इंदिरा को टक्कर देने के लिए संजय गाँधी ने बनायी थी युथ कांग्रेस, नाम सुन कर ही कांपते थे लोग
इमरजेंसी के समय लोगों को जबरदस्ती उनके घरों से उठाया जाता था और उनकी नसबंदी कर दी जाती थी
कांग्रेस पार्टी हमारे देश की सबसे पुरानी पार्टी है और इसी पार्टी ने साल 1975 में देश में इमरजेंसी लगवाई थी। इमरजेंसी लगने से पहले कांग्रेस पार्टी दो खेमों में बंट गई थी। जिसमें से पहला खेमा इंदिरा गांधी को समर्थन करने वाले लोगों का था और दूसरा खेमा इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के समर्थकों का था।
जब संजय गांधी ने राजनीति में प्रवेश किया था। तो शायद ही किसी ने ये सोचा होगा कि वो अपनी मां के विरुध जाएंगे और पार्टी के दो हिस्से कर देंगे। राजनीति में प्रवेश करते ही संजय गांधी ने मारुति परियोजना को शुरू किया। इस योजना की आड़ में संजय गांधी ने अपनी मनमानी की। मारुति परियोजना के जरिए कांग्रेस पार्टी ने लोगों से उनकी जमीनों को हड़पना शुरू किया और अपने ही रिश्तेदारों को फर्जी कंपनी का प्रबंध निदेशक बना दिया गया।
इंदिरा गांधी मानती थी संजय गांधी की हर बात
इंदिरा गांधी बेशक की उस समय देश की प्रधानमंत्री थी। लेकिन उनके सभी फैसले संजय गांधी ही लिया करते थे। कहा जाता है कि संजय गांधी बिना इंदिरा गांधी को बताए ही सरकार से जुड़े अहम निर्णय ले लिया करते थे और इंदिरा गांधी चुपचाप सब देखती थी।
बनाई यूथ कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के कई सारे नेता संजय गांधी के खिलाफ हो गए थे। लेकिन चाहकर भी वो कुछ नहीं कर सकते थे। ऐसे में कांग्रेस पार्टी दो खेमों में बंट गई। जिसमें से एक खेमे में इंदिरा गांधी के वफादार हुआ करते थे और दूसरे खेमें में संजय का समर्थन करने वाले लोग। वहीं अपने खेमे को संजय गांधी ने यूथ कांग्रेस नाम दिया और इसे मजबूत करने के लिए इसमें युवओं की भर्ती करवाई गई। यूथ कांग्रेस को बनाने का मकसद इंदिरा गांधी के खेमे को टक्कर देना था।
पूरे देश में चलाया अभियान
युवाओं को यूथ कांग्रेस से जोड़ने के लिए पूरे देश में अभियान चलाया गया और भारी संख्या में युवाओं को यूथ कांग्रेस में शामिल किया गया। कहा जाता है कि उस समय यूथ कांग्रेस में शामिल होने वाले अधिकतर लोग गुंडों और गैंगस्टरों ही थे। इन लोगों ने अपने फायदों के लिए यूथ कांग्रेस की सदस्यता ली थी। ताकि ये आसानी से अपने हाथों में कानून ले सकें। संजय गांधी ने करीब 60 लाख लोगों को यूथ कांग्रेस से जोड़ लिया था।
लाए 5 सूत्री कार्यक्रम योजना
कांग्रेस की और से उस समय 20 सूत्री कार्यक्रम योजना लाई गई थी। इस कार्यक्रम के जवाब में संजय गांधी 5 सूत्री कार्यक्रम लाए। जिसमें नीचे बताए गए पांच सूत्रों पर काम करने पर जोर दिया गया।
- वयस्क शिक्षा
- दहेज प्रथा को समाप्त करना
- जाति व्यवस्था का उन्मूलन
- पेड़ लगाना
- नसबंदी
केवल नसंबदी पर दिया जोर
इमरजेंसी के दौरान केवल संजय गांधी की मनमानी चली। संजय गांधी ने इस दौरान केवल एक ही लक्ष्य रखा और वो लक्ष्य लोगों की नसबंदी करवाने का था। संजय गांधी ने अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर सरकारी कर्मचारी को ऐसे पुरुषों को लाने को कहा जिनके दो बच्चे थे। ताकि उनकी नसबंदी हो सके। वहीं जो सरकारी कर्मचारी ऐसे पुरुषों को नहीं ला रहे थे। उन्हें प्रमोशन के लिए योग्य नहीं माना जा रहा था।
जबरदस्ती की गई लोगों की नसबंदी
इमरजेंसी के समय लोगों को जबरदस्ती उनके घरों से उठाया जाता था और उनकी नसबंदी कर दी जाती थी। कांग्रेस पार्टी की और से की जाने वाली इस हरकत के कारण मुस्लिम समुदाय भी उनके खिलाफ हो गया था। उस समय लोगों के मन में इतना डर पैदा किया गया कि लोग एंबुलेंस को देखकर भागने लग जाते थे। संजय गांधी के कहने पर दिल्ली की झुग्गियों को भी उजाड़ दिया गया। जिससे की लाखों लोग बेघर हो गए। वहीं जिन लोगों ने इसका विरोध किया उनको गोली मार दी गई।
सोच समझ कर किया ये सब
कुलदीप नायर को इंटरव्यू देते हुए संजय गांधी ने ये बात स्वीकार की थी कि उन्होंने ये सब सोच समझकर किया था। संजय ने कहा था कि आपातकाल लगाने, लोकतांत्रिक संस्थानों को साफ करने और इंदिरा का शासन बनाए रखने की योजना उन्होंने बनाई थी।
40 साल पहले 23 जून 1980 को पिट्स विमान में कलाबाज़ियां खाते हुए संजय गांधी का विमान ज़मीन से टकराया था और उनकी मौत हो गई थी.