हिम्मत और लगन हो तो हर मंज़िल होती है आसान, किसान की बेटी ने अपने दम पर UPSC परीक्षा की पास
किसी ने सच कहा है सफलता कभी किसी की मोहताज नहीं होती, सफलता पाने के लिए मजबूत हौसला होना जरूरी है, अगर व्यक्ति ठान ले तो नामुमकिन से नामुमकिन काम को भी सफल कर सकता है, आजकल के समय में हर कोई व्यक्ति कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ना चाहता है, परंतु कुछ एक ही ऐसे लोग होते हैं जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर पाते हैं, आजकल के नौजवान यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईएएस ऑफिसर बनना चाहते हैं, परंतु यूपीएससी की परीक्षा बहुत ही कठिन मानी गई है, इसकी तैयारियां तो हर कोई करता है, परंतु इस परीक्षा में पास होना काफी संघर्षपूर्ण माना गया है, इस परीक्षा में बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धा रहती है, कई लोग सालों तक मेहनत करने के बावजूद भी इस परीक्षा में सफल नहीं हो पाते हैं।
लेकिन आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसने बिना कोचिंग के ही दूसरे अटेम्प्ट में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास कर ली थी, इनका यहां तक पहुंचने का सफर बहुत ही संघर्ष से भरा था, लेकिन इन्होंने अपनी हिम्मत नहीं टूटने दी और लगातार मेहनत करती रही, आखिर में इनको अपनी मेहनत का नतीजा मिला, हर मुसीबत का सामना करते हुए एक किसान की बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा पास की।
गरीबी में पली-बढ़ी मजदूर मां और किसान पिता की बेटी
हम आपको जिस लड़की के बारे में जानकारी दे रहे हैं इसका नाम एनीस कनमनी जॉय है और यह केरल के छोटे से गांव पिरवोम की रहने वाली है, यह बहुत ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखती है, इनकी माता दिनभर खेत में मजदूरी का काम करती है और इनके पिता किसान है, इनके घर परिवार की आर्थिक हालत बहुत ही खराब है, एनीस कनमनी जॉय के पास पढ़ाई के लिए किताबें खरीदने तक के भी पैसे नहीं हुआ करते थे, लेकिन इन्होंने अपनी गरीबी को अपनी पढ़ाई के बीच में कभी भी नहीं आने दिया, इन्होंने अपने जीवन की हर बाधाओं का डटकर सामना किया, इन्होंने UPSC की परीक्षा पास करने के लिए बहुत संघर्ष किया है, आखिर में UPSC परीक्षा पास करके हर किसी के लिए यह मिसाल बन गई है।
बचपन से डॉक्टर बनने में थी रुचि
हर बच्चे का बचपन से कोई ना कोई सपना अवश्य होता है, हर बच्चा बड़े होकर कुछ ना कुछ बनना चाहता है, उसी प्रकार एनीस कनमनी जॉय भी बचपन से डॉक्टर बनना चाहती थी और यह बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छी भी थी, आपको बता दें कि इन्होंने गांव से ही केरल एसएसएलसी की परीक्षा और एर्नाकुलम जिले से 12वीं की परीक्षा पूरी की थी, इसके पश्चात इन्होंने एमबीबीएस (MBBS) की तैयारियां शुरू कर दी थी, परंतु लाख कोशिश करने के बावजूद भी इनका पहला अटेम्प्ट सफल नहीं हो पाया था, तब इन्होंने बाद में बीएससी (B.Sc) नर्सिंग कोर्स किया और नर्स बन गई थी परंतु कहीं ना कहीं यह अपनी नौकरी से खुश नहीं थी, एक बार जब यह ट्रेन में सफर कर रही थी तब इन्होंने देखा कि दो लोग आपस में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के बारे में बातचीत कर रहे हैं, तब इन्होंने उनकी बातों को ध्यान पूर्वक सुना, तभी से इन्होंने यह निश्चय कर लिया कि वह यूपीएससी की परीक्षा देंगी और इन्होंने इसकी तैयारियां आरंभ कर दी।
किताबें खरीदने तक के भी नहीं थे पैसे
एनीस कनमनी जॉय के मन में यह सवाल घूम रहा था कि उसने यूपीएससी परीक्षा देने का तो निश्चय कर लिया, परंतु इनकी आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि इनके पास प्रतियोगी मैगजीन और किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं हो पा रहे थे, लेकिन इन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और इन्होंने अखबारों का सहारा लेना शुरू कर दिया, कई घंटो-घंटो तक यह अखबार पढ़ा करती थी और अखबारों से ही इन्होंने सभी जानकारियां एकत्रित की।
पहले प्रयास में हुई फेल, दूसरी बार पाई सफलता
एनीस कनमनी जॉय ने यूपीएससी की परीक्षा के लिए अपनी तरफ से जी तोड़ मेहनत की थी परंतु इनको पहले प्रयास में ना कामयाबी का सामना करना पड़ा था, पहली बार में इनकी रैंक 580वीं आई थी, परंतु उन्होंने अपनी कोशिश नहीं छोड़ी और इन्होंने अपने मजबूत हौसले के साथ दोबारा से तैयारियां शुरू की और दूसरी बार में इन्होंने 65वीं रैंकिंग हासिल करके सफलता प्राप्त की।