मौलाना के जनाज़े में टूट गई सारी हदें, 10 हजार लोग हुए शामिल तो प्रशासन ने उठाया बड़ा कदम
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन घोषित किया था। लंबे लॉकडाउन के बाद अब देश में अनलॉक की प्रक्रिया तेज़ी से शुरु हो चुकी है। इसी कड़ी में कई नियम कानून भी सरकार द्वारा बनाए गए हैं, ताकि कोरोना का संक्रमण कम किया जा सके। दरअसल, सरकार ने अभी किसी भी सोशल गैदरिंग को अनुमति नहीं दी है, लेकिन गुवाहाटी से एक ऐसा मामला सामने आ रहा है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक बनाने के साथ साथ कानून को भी ताक पर रख दिया। जी हां, असम के गुवाहाटी में एक मौलाना को आखिरी विदाई देने के लिए लगभग 10 हजार लोग पहुंच गए।
मामला असम के नगांव जिले का है, जहां एक मौलाना को आखिरी विदाई देने के लिए करीब 10 हजार लोग एकत्रित हो गए, जिससे गांव में कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हो गया। मामले की गंभीरता को समझते हुए प्रशासन ने तीन गांव को सील करने का फैसला लिया है, लेकिन सवाल बड़ा खड़ा होता है कि आखिर जब अंतिम संस्कार में फिलहाल 20 लोगों की ही अनुमति है, तो फिर प्रशासन की नाक के नीचे से 10 हजार लोग कैसे एकत्रित हो गए? इतना ही नहीं, मौलाना साहब विधायक अमिनुल इस्लाम के पिता थे, जो कि फिलहाल जमानत पर बाहर आए हुए हैं।
मौलाना के जनाजे़ पर पहुंचे करीब 10 हजार लोग
एक अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के मुताबिक, नगांव जिले में मौलाना को आखिरी विदाई देने के लिए भारी सैलाब उमड़ गया। दरअसल, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के विधायक अमिनुल इस्लाम के पिता खैरुल इस्लाम का 2 जुलाई को देहांत हो गया, जिसके बाद उन्हें आखिरी विदाई दी गई, लेकिन इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। बता दें कि मौलाना नॉर्थ ईस्ट में ऑल इंडिया जमात उलेमा और आमिर-ए-शरियत के उपाध्यक्ष थे, जिसकी वजह वे इलाके में बहुत ही ज्यादा मशहूर थे और फिर प्रशासन की नाक के नीचे उनके जनाज़े में लगभग 10 हजार लोग शामिल हो गए, जिसके बाद जिला प्रशासन को होश आया।
मौलाना के जनाज़े में जब लगभग 10 हजार पहुंच गए, तब पुलिस और प्रशासन की तरफ से एक्शन लिया गया। गांव के उपायुक्त जादव सैकिया के मुताबिक, इस सिलसिले में अब तक दो मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से एक पुलिस ने दर्ज किया है, तो वहीं दूसरा मजिस्ट्रेट की तरफ से किया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक, इस गांंव के आसपास के 3 गांवों में संपूर्ण रुप से लॉकडाउन लगा दिया गया है, ताकि कोरोना वायरस न फैले। इतना ही नहीं, सैकिया का कहना है कि इस गांव के लोग न तो मास्क लगा रहे थे और न ही सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर रहे थे, जिसकी वजह से फैसला लेना पड़ा।
अंतिम संस्कार में सिर्फ 20 लोगों की ही है अनुमति
बताते चलें कि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अंतिम संस्कार में केवल 20 लोगों के शामिल होने की अनुमति दी गई है, लेकिन मौलाना के जनाज़े में लगभग 10 हजार लोग शामिल हो गए। जानकारी के लिए बता दें कि देशभर में अब कोरोना संक्रमितों की संख्या 6 लाख 73 हजार के पार हो चुकी है, जिसमें से अब तक 19268 लोगों की मौत हो चुकी है। इन सबके बीच राहत की खबर यह है कि अब तक 409083 मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं, ऐसे में हमारी रिकवरी रेट अन्य देशों के मुकाबले बहुत ही ज्यादा अच्छी है।