ईरान ने अपने सैन्य जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के आरोप में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है और इस मामले में इंटरपोल से भी रेड नोटिस जारी करने को कहा है। ईरान ने ट्रंप की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल से मदद मांगी है। हालांकि अब तक इंटरपोल से इसका जवाब नहीं आया है। गौरतलब है कि ईरान ने ट्रंप पर आरोप लगाया है कि उनके आदेश पर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को मारा गया है।
3 जनवरी को हुई थी मौत
सुलेमानी को 3 जनवरी के दिन मारा गया था। सुलेमानी ईरान में काफी ख्यात थे और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के विदेशी आर्मी के प्रमुख थे। सीरिया और इराक में भी ये काफी लोकप्रिय थे। सुलेमानी पश्चिमी देशों में इस्लामिक क्रांति लाने की कोशिश में थे और ये खासकर अमेरिका को अस्थिर करने के लिए ऐसा कर रहे थे। इसी वजह से 3 जनवरी को अमेरिका ने सुलेमानी को बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर हवाई हमले में मार गिराया। जिसके बाद अब ईरान ने डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया है और इंटरपोल से मदद मांगी है।
क्या होती है इंटरपोल
इंटरपोल का पूरा नाम इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन है और इस संगठन की स्थापना साल 1923 में हुई थी। इस ऑर्गेनाइजेशन के 192 देश सदस्य हैं। इंटरपोल में इंग्लिश, स्पेनिश, फ्रेंच और अरेबिक भाषा में काम होता है। इंटरपोल का हेडक्वार्टर फ्रांस के लिऑन में है।
दुनिया की पुलिस एक साथ करती है काम
इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन के जरिए दुनियाभर की पुलिस एक साथ काम करती है। ताकि दुनिया के अलग-अलग देशों में छुपे अपराधियों को पकड़ा जा सके।
अगर कोई अपराधी किसी अन्य देश में छुपा होते है तो उसे इंटरपोल की मदद से पकड़ा जा सकता है। इसके अलावा इंटरपोल टॉप लेवल पर बैठे लोगों के लिए भी रेड नोटिस जारी करता है है ताकि उनको अरेस्ट करने की प्रक्रिया आसान हो सके।
जारी करती है नोटिस
इंटरपोल के जरिए एक देश की पुलिस, दूसरे देश की पुलिस के साथ अपराधियों की सूचना भी सांझा करती हैं। इंटरपोल में खुफिया स्तर पर भी काम किया जाता है। वहीं किसी अपराधी को पकड़ने के लिए इंटरपोल नोटिस जारी करती है। इंटरपोल की और से कई तरह के नोटिस जारी होते हैं। जो कि कलर के आधार पर होते हैं। जैसे-
- रेड नोटिस- रेड रंग के नोटिस का अर्थ है कि किसी खास देश से आरोपी को सौंपने की निवेदन करना।
- यलो नोटिस- लापता लोगों का पता लगाने के लिए ये नोटिस जारी किया जाता है।
- ब्लू नोटिस- किसी अपराधी या अपराधी से जुड़े स्थान या गतिविधियों के बारे में जानकारी जमा करने के लिए ये नोटिस जारी किया जाता है।
- ऑरेंज नोटिस – इस नोटिस के तहत इंटरपोल किसी बड़ी घटना के बारे में अलर्ट करती है।
इसी तरह से ब्लैक, ग्रीन और पर्पल नोटिस भी होते हैं।
नहीं होती अरेस्ट करने की ताकत
हालांकि इंटरपोल के पास किसी को अरेस्ट करने की ताकत नहीं होती है। किसी को गिरफ्तार करने के लिए अगर कोई देश इंटरपोल की मदद मांगता है। तो इंटरपोल जहां पर वो अपराधी होता है उस देश की पुलिस को ये संदेश भेज देता है। जिसके बाद पुलिस के हाथों में सब होता है।
भारत भी है सदस्य
भारत भी इंटरपोल का सदस्य है। भारत साल 1956 में इसका सदस्य बना था। वहीं सीबीआई ने कुछ ही समय पहले नीरव मोदी, मेहुल चोक्सी और विजय माल्या को देश वापस लाने के लिए इंटरपोल की मदद ली थी।