6 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन मास, केवल इन ज्योतिर्लिंगों में ही जाकर कर सकेंगे शिव के दर्शन
6 जुलाई से सावन मास शुरू हो रहा है और सावन मास के दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है। ये मास शुरू होते ही शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में भक्तों की भीड़ लग जाती है और दूर-दूर से लोग भगवान शिव के इन मंदिरों में आया करते हैं। लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण मंदिर जाकर शिव के दर्शन करना इतना आसान नहीं होने वाला है। कोरोना वायरस के चलते इस साल 12 में से 6 ज्योतिर्लिंगों को बंद रखने का फैसला लिया गया है।
केवल इन्हीं ज्योतिर्लिंग में जाकर कर सकते है शिव की पूजा
अभी तक सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ऊँकारेश्वर, काशी विश्वनाथ और नागेश्वर मंदिर को ही खोलने का फैसला लिया गया है। इन मंदिरों में सावन के महीने में भक्तों को आने की अनुमित दी जाएगी। हालांकि मंदिर में आने से पहले भक्तों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ होगा, केवल उन्हीं को मंदिर में प्रवेश मिलेगा। जबकि महाराष्ट्र के चारों ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ और घृष्णेश्वर को आम भक्तों के लिए बंद रख जाएगा। इन मंदिरों में सिर्फ मंदिर के पुजारी और मंदिर समिति के लोगों को ही प्रवेश मिलेगा।
इस तरह से करवाना होगा रजिस्ट्रेशन
जो लोग इन मंदिरों में जाना जाते हैं। वो इन ज्योतिर्लिंगों की ऑफिशियल वेबसाइट्स पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान दर्शन के लिए टाइम स्लॉट मिलेगा और उसी समय में भक्त मंदिर में दर्शन कर सकेंगे।
इन लोगों को नहीं मिलेगा प्रवेश
जिन लोगों की आयु 65 साल से अधिक होगी और 10 साल से छोटी, उन्हें मंदिर में दर्शन के लिए प्रवेश नहीं मिल सकेगा और ना ही इनका रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। दरअसल इन आयु के लोगों को कोरोना का सबसे अधिक खतरा है, जिसके लिए इन्हें दर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नियमों का करना होगा पालन
मंदिर में जाने वाले भक्तों को कई सारे नियमों का पालन भी करना होगा। जैसे कि सभी भक्तों को मास्क पहनना होगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। मंदिरों में बैठकर पूजा करने की अनुमति नहीं होगी और ना ही किसी चीज को छूने की इजाज़त होगी। इसी तरह से भगवान पर फूल, फल और इत्यादि चीजें भी अर्पित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
केदारनाथ को लेकर नहीं लिया गया निर्णय
कोरोना महामारी के काराण केदारनाथ में दर्शन शुरू नहीं हुए हैं। उत्तराखंड के चारधामों के पुजारी और समितियों ने भक्तों के लिए इन मंदिरों को खोलना सही नहीं माना है। जिसकी वजह से सावन में भी ये मंदिर बंद रहे सकते हैं।
तमिलनाड़ु के रामेश्वरम मंदिर में भी अभी दर्शन व्यवस्था शुरू नहीं की गई है और ऐसा अनुमान है कि ये मंदिर भी भक्तों के लिए सावन के महीने के दौरान बंद ही रखा जाएगा।
12 ज्योतिर्लिंगों के नाम
सोमनाथ – बारह ज्योतिर्लिंगों में पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ है। ग्रंथों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना चंद्रमा ने की थी। जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम चंद्र देव के नाम पर ही पड़ा है।
मल्लिकार्जुन – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में है। ये ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर बना हुआ है। इस मंदिर में पार्वती जी को मलिका और शिव जी को अर्जुन के नाम से पुकारा जाता है। इसलिए इस मंदिर का नाम मल्लिकार्जुन पड़ा है।
महाकालेश्वर – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन में स्थित है और ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इस मंदिर की भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है।
ऊँकारेश्वर – मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में ऊँकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है जो कि पहाड़ियों से घिरा है। इन पहाड़ियों में बहने वाली नदी से ऊँ का आकार बनता है।
केदारनाथ – उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ भी ज्योतिर्लिंग है और केदारनाथ को शिव और पार्वती मां का निवास स्थान भी माना जाता है। ये मंदिर छह महीने बंद रहता है।
भीमाशंकर – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में स्थित है। ये बेहद ही सुंदर मंदिर है और यहां का मौसम सदा सुहाना रहता है। भीमाशंकर मोटेश्वर महादेव के नाम से भी प्रसिद्ध है।
काशी विश्वनाथ – काशी विश्वनाथ उत्तरप्रदेश में स्थित है। काशी नगरी को भगवान शिव का घर भी कहा जाता हैं।
त्र्यंबकेश्वर– त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में है। इस मंदिर के पास ही ब्रह्मागिरि पर्वत भी है।
वैद्यनाथ – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिग को लेकर काफी मतभेद है। दरअसल ये मंदिर महाराष्ट्र और झारखंड में है। ऐसे में दोनों राज्य अपने यहां के मंदिर को ज्योतिर्लिंग मानते हैं।
नागेश्वर – नागेश्वर मंदिर गुजरात के द्वारिका में स्थित है। इस मंदिर को बेहद ही सुंदर तरीके से बनाया गया है।यहां पर शिवजी नागों के देवता के रुप में स्थापित हैं।
रामेश्वरम – ये ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को भगवान श्रीराम ने स्थापित किया था।
घृष्णेश्वर – घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।