सियाचिन से सेना हटा कर पाकिस्तान से समझौता करना चाहती थी UPA सरकार, पूर्व सेना प्रमुख का खुलासा
UPA सरकार ने किया था पाकिस्तान से समझौता ,भारतीय सेना इस समझौते के खिलाफ थी
भारतीय सेना के पूर्व सेना प्रमुख जेजे सिंह ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दुनिया के सबसे ऊंचे सामरिक क्षेत्र सियाचिन से सेना हटाने के लिए पाकिस्तान से एक समझौता किया था। उन्होंने बताया कि इस पर समझौते के लिए तत्कालीन UPA सरकार पर अमेरिकी दबाव कायम था।
UPA सरकार ने किया था पाकिस्तान से समझौता – पूर्व सेना प्रमुख
जेजे सिंह ने बताते हैं कि यूपीए की सरकार ने भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों को साथ लेकर पाकिस्तान सरकार से समझौता का सिलसिला शुरू किया था, लेकिन भारतीय सेना कभी भी इसके पक्ष में नहीं थी, मगर केंद्र सरकार में इस पर चर्चा काफी जोरों पर थी।
‘Pressure on Manmohan Singh govt to compromise on Siachen’: Ex-Army chief Gen. JJ Singh https://t.co/oqlMrBF1yM
— Republic (@republic) June 24, 2020
जेजे सिंह ने ये खुलासा तब किया है, जब कांग्रेस वर्तमान सरकार के खिलाफ प्रचार कर रही है कि केंद्र सरकार पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गलवान घाटी में चीनी सेना के सामने सरेंडर कर रही है। बता दें कि यूपीए सरकार के समय के सेना प्रमुख जेजे सिंह ने खुलासा करते हुए कहा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने भारत के लिए सामरिक उद्देश्य के लिहाज से अति महत्वपूर्ण सियाचीन ग्लेशियर को पाकिस्तान के साथ समझौता करने की शुरूआत की थी।
भारत सरकार पर था अमेरिकी दबाव – जेजे सिंह
जेजे सिंह ने बताया कि साल 2006 में भारत सरकार पर अमेरिका सियाचिन मुद्दे को जल्द से जल्द सुलझाने का दबाव बना रहा था, क्योंकि उस समय अमेरिका पाकिस्तान का करीबी था। उन्होंने बताया कि उस समय पीएम मनमोहन सिंह की टीम में पूर्व विदेश सचिव श्याम शरण,राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार (एनएसए) और अन्य शामिल थे। जेजे सिंह कहते हैं कि मनमोहन सिंह और उनकी टीम उस समय कहती थी कि हम सियाचिन को ‘शांति का पहाड़’ बनाना चाहते हैं।
भारतीय सेना इस समझौते के खिलाफ थी
पूर्व सेना प्रमुख कहते हैं कि ‘भारतीय सेना और सामरिक विषयों के प्रमुख सियाचिन को शांति का पहाड़ बनाने के दृष्टिकोण से इत्तेफाक नहीं रखते थे, बल्कि भारतीय सेना ये चाहती थी कि पहले पाकिस्तान घुसपैठ को रोके, अपने यहां चल रहे आतंकी शिविरों को बंद करे, सियाचिन पर आगे बढ़ने से पहले अपनी धरती पर पल रहे आतंकी समूहों पर शिकंजा कसे।
सियाचिन की महत्ता को बताते हुए पूर्व जनरल जेजे सिंह कहते हैं कि ये आर्कटिक के बाद सबसे लंबा ग्लेशियर है, जो 76 किलोमीटर लंबा है। यह ग्लेशियर इंदिरा कॉल से शुरू होकर नीचे श्योक नदी तक जाता है। इसके उत्तर और पूर्व में काराकोरम पर्वत श्रृंखलाएं मौजूद हैं, जबकि पश्चिम में यह साल्टोरो रिज से घिरा हुआ है। यह क्षेत्र भारतीय और पाकिस्तान सेना की स्थिति को विभाजित करने में भी सहायक है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सियाचिन का ग्लेशियर समुद्र तल से 21,000 फीट ऊंचा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा पर्वत ग्लेशियर होने के साथ साथ विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध का मैदान भी है। सियाचिन ग्लेशियर हमेशा से भारत का संप्रभु क्षेत्र रहा है, इस पर पाकिस्तान निराधार तरीके से अपने क्षेत्रीय दावे करता है।
जानें क्या है ऑपरेशन मेघदूत?
उल्लेखनीय है कि 13 अप्रैल 1984 को भारत ने ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया था, इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने ग्लेशियर पर सफलतापूर्वक अपना पूर्ण अधिकार स्थापित कर लिया था। माना जाता है कि ऑपरेशन मेघदूत से पाकिस्तान को एक बड़ा रणनीतिक नुकसान हुआ था। पाकिस्तान के तत्कालीन मेजर जनरल अतहर अब्बास ने बताया था कि सियाचिन में 1984 से लेकर अब तक करीब 3,000 सैनिकों की मौत हो चुकी है, इन मौतों में करीब 90% मौतें मौसम संबंधी कारणों से हुए हैं।
भारत ने 70 किमी से ज्यादा लंबे ग्लेशियर के साथ ही सियारो ला, बिलाफोंड ला और ग्योंग ला सहित ग्लेशियर के पश्चिम में स्थित सभी मुख्य दर्रे, सहायक नदियों और ऊंचाइयों पर अपना नियंत्रण कर लिया था।