गुरु पूर्णिमा विशेषः जन्म कुंडली पर अशुभ स्थान पर है गुरू तो करें ये उपाय, दूर होगी सभी समस्या
धर्म शास्त्रों में भी कहा गया है कि बिना गुरु के कृपा के ईश्वर नहीं मिलता
एक इंसान के जीवन में उसके माता-पिता सर्वश्रेष्ठ स्थान पर होते हैं, लेकिन गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊंचा होता है। जिस व्यक्ति के जीवन में गुरु होता है उसका जीवन सफल हो जाता है। धर्म शास्त्रों में भी कहा गया है कि बिना गुरु के कृपा के ईश्वर नहीं मिलता। ऐसे में जीवन में गुरु का होना बहुत ही जरुरी माना जाता है। आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का विशेष पर्व मनाया जाता है। आज 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा हैं। उज्जैन के एक ज्योतिषाचार्य के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में गुरु की स्थिति शुभ वहीं होती उन्हें पढ़ाई, नौकरी, दांपत्य, स्वास्थ जैसी सभी चीजों में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आप कुछ विशेष उपाय कर सकते हैं। इन उपायों को करने से आपके जीवन में सफलता आएगी और आप कामयाब होंगे।
गुरु पूर्णिमा पर करें ये उपाय
- गुरु पूर्णिमा से शुरु कर हर गुरुवार को चमेली के 9 फूल को बहते जल में प्रभावित करना चाहिए।
- आज के दिन सोना या चांदी के पतरे पर बृहस्पति यंत्र बनवाकर उसे पूजन स्थान पर रखना चाहिए। साथ ही रोज उस यंत्र की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए।
- अगर गुरु का प्रभाव शुभ करना है तो गुरु पूर्णिमा या गुरु पुष्प योग से शुरु कर 7 गुरुवार तक घोड़े को चने की दाल खिलाएं।
गुरु पूर्णिमा के दिन किसी एक मंत्र का जाप जरुर करना चाहिए
- बृहस्पति एकाक्षरी बीज मंत्र-ऊं बृं बृहस्पतये नमः
- बृहस्पति तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः
- बृहस्पति गायत्री मंत्र- उं आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नौ जीव: प्रचोदयात
- अगर इन मंत्रों का जाप उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाए तो शुभ रहता है।
इन उपायों से दूर होगी समस्या
गुरु पूर्णिमा से शुरु कर 27 गुरुवार तक किसी मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाएं। इससे शुभ फल मिलता है।
गुरु पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन श्रीविष्णु सहस्त्र्तनाम का पाठ करें।
गुरु की कृपा पाने के लिए गुरु या किसी साधु को पीले वस्त्र उपहार में दें। या किसी सौभाग्यवती स्त्री को भी दिए जा सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा से शुरु करके प्रत्येक गुरुवार को देवगुरु बृहस्पति को पीले कनेर के फूल चढ़ाएं। इस तरह के कुछ उपायों को करके आप जीवन में अपनी परेशानियों को दूर कर सकते हैं।
क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा बताया गया है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान बताया गया है। वेद, उपनिषद और पुराणों का प्रणयन करने वाले वेद व्यास जी को समस्या मानव जाति का गुरु माना जाता है। उन्होंने इन ग्रंथो के जरिए समाज को शिक्षा दी ताकी लोग जीवन में गलतियों से बचें। इसके चलते उनके सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन व्यास जी ने शिष्यों और मुनियों को सर्वप्रथम श्री भगवतपुराण का ज्ञान दिया था। ऐसे में ये शुभ दिन व्यास पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है।
आज के दिन अपने गुरु का ध्यान करें। अपने सामार्थ्य अनुसार जो बन सके वो भेंट दे। अपने गुरु का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए वरना जीवन में शांति भंग हो जाएगी और सफलता आपसे कोसो दूर चली जाएगी। सच्ची श्रद्धा से गुरु की सिखाई बात का पालन करेंगे तो संसार में आपसे ज्यादा सुखी कोई नहीं होगा।