कई फ्लैट होने के बाद आखिर क्यों 23 सालों से सरकारी बंगले में रह रहीं हैं प्रियंका गांधी?
सोनिया गांधी की शादीशूदा बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा के पास कई घर हैं, लेकिन सरकारी बंगले का मोह उनसे अभी तक नहीं छूटा है
केंद्र सरकार ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को लोधी एस्टेट वाला सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया है। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की ओर से इसके लिए एक महीने यानि 1 अगस्त 2020 तक उन्हें बंगला खाली करने के लिए कहा है। अगर प्रियंका गांधी वाड्रा एक महीने के अंदर बंगला खाली नहीं करती हैं तो उन्हें जुर्माना भरना होगा। बता दें कि सोनिया गांधी की शादीशूदा बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा को 23 साल पहले 21 फरवरी 1997 में लोधी एस्टेट में 35 नंबर बंगला अलॉट किया गया था। कांग्रेस राज में एसपीजी सुरक्षा के कारण ये बंगला प्रियंका गांधी वाड्रा को मिला था। अब एसपीजी सुरक्षा नहीं होने के कारण ये बंगला उन्हें खाली करना होगा।
अकेले -अकेले बंगले में रहता है गांधी परिवार
सरकार का कहना है कि प्रियंका गांधी सरकारी रुप से एक सामान्य नागरिक है और इसलिए सरकारी आवास पाने का उन्हें हक नहीं हैं। वहीं सरकार के इस फैसले को कांग्रेस ने खुद पर हमला बताया है। गौरतलब है कि पिछले 23 सालों से प्रियंका गांधी बिना सांसद या मंत्री रहे बंगले में रह रही थीं, लेकिन अब जब उन्हें बंगला खाली करने के लिए कहा गया है तो कांग्रेसी नेता इसे राजनीति का नाम दे रहे है।
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 10 जनपथ में अकेली रहती हैं। उनके एकलौते कुंवारे बेटे राहुल गांधी जो कि सांसद भी हैं उनके साथ नहीं रहते। राहुल गांधी अकेले 12 तुगलक रोड में रहते हैं। वहीं बेटी प्रियंका अपने पति राबर्ट वाड्रा के साथ 35 लोदी एस्टेट बंगले में रहती है। प्रियंका सांसद या मंत्री नहीं है फिर भी 23 साल से सरकारी मकान में रह रही हैं। मां, भाई और बहन सब अलग बंगले में ही रहना पसंद करते हैं। ऐसे में ये सवाल जनता के मन में आता है कि उनके ही खून-पसीने की कमाई से इस बंगले का खर्च चलता है तो फिर ये लोग ऐसे बड़े बंगले में ही क्यों रहना चाहते हैं?
एक महीन के अंदर खाली करना होगा सरकारी आवास
अब प्रियंका गांधी वाड्रा को शहरी विकास मंत्रालय के संपत्ति निदेशालय ने बुधवार को चिट्ठी जारी की है जिसमें सरकारी बंगले के किराए के तौर पर बकाया 3,46,677 रुपए का भुगतान करने को कहा है। किराए का ये बकाया 30 जून 2020 तक का है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से शहरी विकास मंत्रालय को 30 जून को सूचित किया गया था किए अब प्रियंका की सुरक्षा में एसपीजी तैनात नहीं हैं। इसकी जगह उन्हें जेड प्लस की सुरक्षा दी गई है जिसके आधार पर वह सरकारी बंगले की हकदार नहीं है।
बता दें कि हाल ही में खबर आई थी कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक फ्लैट खरीदने के लिए खास पेंटिंग बेच दी थी। ये वो पेटिंग थी जिससे पिता राजीव गांधी और देश के एक प्रधानमंत्री की यादें जुड़ी हुई थी। इस पेटिंग को खरीदने के मामले में हुए खुलासे के अनुसार मुंबई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मिलिंद देवड़ा ने पत्र लिखकर और कई मैसेज भेजकर यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर पर पेटिंग खरीदने के लिए दबाव डाला था।
पिता की पेटिंग बेच खरीदा था फ्लैट
इस खबर के बारे में बताया गया था कि राणा कपूर ने ईडी से कहा कि मिलिंद देवड़ा ने पेटिंग खरीदने के लिए उनपर दबाव बनाया था। कांग्रेस नेता देवड़ा ने अपने मैसेज में कई बार 2 करोड़ रुपए के चेक के बारे में पूछताथ की थी और गुजारिश की थी कि इसे जल्दी भेजा जाए। राणा कपूर को ‘अंकल’ बताने वाले मिलिंद देवड़ा के ये लेटर और मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया प्रभारी प्रीति गांधी ने ट्वीट कर कहा कि ये सनसनीखेज हैं। आप सबके साथ मिलिंद देवड़ा के राणा कपूर अंकल के लिखे मैसेज को शेयर कर रही हूं। साथ ही उन्होंने पूछा था कि इटालियन गांधी परिवार उनके साथ इस डील को लेकर दबाव डाल रहा था और क्या इस बारे में सोनिया गांधी को पता था?
This is sensational!!!!! Sharing with you, text messages sent by @milinddeora to Rana Kapoor “uncle”!!
It is amply clear that the Italian Gandhis were forcing a deal with him & Sonia Gandhi knew all about it!!
Is this extortion or is this extortion??!!!#PriyankaGets2Crore pic.twitter.com/pTC7kIep48
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) March 9, 2020
बता दें कि ये शानदार पेटिंग एमएफ हुसैन ने 1985 में कांग्रेस के 100 साल पूरे होने के मौके पर बनाया था और राजीव गांधी को तोहफे के रुप में दिया था। इसके बाद इस पेटिंग को राणा कपूर ने 2010 में प्रियंका गांधी वाड्रा से 2 करोड़ रुपए में खरीदा था। प्रियंका गांधी वाड्रा ने राणा कपूर को चिट्ठी लिखकर कहा था कि मैं 3 जून 2010 को लिखे आपके पत्र और एचएसबीसी बैंक के आपके खाते से 2 करोड़ रुपए के चेक( 3 जून 2010) के मिलने की पुष्टि करती हूं जो कि पेंटिंग के फुल और फाइनल भुगतान से संबंद्ध था।
कई फ्लैट के बावजूद नहीं छोड़ा सरकारी आवास
इन सारी बातों से कई तरह के सवाल सामने आए हैं। पहली बात तो ये कि ये पेंटिंग एमएफ हुसैन ने प्रधानमंत्री या तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी को भेंट के तौर पर दी थी, तो उसे परिवार ने कैसे बेच दिया? अगर प्रधानमंत्री को दिया गया तो सरकारी संपत्ति हुई या कांग्रेस अध्यक्ष को दिया गया तो ये पार्टी की संपत्ति हुई तो फिर परिवार इसे कैसे बेच सकता है? एक सवाल ये भी की जब फ्लैट खरीदने के लिए पेटिंग बेची गई तो उसके बाद भी सरकारी बंगले को फौरन खाली क्यों नहीं किया गया?
कई फ्लैट होते हुए भी 23 साल से सरकारी बंगले हक जमाए बैठने वाली प्रियंका वाड्रा और राहुल गांधी करोड़ो रुपए के घोटालेबाज जिग्नेश शाह के साथ भी जुड़ चुके हैं। उन्होंने अपना फार्म हाउस जिग्नेश शाह को उस वक्त किराए पर दिया था जब 2013 में यूपीए सरकार उसके खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में केस चला रही थी। हाल ही में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के जिग्नेश शाह के साथ कारोबारी रिश्ते को लेकर भी काफी शोर मचा था। बता दें कि जिग्नेश शाह वहीं हैं जिसने अपनी कंपनी नेशनल स्पॉट एक्सेंज लिमिटेड के जरिए 2007 में हजारों निवेशकों के करीब 6 हजार करोड़ रुप लूट लिए थे। 2016 में जिग्नेश शाह को गिरफ्तार कर लिया गया था और अभी मामला अदालत में चल रहा है।
कई जमीन हड़पने का आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा का दिल्ली के महरौली क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव में 4.692 एकड़ का फार्म है। इसे इंदिरा गांधी फार्म हाउस के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये गांधी परिवार की पैतृक संपत्ति है। NSEL के प्रुख शेयर धारक और प्रमोटर जिग्नेश शाह ने अपनी एक और कंपनी फाइनेंशियल टेक्नालॉजीस इंडिया लिमिटेड (FTIL) बनाई। FTIL ने राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा के फार्म हाउस को 1 फरवरी 2013 से किराए पर लेने के लिए रेंट एग्रीमंट किया। इसके तहत हर महीने 6.7 लाख रुपए का किराया तय हुआ था। जिग्नेश शाह ने किराए के रुप में 40.20 लाख रुप की एडवांस पेमेंट भी की थी। इस पर कपंनी ने नियमों के अनुसार कोई टैक्स भी नहीं लिया था। ये पूरा पैसा दो चेक के जरिए राहुल औऱ प्रियंका गांधी को दिया गया था।
प्रियंका गांधी से जुड़ा ये कोई पहला या नया मामला नहीं है। इससे पहले प्रियंका गांधी वाड्रा ने शिमला में 13 किलोमीटर दूर छरबड़ा में 2007 में कई एकड़ की जमीन को लेकर मकान बनाया था। इसके लिए उन्होंने गैरकानूनी तरीके से अतिसंवेदनशील क्षेत्र पर ही अपना कब्जा जमाया था। हैरानी की बात ये है कि हिमाचल प्रदेश में जमीन खरीदने के लिए यूपीए सरकार की वजह से प्रियंका गांधी वाड्रा को कानूनी रुप से विशेष छूट दी गई थी।
गरीबों की संपत्ति लूट कर बनाया मकान
जमीन लेने के मामले में उनके पति राबर्ट वाड्रा भी पीछे नहीं है। पति राबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान और हरियाणा में कांग्रेस सरकारों के सहयोग से कौड़ियों के भाव किसानो की जमीन खरीद कर हजारों करोड़ में बड़े व्यापारियों को बेच दिया। गरीब के मेहनत वाली जमीन को छीनकर राबर्ट ने लंदन जैसे शहर में आलीखान घर खरीदे हैं। इन्हीं मामलों को लेकर वाड्रा फिलहाल जमानत पर चल रहे हैं।
बता दें कि श्रीलंका में आतंकी घटना के लिए जिम्मेदार इस्लामिक कट्टरपंथी जाकिर नाईक से दान प्राप्त राजीव गांधी चैरिटबल ट्रस्ट की संचालक भी प्रियंका वाड्रा ही हैं। उनपर आरोप है कि उन्होंने जमीन की हेराफेरी की है। खबर है कि जिला प्रशासन ने अमेठी के रोखा गांव में 1.0360 हेक्टेयर जमीन व्यावसायिक प्रशिक्षण देने के लिए स्वयं सहायता समूहों के दिया था। वहीं कागजों पर हेराफेरी करके इसे राजीव गांधी ट्रस्ट के नाम कर दिया ग. था। इसे बाद में ट्रस्ट ने उस जमीन को एक निजी कंपनी के हाथों बेच दिया था।
कई घोटालों में सालों से शामिल रहा गांधी परिवार
इसी तरह प्रियंका गांधी ट्रस्ट ने हरियाणा के उल्लासगांव की 4,8 एकड़ जमीन हरियाणा की कांग्रेसी हड्डा सरकार से मिलकर 2009 में लीज के नाम पर हड़प ली थी। इसी तरह राजीव गांधी ट्रस्ट को नाम पर भी प्रियंका वाड्रा ने राय बरेली में भी 10,000 वर्गमीटर जमीन की हेराफेरी की थी। उन कागजों पर भी धांधली करके उस जमीन को ट्रस्ट के नाम करा लिया था। प्रियंका के पति राबर्ट वाड्रा महद 10वीं पास है, लेकिन उनकी संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के पास करीब 2.1 बिलयन डॉलर की संपत्ति होने के अनुमान है।
इसके अलावा प्रियंका गांधी, राहुल गांधी औऱ सोनिया गांधी की नेट वर्थ भी करोड़ो मे हैं। इनमें से आधे से ज्यादा संपत्ति ऐसे ही गरीबों की संपत्ति लूटकर और कागजी घोटाला कर कमाई गई है। कांग्रेस के सरकारों के तहत हुए घोटाले की सूचि बहुत लंबी हैं। इसमें अगस्ता वेस्टलैंड स्कैम, बोफोर्स घोटाला, नेशनल हेराल्ड घोटाला, जमीनी घोटाला शामिल हैं।