जान जोखिम में डाल 100Ft गहरे कुएं में तेंदुआ खोजने उतरा रेंजर, अंदर हुआ वो जिसकी उम्मीद नहीं थी
जानवरों के लिए अपनी जान जोखिम में डालने का साहस हर किसी में नहीं होता। जब बात जान पर आती है तो लोग जानवर की बजाए अपनी जान बचाना ही पसंद करते हैं। हालांकि सभी की सोच ऐसी नहीं होती है। कुछ नेक दिल लोग भी हैं जो खुद से पहले जानवरों के हित में सोचते हैं। अब मैसूर के फॉरेस्ट रेंजर सिद्धाराजू को ही ले लीजिए। जब इन्हें पता चला कि गांव में एक 100 फीट गहरे कुएं में एक तेंदुए के गिरने की खबर आई है तो वे तुरंत वहां चले गए। मौके पर आकर फिर रेंजर सिद्धाराजू ने जो किया वो काबिलेतारीफ था।
100 फीट गहरे कुएं में उतरा फॉरेस्ट रेंजर
दरअसल मैसूर के HD Kote में शनिवार को वन्य विभाग को स्थानीय लोगों द्वारा जानकारी मिली कि यहां एक 100 फीट गहरे कुएं में तेंदुआ गिर गया है। जब वन विभाग की टीम वहां पहुंची तो उन्होने बाहर से पहले तेंदुए को देखने की कोशिश की। कुएं के बहुत गहरे होने की वजह से उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया। ऐसे में उस तेंदुए की फिक्र करते हुए फॉरेस्ट रेंजर सिद्धाराजू ने एक ऐसी सलाह दी जिसे सुन हर कोई हैरान हो गया। उन्होने कहा कि मुझे एक पिंजरे में कैद कर कुएं में उतार दें। मैं नीचे जाकर तेंदुए को पहले ढूंढ लूंगा और फिर उसे बाहर निकाल लेंगे।
अंदर जाने पर मामला पलट गया
फॉरेस्ट रेंजर सिद्धाराजू ने खुद को एक लोहे के पिंजरे में कैद कर लिया। उन्होने हाथ में एक टॉर्च और एक मोबाइल फोन भी रख लिया। फिर रस्सी की सहायता से पिंजरे में बैठे फॉरेस्ट रेंजर को 100 फीट गहरे कुएं में उतारा गया। यहां उन्होने तेंदुए को तलाशने की बहुत कोशिश की लेकिन कुछ भी नहीं मिला। दरअसल कुएं के अंदर कोई तेंदुआ था ही नहीं। ऐसे में वे वापस उपर आ गए।
गांववाले जिद पर अड़े थे
Nagarahole Tiger Reserve के डायरेक्टर महेश कुमार के अनुसार स्थानीय लोगों से ही हमे सूचना प्राप्त हुई थी कि 100 फीट गहरे कुएं में तेंदुआ गिरा है। ऐसे में हमने पहले कैमरे के माध्यम से अंदर देखने का प्रयास किया लेकिन अंधेरा और अधिक गहराई होने की वजह से कुछ दिखा नहीं। लेकिन गांव वाले यह बात मानने को तैयार नहीं थे। वे जिद पर अड़े थे कि अंदर जरूर एक तेंदुआ है। ऐसे में उसे खोजने फॉरेस्ट रेंजर सिद्धाराजू पिंजरे में कैद होकर कुएं में उतर गए। हालांकि अंदर जाकर उन्हें पता चला कि यहां तो कोई तेंदुआ है ही नहीं।
महेश कुमार आगे बताते हैं कि इस इलाके में 3 कुएं हैं। यह सभी खुले पड़े हैं। लोगों ने कई बार ग्राम पंचायत से इन्हें ढकने की शिकायत भी की थी। उनका कहना है कि खुले कुएं होने की वजह से इसमें हमेशा किसी इंसान या जानवर के गिरकर मरने का डर बना रहता है।
अब कुएं के अंदर भले कोई तेंदुआ न निकला हो लेकिन फॉरेस्ट रेंजर सिद्धाराजू के जज्बे की हमे यहां तारीफ करनी होगी। उन्होने अपनी जान जोखिम में सिर्फ इसलिए डाल दी थी ताकि मुसीबत में फंसे एक तेंदुए की जान बचाई जा सके।