हिन्दू धर्म में अस्थियों को गंगा में विसर्जित करने के पीछे के धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण
भारत नदियों का देश है, यहां कई नदियां प्रवाहित होती है। हिन्दू धर्म में इन नदियों को देवी कह कर पूजा जाता है। इन सभी नदियों में गंगा नदी का स्थान सबसे ऊपर है। गंगा को मोक्षदायिनी कहा जाता है, यानी मोक्ष प्रदान करने वाली। धार्मिक ग्रंथों में गंगा का दर्जा काफी ऊंचा है, स्कन्द पुराण के अनुसार गंगा में स्नान करने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही इसमें स्नान करने मात्र से तीन तरह के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है, पुराणों में इन तीन पापों को दैहिक, दैविक और भौतिक कहा गया है।
वहीं यह भी मान्यता है कि माँ गंगा की एक धारा पृथ्वी पर बहती है, एक आकाश में तथा एक पाताल लोक में। यानी इस पूरे ब्रह्मांड पर माँ गंगा का वर्चस्व है, यही वजह है कि कोई भी शुभ काम बिना मां गंगा की उपस्थिति के हमारे यहां संभव नहीं है। चाहे बच्चे के मुंडन में निकले हुए बाल हों या मरने के बाद इंसान की बची हुई अस्थियां, सभी को गंगा में प्रवाहित करने की मान्यता है। हालांकि दूसरी नदियों में भी अस्थियों को विसर्जित किया जाता है, मगर फिर भी अस्थियां विसर्जन के लिए सबसे ज़्यादा महत्व गंगा नदी को ही दिया जाता है। आइए जानते हैं, अस्थियां प्रवाहित करने का गंगा से क्या कनेक्शन है।
भगवान विष्णु के चरणों से उद्गम हुई गंगा, भगवान शिव की जटाओं में रहती है।
गंगा को पूजनीय मानने के पीछे की मान्यता है कि गंगा का उद्गम भगवान विष्णु के चरणों से हुआ था, इसके बाद सृष्टि के पालनहार शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में रखा फिर इसके बाद वे पृथ्वी पर आई। वहीं गरुड़ पुराण जैसे कई ग्रंथों में गंगा को स्वर्ग की नदी कहा गया है, इसके साथ ही गंगा को देव नदी भी कहा जाता है यानी देवताओं की नदी। ऐसे में यह मान्यता है कि जिसका निधन गंगा किनारे हो जाये वो हर पाप से मुक्त हो जाता है, और उसका भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ जाने का रास्ता साफ हो जाता है।
प्रियजन की आत्मा को शांति मिले इसके लिए गंगा में प्रवाहित करते हैं अस्थियां
इसके साथी ही सनातन धर्म में मान्यता है कि अगर अस्थियों को गंगा में प्रवाहित किया जाएगा तो उनके प्रियजन की आत्मा को शांति मिलेगी। वहीं मोक्ष दायनी माँ गंगा के स्पर्श से मृतक के लिए स्वर्ग के दरवाज़े खुल जाते हैं। बता दें चाहे गंगा पृथ्वी पर प्रवाहित होती हो, मगर इसका निवास स्थान स्वर्ग ही बताया गया है। इसके साथ ही एक मान्यता यह भी है कि जो गंगा के किनारे देह का त्याग करते हैं, उन्हें यम अपने दंड से नहीं डराता।
यह है वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वहीं अगर अस्थियां विसर्जन को वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह परिणाम मिलता है कि अस्थियों में कैल्शियम और फॉस्फोरस अत्यधिक मात्रा में होता है, यह अगर खाद रूप में मिट्टी में जाता है तो इससे मिट्टी अत्यधिक उपजाऊ होती है। वहीं जलीय जंतु के लिए भी यह एक पौष्टिक आहार का काम करता है। इसके साथ ही गंगा देश की बड़ी नदी में से एक है, इसके पानी से एक बड़ा भाग सिंचित होता है। ऐसे में इसकी उर्वरक शक्ति क्षीण ना हो इसके लिए इसमें अस्थियां विसर्जित की जाती है।