संघर्षो से भरा था टुनटुन का जीवन, लोगों को हंसाकर ऐसे बनीं बॉलीवुड की पहली कॉमेडियन
टुन टुन ने एक्टिंग में आने से पहले शर्त रखी थी कि अगर दिलीप कुमार के साथ फिल्म मिलेगी तभी फिल्मों में आएंगी
हंसना आसान है, लेकिन हंसाना बहुत मुश्किल है और अगर ये काम किसी औरत को करना हो तो फिर नामुमकिन मान लिया जाता है। हालांकि आज के दौर में भारती सिंह, सुंगधा मिश्रा जैसी स्टैंडअप कॉमेडियन हमारे सामने आ चुकी हैं जिन्होंने लोगों को बताया है कि हंसाने का काम सिर्फ पुरुषों का नहीं है बल्कि औरत भी हंसा सकती है। हालांकि इस लिस्ट में किसी का नाम सबसे पहले आता है तो वो है टुन टुन का। 11 जुलाई 1923 को यूपी के अमरोहा में जन्मीं टुन टुन का असली नाम उमा देवी खत्री था। टुन टुन बॉलीवुड की एक ऐसी अभिनेत्री थीं जिन्होंने 50-60 के दशक में बड़े पर्दों पर लोगों को हंसाने का काम किया। हालांकि उनकी निजी जिंदगी संघर्षों से भरी थीं। उनके जन्मदिन के मौके पर बताते हैं उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें।
बचपन में हो गई थी माता-पिता की हत्या
टुनटन का बचपन बहुत ही दुख में बीता था। जब वो बहुत छोटी थी तभी जमीन के लिए उनके माता-पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। बचपन में ही माता-पिता का साया सिर से उठ गया तो संगीत को टुनटुन ने अपनी छत बना लिया। उन्हें बचपन से गाने का शौक था। वो अक्सर रेडियो पर गाना सुनकर उसका रियाज किया करती थी।
जब वो छोटी थीं तभी से उनकी इच्छा थी कि वो मुंबई जाकर संगीत में अपना करियर बनाए। उस दौर में लड़कियों के लिए पढ़ाई करना बहुत मुश्किल था ऐसे में संगीत सीखना तो बहुत दूर की बात की थी। 23 साल की होते होते टुनटुन अपना घर छोड़कर भाग गईं। टुनटुन भागकर सीधे मुंबई में संगीतकार नौशाद अली के बंगले पर पहुंची और उनका दरवाजा खटखटाने लगीं।
नौशाद से की थी संगीत की जिद
नौशाद जब सामने आए तो उन्होंने जिद पकड़ ली कि अगर उन्हें गाना गाने का मौका नहीं मिला तो वो समुंदर में कूद जाएंगी। टुनटुन की जिद के आगे नौशाद हार गए और उनका छोटा सा ऑडिशन लिया। ‘वामिक अजरा’ फिल्म से टुनटुन को पहली बार गाने का मौका मिला। टुनटुन ने बहुत सारे गाने गाए जो अभी भी लोगों की जुबान पर चढ़े हुए हैं।
अफसाना लिख रही हूं, आज मची है धूम झूम खुशी से झूम जैसे सदाबहार गीत टुनटुन के ही गाए हुए हैं। हालांकि इस बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं कि इन शानदार गानों के पीछे टुन टुन ही थीं। टुन टुन का काम सही चल रहा था, लेकिन फिर नई गायकाओं के आने का दौर शुरु हो गया। उन्हें काम मिलना कम हो गया। नौशाद ने उन्हें फिल्मों में एक्टिंग करने का सुझाव दिया।
ऐसे बनीं बॉलीवुड की पहली कॉमेडियन
टुनटुन फिल्मों में आने को तैयार भी हो गईं, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि अगर दिलीप कुमार के साथ फिल्म होगी तभी वो एक्टिंग करेंगी। टुनटुन की बात सुनकर उस वक्त नौशाद हंस पड़े। टुनटुन हीरोइन की परिभाषा से बिल्कुल अलग थी। साथ ही दिलीप कुमार उस वक्त एक चर्चित कलाकार बन चुके थे। ऐसे में टुनटुन को दिलीप के साथ ही काम मिले ये जरुरी नहीं था। हालांकि 1950 में टुनटुन की ये इच्छा भी पूरी हुई और फिल्म ‘बाबुल’ में उन्हें दिलीप कुमार के साथ काम करने का मौका मिला।
टुनटुन ने बड़े पर्दे पर उस वक्त वो करिश्मा कर दिखाया जो किसी के लिए भी करना आसान नहीं था। उन्होंने अपनी अदाकारी का जादू चलाया और भारत की पहली कॉमेडियन बन गई। उस दौर की फिल्मों में उनके लिए खासतौर पर रोल लिखे जाते थे। उन्होंने उस दौर के सभी बड़े स्टार्स के साथ काम किया। अपने पांच दशक के करियर में उन्होंने 200 फिल्मों में काम किया। 90 का दशक आते-आते उन्होंने फिल्मों से खुद को दूर कर लिया। 24 नवंबर 2003 को टुनटुन हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गईं।