अहमदाबाद की दिव्यांग महिला ऑटो चलाकर उठा रही है पूरे परिवार की जिम्मेदारी, पिता को है कैंसर
अगर इंसान अपने मन में कुछ करने की ठान ले तो वह नामुमकिन को भी मुमकिन बना सकता है। लेकिन अगर हम किसी महिला की बात करें तो, आजकल के समय में महिला, पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रहीं हैं। आप ऐसा कह सकते हैं कि आज की महिलाएं लड़कों से बिल्कुल भी कम नहीं हैं। औरतें हर मुसीबत का डटकर सामना करतीं हैं। आज हम आपको अहमदाबाद की एक ऐसी महिला के बारे में बताने वाले हैं जो दिव्यांग है, परंतु इन्होंने अपनी विकलांगता की वजह से जीवन में हार नहीं मानी है। बचपन में ही पोलियो की वजह से इनका बचपन छीन गया था। पोलियो के कारण इनका दायां पैर काटना पड़ा था। इसके बावजूद भी ऑटो रिक्शा चलाकर यह पिछले कुछ महीनों से अपने कैंसर से पीड़ित पिता का इलाज करवां रहीं हैं।
हम आपको जिस दिव्यांग महिला ऑटो ड्राइवर के बारे में जानकारी दे रहें हैं। इनका नाम अंकिता शाह है। अंकिता शाह अहमदाबाद की पहली दिव्यांग ऑटो ड्राइवर है। जीवन में मुसीबतें चाहे जैसी भी हो। अगर व्यक्ति कुछ करना चाहता है तो वह अपनी मुसीबतों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ता है। यह बात अंकिता शाह ने सच साबित की है।
बचपन में ही पोलियो के कारण काटना पड़ा था दाहिना पैर
आपको बता दें कि अंकिता शाह गुजरात के पलिताना की रहने वाली हैं। 10 साल पहले यह अपने परिवार के साथ अहमदाबाद में आकर रहने लगीं थीं। बचपन में ही पोलियो की बीमारी की वजह से इनका दाहिना पैर काटना पड़ गया था। यह काफी हताश हुई थीं। इनके बहुत से सपने थे। परंतु कटे हुए पैर की वजह से इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अंकिता शाह इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएट हैं। यह पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं।
जानिए क्यों किया था ऑटो रिक्शा चलाने का चुनाव?
जब अंकिता शाह अहमदाबाद आईं थीं, तब इन्होंने एक कॉल सेंटर के अंदर जॉब की थी। 12 घंटे की नौकरी में इनको मुश्किल से 12000 रुपये तनख्वाह मिलती थी। इसी दौरान इनको यह बात पता चली कि उनके पिताजी को कैंसर है। तब इनको अपने पिताजी के इलाज के लिए बार-बार अहमदाबाद से सूरत जाना पड़ता था। इनको छुट्टियां भी मिलने में बहुत मुश्किल होती थी। कम तनख्वाह होने की वजह से गुजारा चलाना बहुत ही मुश्किल था। तब इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया था
जब इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, तो इन्होंने बहुत सी कंपनियों में इंटरव्यू दिए थे। उस समय इनको घर का गुजारा चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, और पिताजी के इलाज की भी चिंता इनको सता रही थी। कई कंपनियों में इंटरव्यू देने के बावजूद भी इनको कहीं नौकरी नहीं मिली। हर कंपनी वाले इनके दिव्यांग होने का कारण बता रहे थे। इन्होंने आखिर में यह फैसला लिया कि अब यह ऑटो रिक्शा चलाना शुरु करेंगीं।
दोस्त से चलाना सीखा था ऑटो रिक्शा
अंकिता शाह के जीवन में तो मुश्किलें बहुत आईं थीं। इनके ऊपर परिवार की पूरी जिम्मेदारी भी थी। जब इन्होंने ऑटो रिक्शा चलाने का फैसला लिया, तब इनके परिवार वाले नहीं माने थे। लेकिन इन्होंने तो निश्चय कर लिया था, कि वह ऑटो रिक्शा चलाएँगीं। तब इन्होंने ऑटो रिक्शा चलाना अपने दोस्त लालजी बारोट से सीखा। वह भी दिव्यांग हैं, और ऑटो रिक्शा चलाते हैं। इनके मित्र ने ना सिर्फ इनको ऑटो चलाना सिखाया बल्कि इनको अपना कस्टमाइज्ड ऑटो लेने में भी सहायता की थी। जिसमें एक हैंड-ऑपरेटेड ब्रेक है। अंकिता के ऑटो और सपनों ने धीरे-धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी थी।
अंकिता शाह कमा लेती हैं 20 हजार रुपये तक महीना
अंकिता शाह ने बताया कि वह 8 घंटे ऑटो रिक्शा चलाकर महीने का करीब ₹20000 रुपये तक कमा लेती हैं, और यह भविष्य में अपना टैक्सी बिजनेस आरंभ करने का सोच रहीं हैं।
अंकिता शाह की जिद्द और हौसले के सामने इनकी विकलांगता हार मान गई। इन्होंने बड़ी ही हिम्मत के साथ कठिन परिस्थितियों का सामना किया। इनका मानना है कि दूसरी औरतों को भी उनसे हिम्मत मिलेगी और आगे बढ़ने का हौसला भी मिलेगा। इंसान को अपने जीवन की नकारात्मकता को हमेशा नजरअंदाज करना चाहिए। हम इनके जज्बे को सलाम करते हैं।