसएसपी दिनेश कुमार पी से मिला और उन्हें पूरा मामला बताया। जिसके बाद उनके आदेश पर 26 जून को दोपहर दो बजकर आठ मिनट पर बर्रा विश्वबैंक के राहुल यादव के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज हुई। बताया जा रहा है कि अपहरण के कुछ दिनों बाद संजीत की हत्या कर दी गई और उसका शव पांडु नदी में फेंक दिया गया।
पांच लोग किए गिरफ्तार
संजीत यादव लैब टेक्नीशियन था और इसका अपहरण दबौली निवासी ईशू उर्फ ज्ञानेंद्र यादव और कुलदीप ने किया था। ये दोनों संजीत के साथ काम करते थे। ईशू ने कुलदीप के साथ मिलकर अपहरण की साजिश रची और कुलदीप ने इसमें अपने साथी रामजी, नीलू सिंह और प्रीति को शामिल किया था। इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं संजीत यादव हत्याकांड में फिरौती के 30 लाख कहां गए हैं। इसकी जांच सरकार ने एडीजी पीएचक्यू वीपी जोगदण्ड को सौंपी है।