फल बेचने पर मजबूर हुई ये PHD होल्डर महिला, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर बयां किया अपना दर्द-VIDEO
लॉकडाउन के कारण करोड़ों लोगों की जिंदगी एकदम से बदल गई है। इंदौर की रहने वाली रायसा अंसारी की कहानी भी यही दास्तां बयां करती है। रायसा अपने पिता की फल की दुकान में काम करती हैं। लेकिन लॉकडाउन के कारण उनको नुकसान हो रहा है और कोई भी बाजार में आकर फल नहीं खरीद रहा है। रायसा अंसारी के अनुसार उन्हें अपने पिता से फल की दुकान विरासत में मिली है। रायसा का कहना है कि निषेधात्मक उपायों के चलते उनका व्यापार सही से नहीं चल पा रहा है और वो जिला कलेक्टर, नगर निगम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज हैं। रायसा काफी पढ़ी लिखी हैं, लेकिन नौकरी ना होने के कारण रायसा को सब्जी बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इन दिनों रायसा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। जिसमें ये अंग्रेजी बोलती हुई नजर आ रही है और सरकार के प्रति गुस्सा दिखा रही हैं।
लॉकडाउन ने किया परेशान
मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली रायसा कोरोना वायरस के कारण बार-बार लग रहे लॉकडाउन से परेशान है। इन्होंने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। रायसा के अनुसार वो देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर (Devi Ahilya University) की पूर्व स्कॉलर हैं और कोरोना काल के कारण उनकी सब्जी और फल कोई नहीं खरीद रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही वीडियो में ये कोरोनो संकट के मद्देनजर निषेधात्मक उपाय लागू करने को लेकर अपना गुस्सा जाहिर कर ही हैं। रायसा के अनुसार वो और उनके दोस्तों वर्तमान में फल और सब्जियां बेच रहे हैं। लेकिन कोरोना के कराण बाजार में लोग नहीं आ रहे हैं। जिससे की कोई भी फल, सब्जी नहीं बिक रही है। वहीं अब इंदौर में नगर निगम द्वारा ऑड ईवन लागू किया गया है जिससे की और नुकसान हो रहा है। रायसा के मुताबिक उनके और उनके दोस्तों के परिवार में 22 से 25 लोग हैं और उनकी 6 से 7 पीढ़ियां मंडी में काम कर चुकी है। रायसा ने बताया कि उनके पिता, दादा और परदादा भी इसी मंडी में सब्जी बेचते थे और वो ऐसे हालात में कहां जाए।
2011 में पूरी की पीएचडी
वीडियो में रायसा काफी अच्छी अंग्रेजी बोल रही है। वहीं जब इनसे उनकी योग्यता के बारे में पूछा गया, तो रायसा ने बताया कि उन्होंने भौतिकी में मास्टर ऑफ साइंस की है। रायसा के अनुसार देवी अहिल्या विश्व विद्यालय से वर्ष 2011 में वो पीएचडी कर चुकी हैं। ये पूछने जाने पर की वो इतनी पढ़ी लिखी होने के बाद भी ये काम क्यों कर रही हैं, इस पर रायसा ने कहा कि प्राइवेट नौकरी सुरक्षित नहीं है। मुझे काम कौन देगा, मुसलमानों से कोरोना वायरस उत्पन्न होने वाली धारणा के कारण कोई भी काम पर नहीं रखेगा। क्योंकि मेरा नाम रायसा अंसारी है, कोई कॉलेज या शोध संस्थान मुझे नौकरी देने के लिए तैयार नहीं है।
अधिकारियों ने खारिज किया ये दावा
जब प्रशासनिक अधिकारियों से रायसा के इस दावे के बारे में सवाल किया गया कि उनके मुस्लिम होने के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिल रही है। तो इस पर अधिकारियों ने कहा कि कोई भी सरकारी नौकरी योग्यता के आधार होती है। सरकारी नौकरी का धर्म और जाति से कुछ लेना देना नहीं है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस के कारण करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और रोजगार के लिए तरह-तरह के काम करने पर मजबूर हो रहे हैं। कोरोना वायरस के चलते काम छीनने के बाद से कई सारे लोग फल, सब्जी बेचने बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। ताकि कुछ पैसे कमा कर वो अपना गुजारा कर सके।