भारत की एनएसजी सदस्यता और चीन का विरोध ,आखिर क्यों है अटकलें?
नई दिल्ली: चीन ने एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर कड़ा ऐतराज़ जताया था। साथ ही चीन के एक सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के हवाले से ये खबर भी मिली कि सदस्यता के लिए भारत और पाकिस्तान समान रियायतों की भी मांग कर रहें हैं।इसमें पाकिस्तान के गरीब परमाणु प्रसार रिकॉर्ड को दोष दे कर,इसके लिए एक आदमी को जिम्मेदार और इस्लामाबाद को बरी करने की बात भी कही।
ग्लोबल टाइम्स से यह खबर भी तभी मिली जब एनएसजी के लिए सीओल में बैठक हो रही थी। “भारत के एनएसजी में शामिल होने से चीन के हित में कोई नुकसान नहीं होगा, भारत परमाणु अप्रसार और परमाणु निरस्त्रीकरण और खुद को चीन की तरह परमाणु का फले उपयोग न करने की अगुवायी करता है। यह नागरिक परमाणु ऊर्जा को द्विपक्षीय सहयोग से बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।” ,ग्लोबल टाइम्स का लेख।
गौरतलब है कि रविवार को ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि चीन एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध नहीं कर रहा है। 24 जून को सियोल में एनएसजी के सदस्य देशों की अहम बैठक है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनइंग ने कहा, ‘हमने इस बात पर बल दिया है कि एनएसजी गैर-एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) देशों के प्रवेश को लेकर अब भी बंटा हुआ है। मौजूदा परिस्थितियों में हम आशा करते हैं कि आम सहमति पर आधारित फैसला करने के लिए विस्तृत चर्चा करेगा।’
विदेश सचिव एस जयशंकर ने बताया,”24 जून सियोल में होने वाली एनएसजी की प्रमुख बैठक के एजेंडे में भारत को इस 48 सदस्यों वाले प्रतिष्ठित क्लब में शामिल करने का मसला शामिल नहीं है।”
“हम भारत या पाकिस्तान किसी भी देश को टारगेट नहीं कर रहे, हमें सिर्फ अप्रसार संधि (एनपीटी) की परवाह है।”: हुआ चुनयिंग ने कहा जो चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता है।
खैर चीन का रुख भारत को लेकर कितना साफ़ है ये तो 24 जून की बैठक के बाद ही तय होगा।